भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय – Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi

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इस आर्टिकल में हम भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय पढेंगे, तो चलिए विस्तार से पढ़ते हैं भीमराव अम्बेडकर पर संपूर्ण जानकारी | Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi. जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है।

लोकप्रिय डाॅ. भीमराव अम्बेडकर भारतीय बहुज्ञ, संविधान शिल्पी, प्रथम कानून एवं न्यायमन्त्री, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे।

विषय-सूची

Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi – Bhimrao Ambedkar Ka Jivan Parichay

नाम (Name)डॉ. भीमराव अम्बेडकर
जन्म का नाम (Name at birth)भिवा, भीम, भीमराव
अन्य नाम (Other Name)बाबासाहब आम्बेडकर
जन्म (Date of Birth)14 अप्रैल 1891 ई.
जन्म स्थान (Birth Place)मऊ (मध्यप्रदेश), ब्रिटिश भारत
पिता का नाम (Father Name)रामजी मालोजी सकपाल
माता का नाम (Mother Name)भीमाबाई
पत्नी का नाम (Wife name)रमाबाई , सविता अम्बेडकर
सन्तान (Children)यशवंत आम्बेडकर
मृत्यु (Date of Death)6 दिसम्बर 1956 ई०
मृत्यु स्थान(Death Place)नयी दिल्ली, भारत
उम्र (Age)65 वर्ष
राष्ट्रीयता (Nationality)भारतीय
समाधि स्थल (Grave site)चैत्य भूमि, मुंबई, महाराष्ट्र
राजनीतिक दलशेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन, स्वतंत्र लेबर पार्टी, भारतीय रिपब्लिकन पार्टी
व्यवसायवकील, प्रोफेसर व राजनीतिज्ञ
धर्मबौद्ध धम्म
समितिसंविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष
भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi

भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय – Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi

भीमराव रामजी अम्बेडकर जिन्हें सब बाबा साहब के नाम से जानते हैं, प्रसिद्ध भारतीय विधिशास्त्री, राजनेता, दर्शनशास्त्री, विचारक, इतिहासकार, लेखक, विद्धान, अर्थशास्त्री और समाजशास्त्री थे। भीमराव अम्बेडकर ने अपना पूरा जीवन हिन्दू जाति व्यवस्था और भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष में व्यतीत किया। वह देश में व्याप्त वर्ण-व्यवस्था के घोर आलोचक थे। वह जीवन भर दलित वर्ग के सामाजिक-आर्थिक उत्थान|

शिक्षा एवं संगठन के लिए प्रयास करते रहे। उन्होंने हिन्दू | समाज में व्याप्त कुरीतियों का खुलकर विरोध किया। उन्हें ‘संविधान का निर्माता’ तथा ‘भारतीय संविधान का प्रमुख वास्तुकार’ (Architect) भी कहा जाता है। क्योंकि वह संविधान का निर्माण करने हेतु गठित कमेटी के चेयरमैन थे। उन्होंने भारत में बौद्ध धर्म का पुर्नजागरण किया। उन्होंने हजारों अछूतों को बौद्ध धर्म की दीक्षा दिलाई। 1990 में उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

भीमराव अम्बेडकर का प्रारम्भिक जीवन

डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 ई. को मऊ (मध्यप्रदेश) में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था। वह अपने माता पिता की नौदहवीं और अन्तिम संतान थे। उनका परिवार रत्नागिरि जिले के अम्बावाड़ी कस्बे से होने के कारण मराठी पृष्ठभूमि का था। वह हिन्दू महार जाति से सम्बन्ध रखते थे | जो अछूत समझी जाती थी और सामाजिक आर्थिक दृष्टि से हेय मानी जाती थी। अम्बेडकर के पूर्वजों ने ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी की फौज में काम किया था और उनके पिता रामजी सकपाल मऊ केन्टोनमेंट में भारतीय सेना में सेवारत रहे।

अम्बेडकर को इस छूआछूत से तीव्र पीड़ा होती थी। रामजी सकपाल 1894 में सेवानिवृत्त हो गये और उनका परिवार दो वर्ष पश्चात सतारा चला गया। इसके कुछ ही समय बाद अम्बेडकर की माता की मृत्यु हो गयी। अम्बेडकर और उनके भाई-बहिनों का पालन-पोषण उनके पिता के भाई-भाभी ने किया। अम्बेडकर ने विषम परिस्थितियों का सामना करते हुये अपनी पढ़ाई जारी रखी। अपने सब भाई-बहिनों में से एकमात्र वही उच्च शिक्षा ग्रहण कर सके। 2 फरवरी 1913 को उनके पिता की मृत्यु हो गयी।

