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भाषा व्यवस्था के अर्थ को स्पष्ट कीजिए

भाषा व्यवस्था एक आदर्शात्मक अवधारणा है। इस सैद्धान्तिक अवधारणा में विश्व की सभी भाषाएं समाहित हैं। अर्थात यह व्यक्ति के सापेक्ष न रहकर सामाजिक होती हैं। भाषा व्यवस्था अमूर्त होती है। भाषा व्यवस्था ध्वनियों और लिपि चिन्हों से आबद्ध नहीं रहती हैं। वह छोटा एवं उदात्त आदर्श है। जिसे प्राप्त करने के लिए सभी लेखक, वक्ता प्रयास करते हैं। परंतु वे कुछ सीमा तक सफल हो पाते हैं। सेस्यूर ने भाषा व्यवस्था को व्यापक, अमूर्त सार्वभौम और सैद्धांतिक व्यवस्था के रूप में प्रस्तुत किया है जो बोलते ही वायु में गुम हो जाती है।

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