सम्पर्क भाषा किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।

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व्यापकतापूर्वक विचार करने पर ज्ञात होता है कि किसी देश की राष्ट्रभाषा ही उसकी सम्पर्क भाषा होती है। किसी भाषा को राष्ट्र स्तर की स्वीकृति मिलना ही उसे सम्पर्क भाषा बनने के लिए पर्याप्त नहीं है क्योंकि संपर्क भाषा का धरातल अपेक्षाकृत व्यापकता सम्पन्न होता है।

किसी भाषा को सम्पर्क भाषा बनने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी उसे स्वीकृति मिलना आवश्यक होता है। यह भी आवश्यक नहीं होता कि किसी देश की सम्पर्क भाषा, उस देश की राष्ट्रभाषा ही है। एक ही देश की राष्ट्रभाषा दूसरी और सम्पर्क भाषा दूसरी हो सकती है।

अंग्रेजी में इसे ‘लिंक लैंग्वेज‘ कहते हैं। डॉ.रामदरश राय ने लिखा है कि – “राष्ट्रभाषा ही वस्तुतः सम्पर्क भाषा होती है समृद्धी और व्यापक अस्तित्व के कारण कोई भाषा प्रथमत: राष्ट्रीय गौरव हासिल करती है। तदनन्तर वही राष्ट्रभाषा अपने विविध राज्यों से सम्पर्क-सूत्र बनाये रखने में काम आती है अतः कहा जा सकता है कि जो भाषा राष्ट्र के समस्त, अन्तरंग एवं बहिरंग क्रियाकलापों में स्वीकृति, निहित सहयोगिनी बनी रहती है, ‘सम्पर्क भाषा’ होती है।

भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी है और सम्पर्क भाषा अंग्रेजी, क्योंकि विभिन्न भाषा – भाषी क्षेत्रों प्रांतों एवं राष्ट्रों के साथ भारत अंग्रेजी भाषा के द्वारा ही सम्पर्क स्थापित करता है।

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