शिक्षा के लिए भीमराव अम्बेडकर का विद्यार्थी जीवन में संघर्ष

डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी का विद्यार्थी जीवन संघर्षों से भरा हुआ था उन्होंने स्वयं शिक्षा प्राप्त करने के लिए तथा गरीब एवं दलित परिवारों के बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष संघर्ष एवं कठिनाइयों का सामना किया | उनके पिता ने मराठी और अंग्रेजी भाषा की औपचारिक शिक्षा ग्रहण की थी। अतः अपने | बच्चों को स्कूल भेजने और पढ़ाने के लिए उन्होंने भरपूर प्रोत्साहन दिया। यद्यपि उस समय हिन्दू समाज में वर्ण व्यवस्था पूरी तरह हावी थी और छोटी जाति के लोगों को विद्यालय में प्रवेश नहीं दिया जाता था।

उनके पिता ने अपने सेना के पद के प्रभुत्व का प्रयोग कर अपने बच्चों को स्कूल में दाखिला तो दिलवा दिया किन्तु वहां भी भेद-भाव का बोलबाला था। छोटी जाति के लोगों को कक्षा में अलग से बैठाया जाता था और उनको सबके लिए रखे गये घड़े से पानी पीना वर्जित था जब भी दलित वर्ग के किसी विद्यार्थी को पानी पीना होता था तो चपरासी उसे ऊपर से डालकर पानी पिलाया करता था।

भारत सरकार अधिनियम 1919 का निर्माण करने के दौरान साउथ बोरोग कमेटी ने उन्हें आमन्त्रित किया। अम्बेडकर ने दलित वर्ग और अन्य धार्मिक | समुदायों के लिए अलग निर्वाचन और आरक्षण की मांग की। 1920 में उन्होंने कोल्हापुर के महाराज शाहू जी प्रथम के सहयोग से मूक नायक (Leader of the Silent) नामक एक जर्नल निकाला। अपने इस जर्नल के द्वारा उन्होंने जाति व्यवस्था पर करारी प्रहार किया और अन्धविश्वासी हिन्दू नेताओं और राजनीतिज्ञों को सबक | सिखाया कोल्हापुर में आयोजित एक सभा में उन्होंने दलित वर्ग पर एक प्रभावशाली भाषण दिया जिससे कोल्हापुर के तत्कालीन सम्राट शाहू चतुर्थ अत्यन्त प्रसन्न हुए और उन्हें अपने साथ भोज का निमन्त्रण दिया।

भीमराव अम्बेडकर की शिक्षा (Bhimrao Ambedkar Education)

डॉ० भीमराव अम्बेडकर जी की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही विद्यालय से प्रारंभ हुई | बाद में 1907 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और बम्बई विश्वविद्यालय के एल्फिंस्टन कॉलेज में प्रवेश लिया | वह भारत के दलित वर्ग के पहले ऐसे छात्र थे जिन्होंने कॉलेज में प्रवेश लिया | 1908 में उन्हें बड़ौदा के शासक साहजी राव तृतीय द्वारा ₹25 मासिक की छात्रवृत्ति प्रदान की गयी | 1912 में उन्होंने मम्बई विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में डिग्री प्राप्त कर ली |

1913 में उन्हें बड़ौदा राज्य से 11.50 ब्रिटिश पाँड की मासिक छात्रवृत्ति तीन वर्ष के लिए प्रदान की गयी ताकि वह कोलम्बिया विश्वविद्यालय में राजनीति | शास्त्र विभाग में एक परास्नातक विद्यार्थी के रूप में अध्ययन कर सकें। न्यूयॉर्क में वह अपने एक पारसी दोस्त नवल भथेना के साथ लिविंगस्टन हॉल में रहे। जून 1913 में उन्होंने एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली |

अक्टूबर 1916 में उन्होंने कानून पढ़ने के लिए Gray’s Inn और अर्थशास्त्र तथा राजनीति विज्ञान की पढ़ाई के लिए लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स एण्ड पॉलिटिकल साइंस में प्रवेश ले लिया। वहां उन्होंने शोध कार्य करना भी प्रारम्भ कर दिया। जून 1917 में वह भारत वापिस लौटे, क्योंकि उनकी छात्रवृत्ति की समय सीमा समाप्त हो गयी थी। 1922 में उन्होंने लंदन स्कूल और इकनोमिक्स से एम. एस.सी. (अर्थशास्त्र) की डिग्री प्राप्त की तथा लंदन स्कूल में अपना शोध पत्र जमा किया। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की शिक्षा का कोई अंत नहीं है |

