आजाद हिंद फौज

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आजाद हिंद फौज: महात्मा गांधी से मतभेद होने पर मार्च 1939 समाजवादी आतिवादी नेता सुभाष चंद्र बोस ने फारवर्ड ब्लाक नामक संस्था की स्थापना की। ब्रिटिश सरकार ने नेता जी को विद्रोह के आरोप में 2 जुलाई 1940 को गिरफ्तार कर लिया। जेल में अनशन के कारण स्थिति नाजुक होने पर 5 दिसंबर 1940 को उन्हें रिहा कर को कलकत्ता स्थिति एल्गिन रोड उनके निवास स्थान पर नजरबंद कर दिया गया 17 जनवरी 1941 को मौका पाकर वे वहां से भाग निकले।

अफगानिस्तान से होते हुए इटली, जर्मनी पहुंचे। वर्लिन में उन्होंने जर्मनी के नात्सी नेता हिटलर से मुलाकात की। नेता जी अपनी आगामी योजनाओं के प्रति हर सम्भव सहयोग प्राप्त करने का अश्वासन हिटलर से प्राप्त किया। इसके बाद सिंगापुर से होते हुए वे जापान पहुंचे । 28 – 30 मार्च 1942 को टोक्यो में रह रहे भारतीय रास बिहारी बोस ने इंडियन नेशनल आर्मी के गठन पर विचार करने के लिए एक सम्मेलन बुलाया।

कैप्टन मोहन सिंह, रास बिहारी बोस एवं एन० एस० गिल के सहयोग से इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किया गया सर्वप्रथम मोहन सिंह के मन में आजाद हिंद फौज की स्थापना का विचार आया था। इसी बीच विदेशों में रह रहे भारतीयों के लिए इंडियन इंडिपेंडेंस लीग (Indian Independence League) की स्थापना की गयी जिसका प्रथम सम्मेलन जून 1942 को बैंकॉक (Bangkok) में हुआ।

आजाद हिंद फौज की प्रथम डिवीजन का गठन 1 सितंबर 1942 को मोहन सिंह के अधीन हुआ। इसमें लगभग 16,300 सैनिक थे। कालांतर में जापान ने लगभग 60,000 भारतीय युद्ध बंदियों को आजाद हिंद फौज (Indian National Army) में शामिल होने के लिए छोड़ दिया। जापानी सरकार और मोहन सिंह के अधीन भारतीय सैनिकों के बीच आजाद हिंद फौज के सम्बन्ध में विवाद उत्पन्न हो जाने के कारण मोहन सिंह और निरंजन सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया।

नेता जी जब सिंगापुर गए थे तब आजाद हिंद फौज का दूसरा चरण प्रारंभ हुआ था नेता जी ने 1941 में वर्लिन में इंडियन लीग की स्थापना की किंतु जर्मनी में रूस के विरुद्ध उन्हें प्रयुक्त करने का प्रयास किया, तब उन्हें कठिनाई हुई अत: बोस ने दक्षिण पूर्व जाने का निश्चय किया। जुलाई 1943 में वे पनडुब्बी द्वारा जर्मनी से जापानी नियंत्रण वाले सिंगापुर पहुंचे वहां उन्होंने दिल्ली चलो का प्रसिद्ध नारा दिया आज़ाद हिन्द फ़ौज और इंडियन लीग की कमान को बोस ने 4 जुलाई 1943 को संभाला। आजाद हिंद फौज के सिपाही सुभाष चंद्र बोस को नेता जी कहते हैं। बोस ने अपने अनुयायियों को जय हिंद का नारा दिया।

आजाद हिंद सरकार की स्थापना 21 अक्टूबर 1943 को नेता जी ने की सुभाष चंद्र बोस इस सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सेनापति तीनों थे। वित्त विभाग एस० सी० चटर्जी को प्रचार विभाग एस० ए० अय्यर को तथा महिला संगठन लक्ष्मी स्वामीनाथन को सौंपा गया। जर्मनी, जापान द्वारा इस सरकार को मान्यता प्रदान की गई। इसके पश्चात उन्होंने आजाद हिंद फौज के मुख्यालय सिंगापुर एवं रंगून में बनाए। उन्होंने स्त्री सैनिकों का एक दल रानी झांसी रेजीमेंट बनाया। गांधी जी को राष्ट्रपिता की उपाधि पहली बार नेता जी के द्वारा ही मिली

जुलाई 1944 को सुभाषचंद्र बोस ने रेडियो पर बोलते हुए गांधी जी को सम्बोधित करते हुए कहा भारत की स्वाधीनता का आखिरी युद्ध प्रारंभ हो चुका है। इसके अतिरिक्त महात्मा गांधी ब्रिगेड, अबूल कलाम आजाद ब्रिगेड, जवाहर लाल नेहरू ब्रिगेड तथा सुभाष चंद्र बोस ब्रिगेड के सेनापति शाहनवाज खान थे। उन्होंने सैनिकों को आह्वान करते हुए कहा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।

फरवरी से जून 1944 मध्य आजाद हिंद फौज की तीन ब्रिगेडो ने जापानियों के साथ मिलकर भारत की पूर्वी सीमा एवं वर्मा से युद्ध लड़ा। परंतु दुर्भाग्यवश दूसरे विश्व युद्ध में जापान की सेनाओं के मात खाने के साथ ही आजाद हिंद फौज को भी पराजय का सामना करना पड़ा। आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिक एवं अधिकारियों को अंग्रेजो ने 1945 ई० में गिरफ्तार कर लिया। साथ ही एक हवाई दुर्घटना में सुभाष चंद्र बोस की भी 18 अगस्त 1945 को मृत्यु हो गई हालांकि हवाई दुर्घटना में उनकी मृत्यु अभी भी संदेह के घेरे में हैं।

आजाद हिंद फौज के गिरफ्तार सैनिकों एवं अधिकारियों पर अंग्रेज सरकार ने दिल्ली के लाल किले में नवंबर 1945 को मुकदमे चलवाये। इस मुकदमे के मुख्य तीन अधिकारी कर्नल सहगल, कर्नल ढिल्लो एवं मेजर शाहनवाज खान पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। इनके पक्ष में सर तेजबहादुर सप्रू, जवाहरलाल नेहरू, भूला भाई देसाई और के० एन० काटजू ने दलीलें दी।

लेकिन फिर भी तीनों लोगों को फाँसी की सजा सुनाई गयी। इस निर्णय के खिलाफ पूरे देश में कड़ी प्रतिक्रिया हुई। नारे बाजी की गई – “लाल किले को तोड़ दो आजाद हिंद फौज को छोड़ दो” विवशत: तत्कालीन वायसराय लार्ड वेवेल ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर इनके मृत्युदंड की सजा को माफ कर दिया।

संबंधित प्रश्न (FAQs)

Q. आजाद हिंद फौज के संस्थापक कौन थे?

Ans: आजाद हिंद फौज के संस्थापक रासबिहारी बोस थे।

निष्कर्ष,

इस आर्टिकल में हमने आजाद हिंद फौज के बारे में पड़ा। हमें उम्मीद हैं कि, आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी।

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