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अघोष एवं सघोष ध्वनियों का भेद स्पष्ट कीजिए।

अघोष एवं सघोष ध्वनियों का भेद स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- कण्ठपिटक में स्थित स्वरतंत्रियाँ जब श्वास वायु का प्रवेश अवरुद्ध नहीं करती अर्थात् शिथिल अवस्था में पड़े रहकर श्वास मार्ग खुला रहती है, तब ऐसी स्थिति में उच्चारित होने वाली ध्वनियाँ अघोष होती हैं। जैसे- हिंदी वर्णमाला में व्यंजन वर्गो के पहले दूसरे वर्ण (क, ख, च, छ, त, थ, प, फ) ऊष्म (श, ष, स) अनुस्वार तथा विसर्ग अघोष हैं।

कण्ठपिटक में स्थित स्वरतंत्रियाँ जब श्वास – वायु का प्रवेश अवरुद्ध कर लेती हैं अर्थात् सचेतन दशा में श्वास मार्ग में अवरोध बना लेती हैं। तब प्रयत्न पूर्वक अंदर से आने वाली वायु या नाद गेंज के साथ निकलना चाहती हैं और ऐसी स्थिति में उच्चरित ध्वनियाँ सघोष व्यजंन होती हैं। जैसे- हिंदी वर्णमाला में व्यंजन वर्गो के तीसरे – चौथे एवं पांचवे वर्ण (ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म), अन्तस्थ (य, र, ल, व) तथा न्ह्, म्ह्, रह्, ल्ह्, प्ह् आदि।

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