भारतीय आर्यभाषाओं का वर्गीकरण तीन भागों में किया गया है—
(1) प्राचीन भारतीय आर्यभाषाएँ— (लगभग 1500 ई० पूर्व से 500 ई० पूर्व तक) इसके अंतर्गत वेदों, उपनिषदों की भाषा और रामायण, महाभारत की भाषा आती है।
(2) मध्यकालीन भारतीय आर्यभाषाएँ— (500 ई० पूर्व से 1000 ई० तक) इसमें पाली प्राकृत अपभ्रंश और प्राचीन हिंदी का सारा रूप समाहित है।
(3) आधुनिक भारतीय आर्यभाषाएँ— (1000ई० से अब तक) इसके वर्गीकरण पर विद्वानों ने व्यापक परिश्रम किया है इसे कई शाखाओ तथा उपशाखाओं में विभक्त किया गया है, जिनमे 18 – 20 बोलियाँ हैं।