  • मुंबई विश्वविद्यालय (बी०ए०)
  • कोलंबिया विश्वविद्यालय (एम०ए०, पीएच०डी०, एलएल०डी०)
  • लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (एमएस०सी०, डीएस०सी०)
  • ग्रेज इन (बैरिस्टर-एट-लॉ)

भीमराव अम्बेडकर का विवाह (bhimrao ambedkar marriage)

अम्बेडकर का पहला विवाह 1898 में रमाबाई के साथ हुआ। अम्बेडकर का दूसरा विवाह सविता अम्बेडकर के साथ हुआ। विवाह से पहले उन्हें शारदा कबीर के नाम से जाना जाता था। इस विवाह से उन्हें पुत्र यशवंत की प्राप्ति हुई। सविता अम्बेडकर की मृत्यु 2002 में हुई। उन्होंने भी बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था।

भीमराव अम्बेडकर के पुत्र और पुत्रवधू (Bhimrao Ambedkar son and daughter-in-law)

उनके पुत्र यशवंत (जिन्हें सब भईया साहब अम्बेडकर कहकर पुकारते हैं) और उनकी पुत्रवधू मीताताई अम्बेडकर भारतीय बौद्ध महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं।

बौध्द धर्म (Bhimrao Ambedkar Buddhism)

नृविज्ञान (Anthropology) विषय के विद्यार्थी होने के कारण उन्होंने यह खोज की कि महार जाति के लोग मूल रूप से प्राचीन भारत के बौद्ध धर्मावलम्बी हैं। अम्बेडकर ने अपने पूरे जीवन बौद्ध धर्म की शिक्षा ग्रहण की और इसी सन्दर्भ में वह श्रीलंका भी गये। उन्होंने पुणे के समीप एक बौद्ध विहार के निर्माण में भी सहयोग प्रदान किया। 1954 में वह बौद्धों के एक विश्वव्यापी सम्मेलन में रंगून गये। 1955 में उन्होंने भारतीय बौद्ध महासभा अर्थात् Buddhist Society of India की स्थापना की।

भीमराव अम्बेडकर का राजनीतिक जीवन (Bhimrao Ambedkar Political Life)

1922 में ही अम्बेडकर जो ने स्वतंत्र रूप से | अपनी वकालत प्रारम्भ कर दी। अपने कैरियर के प्रारम्भ में ही ब्राह्मणों ने उन पर एक मुकदमा दर्ज कर दिया क्योंकि उन्होंने अपने एक लेख में यह लिखा था कि ब्राह्मणों ने देश को बरबाद कर दिया है। अम्बेडकर ने अपना केस बहुत मजबूती से लड़ा और अक्टूबर 1926 में मुकदमा जीत गये। इस जीत ने दलित वर्ग में उन्हें नेता बना दिया।

देश के विभाजन प्रश्न पर वह प्रारम्भ में मुस्लिम की पाकिस्तान खिलाफ किन्तु बाद उन्होंने कहा कि यदि मुसलमान अलग से पाकिस्तान बनाना तो कर चाहिए। वह मुस्लिम समाज व्याप्त बुराइयों जैसे बालविवाह, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार आदि की रूप निन्दा करते थे। उन्होंने एक लिखा मुस्लिम समाज समाज से अधिक मौजूद पर्दाप्रथा का | विरोध किया। वह चाहते थे कि हमारे देश मुसलमान के मुसलमानों की भांति अपने सुधार लायें।

1951 में हिन्दू कोड बिल के मुद्दे पर उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। यह बिल उत्तराधिकार, विवाह और आर्थिक मुद्दों पर लिंग सम्बन्धी भेद-भाव करता था। बाद में सन् 1952 में अम्बेडकर ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा का चुनाव लड़ा किन्तु हार गये। मार्च 1952 में उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया गया और आजीवन वह इसके सदस्य बने रहे।

भीमराव अम्बेडकर जी द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्य (Important work done by Bhimrao Ambedkar)

1922 में ही अम्बेडकर जो ने स्वतंत्र रूप से | अपनी वकालत प्रारम्भ कर दी। अपने कैरियर के प्रारम्भ में ही ब्राह्मणों ने उन पर एक मुकदमा दर्ज कर दिया क्योंकि उन्होंने अपने एक लेख में यह लिखा था कि ब्राह्मणों ने देश को बरबाद कर दिया है। अम्बेडकर ने अपना केस बहुत मजबूती से लड़ा और अक्टूबर 1926 में मुकदमा जीत गये। इस जीत ने दलित वर्ग में उन्हें नेता बना दिया। बम्बई उच्च न्यायालय में वकालत करने के दौरान उन्होंने दलित वर्ग के लोगों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने के बहुत प्रयास किये।

