छायावाद की उत्पत्ति और विकास पर प्रकाश डालिए |

Question: छायावाद की उत्पत्ति और विकास पर प्रकाश डालिए |

Answer: हमारे देश में जब स्वतंत्रता – संग्राम अपनी चरम सीमा पर था, चारों तरफ अँगरेजों का दमन – चक्र फैला था, उस समय साहित्य – जगत् में एक ऐसा वर्ग भी क्रियाशील था, जो जीवन जगत् से दूर रहकर हिंदी – काव्य की एक विशिष्ट परिपाटी का निर्माण कर रहा था | रविन्द्रनाथ टैगोर की ‘गीतांजलि‘ तथा अँगरेजी साहित्य में व्याप्त छायावादी – रहस्यवादी भावधारा ने हिंदी साहित्य को प्रभावित किया | इस भावधारा में अवगाहन करने वाले कवियों ने प्रकृति के साथ अपना रागात्मक सम्बन्ध स्थापित किया और अत्यन्त चित्रमयी भाषा में नाना मनोरम रूप – संकेत एवं भाव – संकेत उपस्थित किये | इस प्रकार भाव – व्यंजन का जो नवीन रूप सामने आया, उसे ‘छायावाद’ के नाम से अभिहित किया गया अर्थात् जाना गया |

Leave a Comment