प्रश्न: हास्य रस की परिभाषा लिखिए तथा उसका एक उदाहरण दीजिए
—–उत्तर—–
परिभाषा: काव्य में किसी की विचित्र वेश – भूषा, आकृति, चेष्टा आदि हँसी उत्पन्न करने कार्यो का वर्णन हास रस कहलाता है। तथा यही हास जब विभाव अनुभाव तथा संचारी भाव से पुष्ट हो जाता है तो उसे हास रस कहा जाता है।
उदाहरण: —
सीस पर गंगा हँसै, भुजनि भुजंगा हँसै,
हास की को दंगा भयो, नंगा के विवाह में।
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