उन्होंने बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की ताकि समाज के दलित वर्ग को सामाजिक और आर्थिक रूप से ऊपर उठाया जा सके। उन्होंने दलित वर्ग को शिक्षा के लिए प्रोत्साहन दिया। 1927 में उन्होंने छुआ-छूत विरोधी आन्दोलन प्रारम्भ किया। उन्होंने महाद में सत्याग्रह का नेतृत्व किया जिसका उद्देश्य दलित वर्ग के लोगों को मुख्य पानी की टंकी से पानी लेने हेतु अधिकार प्रदान करना था।

1925 में उन्हें बॉम्बे प्रेसीडेन्सी कमेटी का सदस्य बनाया गया और यूरोपियन साइमन कमीशन के साथ कार्य करने के लिए कहा गया। इस कमीशन का पूरे भारत में विरोध किया गया और इसकी रिपोर्ट को अधिकांश भारतीयों ने अस्वीकार कर दिया। अम्बेडकर ने भावी संवैधानिक संस्तुतियों के साथ अपनी एक अलग रिपोर्ट भेजी।

दलित वर्ग में उनकी लोकप्रियता और प्रभुत्व को देखते हुए 1932 में उन्हें दूसरे गोलमेज सम्मेलन में आमन्त्रित किया गया। महात्मा गांधी जी ने दलितों के लिए अलग निर्वाचन का खुलकर विरोध किया क्योंकि वह जानते थे कि ऐसा करने से हिन्दू समाज विभाजित हो जायेगा। अम्बेडकर दलित वर्ग के लिए अलग निर्वाचन की मांग कर रहे थे जिस पर गांधी जी ने पुणे की यरवदा जेल में 1932 में आमरण अनशन किया।

सम्पूर्ण राष्ट्र के बड़े-बड़े नेताओं (जैसे मदन मोहन मालवीय) और कांग्रेस राजनीतिज्ञों ने अम्बेडकर और उनके सहयोगियों के साथ यरवदा जेल में गांधीजी से मुलाकात की। अम्बेडकर और गांधीजी के बीच एक समझौता हुआ जिसके फलस्वरूप अम्बेडकर ने अलग निर्वाचन की मांग छोड़ दो किन्तु दलित वर्ग के लिए कुछ सीटों के आरक्षण को मांग को जारी रखा इस समझौते को पूना पैक्ट के नाम से जाना जाता है।

भीमराव अम्बेडकर संविधान निमार्ण (Bhimrao Ambedkar constitution making)

15 अगस्त 1947 को देश आजाद होने के उपरान्त वह भारत पहले विधिमंत्री बनायें गये। 29 अगस्त 1947 उन्हें संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी चेयर मैन बनाया गया और स्वतंत्र भारत का नया संविधान लिखने का कार्यभार सौंपा गया। अम्बेडकर ने भारतीय आत्मा और पश्चिमी देशों के | विकास के सिद्धान्त को आधार बनाते हुए संविधान की रचना की। उनके द्वारा लिखित संविधान में नागरिकों को अनेक प्रकार की स्वतन्त्रता प्रदान की गई जिनमें धर्म की स्वतन्त्रता भी शामिल थी।

उन्होंने संविधान में छूआ-छूत और भेद भाव को मिटाने सम्बन्धी अनेक प्रावधान किये। उन्होंने स्त्रियों को आर्थिक एवं सामाजिक अधिकार प्रदान किये। प्रशासनिक सेवाओं में आरक्षण व्यवस्था उन्हीं की देन है। दलित वर्ग को ऊपर उठाने और सामाजिक, आर्थिक विषमताओं को समाप्त करने हेतु हमारे संविधान में अनेक प्रावधान उनकी ही सलाह पर किये गये। 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान को स्वीकार कर लिया गया।

भीमराव अम्बेडकर की मृत्यु (bhimrao ambedkar death)

1948 में उनको मधुमेह (Diabetes) रोग हो गया। 1954 में उनकी नजर भी कमजोर हो गई। 6 दिसम्बर 1956 को दिल्ली में अपने घर में उनकी मृत्यु हो गयी। 7 दिसम्बर को उनका दाह संस्कार दादर चौपाटी पर बौद्ध धर्म के अनुसार किया गया।

पत्रकारिता (Bhimrao Ambedkar Journalism)

प्राचीन भारतीय वाणिज्य (Ancient Indian Commerce) पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। 1916 में उन्होंने एक अन्य शोध पत्र लिखा (National Dividend of India – A Historic & Analytical Study) 1 9 मई को उन्होंने प्रो. अलेक्जेंडर, गोल्डन वीजर द्वारा आयोजित सेमिनार में एक पत्र पढ़ा जिसका विषय था- Caste in India. their Mechanism. Genesis & Development.

