‘अब लौ नसानी अब न नसैहों’, इसमें कौन सा रस हैं?

Question. ‘अब लौ नसानी अब न नसैहों’, इसमें कौन सा रस हैं ?

(A) करुण रस

(B) अद्भुत रस

(C) शांत रस

(D) वीर रस

Answer: शांत रस

Additional information hindi

शांत रस किसे कहते हैं

तत्व – ज्ञान की प्राप्ति अथवा संसार से वैराग्य होने पर शांत रस की उत्पत्ति होती है जहाँ न दुःख है न सुख है, न सुख, न द्वेष है,न राग और न कोई इच्छा है, ऐसी मन:स्थिति में उत्पन्न रस को मुनियों ने ‘शांत रस’ कहा है |

  • शांत रस का स्थायी भाव — निर्वेद |
  • शांत रस का आलम्बन विभाव — तत्त्व ज्ञान का चिन्तन एवं सांसारिक क्षणभंगुरता |
  • शांत रस का उद्दीपन विभाव — शास्त्रार्थ, तीर्थ यात्रा, सत्संग इत्यादि |
  • शांत रस का अनुभाव — पूरे शरीर में रोमांच, अश्रु, स्वतन्त्र आदि |
  • शांत रस का संचारी भाव — मति, धृति, हर्ष, स्मृति, निर्वेद, विबोध आदि |

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