नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम संदेह अलंकार पढेंगे, तो चलिए विस्तार से पढ़ते हैं सन्देह अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण के बारे में—
संदेह अलंकार की परिभाषा
जब किसी वस्तु में उसी के समान दूसरी वस्तु का सन्देह हो, किन्तु निश्चयात्मक ज्ञान न हो, वहाँ सन्देह अलंकार होता है।
—:अथवा:—
जहाँ एक वस्तु के सम्बन्ध में अनेक वस्तुओं का सन्देह हो और समानात के कारण अनिश्चय (संशय) की मनोदशा बनी रहे। वहाँ सन्देह अलंकार होता है।
सन्देह अलंकार के लक्षण या पहचान चिन्ह
उपमेय में उपमान का सन्देह ही सन्देह अलंकार के लक्षण या पहचान चिन्ह है।
सन्देह अलंकार के उदाहरण
यह मुख है या चन्द्र है।
स्पष्टीकरण— प्रस्तुत उदाहरण में मुख (उपमय) को देखकर यह निश्चय नही हो पाता कि यह मुख ही है या चन्द्र है इसलिए यहां सन्देह अलंकार है।
सारी बिच नारी है कि नारी बिच सारी है।
कि सारी ही की नारी है, कि नारी ही की सारी है।।
स्पष्टीकारण— प्रस्तुत उदाहरण में नारी और सारी के विषय में संशय है, अत: यहाँ सन्देह अलंकार है।
निष्कर्ष,
इस आर्टिकल में हमने संदेह अलंकार की परिभाषा, लक्षण एवं उदाहरण आदि के बारे में विस्तार से जाना हैं।
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