भीमराव अम्बेडकर की पुस्तकें व प्रमुख रचनाएँ (Bhimrao Ambedkar Books and Major Works)

उन्होंने The Annihilation of Caste नाम एक पुस्तक प्रकाशन किया उनके शोध पत्र पर आधारित उन्होंने ‘शूद कौन थे?’ नाम एक पुस्तक लिखी जिसमें शूद्रों उत्पत्ति सम्बन्धित सारा वृत्तान्त लिखा। उन्होंने ऑल इण्डिया शिड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन स्थापना की। 1948 अम्बेडकर The Untouchables: thesis the origin Untouchablity लिखकर हिन्दुत्व पर वर्ण व्यवस्था के घोर विरोधी थे। 1941 से 1945 मध्य उन्होंने अनेक पुस्तकें एवं लेख लिखे।

उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं एवं उन पर अनेक पुस्तकें लिखीं गयीं जिनमें प्रमुख इस प्रकार हैं

पुस्तकें:

  • अनाइहिलेशन ऑफ कास्ट्स (जाति प्रथा का विनाश ) ( मई 1936)
  • विच वे टू इमैनसिपेशन (मई 1936)
  • फेडरेशन वर्सेज़ फ्रीडम (1936)
  • पाकिस्तान और द पर्टिशन ऑफ़ इण्डिया / थॉट्स ऑन पाकिस्तान (1940)
  • रानडे
  • गांधी एंड जिन्नाह (1943 )
  • मिस्टर गांधी एण्ड दी एमेन्सीपेशन ऑफ़ दी अनटचेबल्स (सप्टेबर 1945)
  • वॉट कांग्रेस एंड गांधी हैव इन टू द अनटचेबल्स ? ( जून 1945)
  • कम्यूनल डेडलाक एण्ड अवे टू साल्व इट ( मई 1946)
  • हू वेट दी शूद्राज़ ? (अक्तूबर 1946)
  • द कैबिनेट मिशन एंड द अंटचेबल्स (1946)
  • स्टेट्स एण्ड माइनोीटीज (1947)
  • महाराष्ट्र एज ए लिंग्विस्टिक प्रोविन्स स्टेट (1948)
  • द अनटचेबल्स: हू वेट दे आर व्हाय दी बिकम अनटचेबल्स (अक्तूबर 1948)
  • द बुद्धा एंड हिज धम्मा (भगवान बुद्ध और उनका धम्म) (1957)

भीमराव अम्बेडकर की पुरस्कार और सम्मान (Bhimrao Ambedkar Awards and Honors)

अम्बेडकर की स्मृति में उनके निवास 26, अलीपुर रोड, पर स्मारक का निर्माण किया गया। उनका जन्मदिन, जिसे एक सरकारी अवकाश घोषित किया गया है, अम्बेडकर जयन्ती या भीम जयन्ती के नाम से सम्पूर्ण राष्ट्र में मनाया जाता है। मृत्यु के उपरान्त 1990 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनके नाम से अनेक संस्थाओं की स्थापना की गई। जैसे- बाबा साहब अम्बेडकर खुला विश्वविद्यालय हैदराबाद, डा. बी. आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय- श्रीकाकुलम, (आन्ध्र प्रदेश), बी. आर. अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर, डा. बी. आर. अम्बेडकर नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी- जालंधर आदि।

उनके नाम पर नागपुर में डा. बाबा साहब अम्बेडकर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट बनाया गया जिसे सोनेगांव एयर पोर्ट भी कहते हैं। संसद में उनका एक बड़ा छाया चित्र भी लगाया गया है। हर वर्ष उनके जन्म दिन 14 अप्रैल, उनकी पुण्य तिथि 6 दिसम्बर और उनके धम्म चक्र प्रवर्तन दिन दिवस 14 अक्टूबर को लाखों लोग उनके स्मारक पर मुम्बई पहुंचते हैं। उन्होंने समाज को यही संदेश दिया पढ़ो, आगे बढ़ो, संगठित हो। बहुजन समाजवादी पार्टी नेता सुश्री मायावती जी के द्वारा लखनऊ में उनकी स्मृति में डा. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल का निर्माण कराया गया।

  • बोधिसत्व (1956)
  • भारत रत्न (1990)
  • पहले कोलंबियन अहेड ऑफ देअर टाईम (2004)
  • द ग्रेटेस्ट इंडियन (2012)

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