भाषा व्यवस्था के अर्थ को स्पष्ट कीजिए

भाषा व्यवस्था एक आदर्शात्मक अवधारणा है। इस सैद्धान्तिक अवधारणा में विश्व की सभी भाषाएं समाहित हैं। अर्थात यह व्यक्ति के सापेक्ष न रहकर सामाजिक होती हैं। भाषा व्यवस्था अमूर्त होती है। भाषा व्यवस्था ध्वनियों और लिपि चिन्हों से आबद्ध नहीं रहती हैं। वह …

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भाषा और लिपि में क्या अंतर है?

भाषा और लिपि में निम्नलिखित अंतर है. Bhasha Aur Lipi Mein Kya Antar Hai: क्रमांक भाषा लिपि 1. भाषा मेंउच्चरित ध्वनि संकेत होते है। जो स्वनिम कहलाते है। लिपि में लिखित ध्वनि संकेत होते हैं जो लेखिम कहलाते है। 2. भाषा स्थान …

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उपबोली किसे कहते हैं?

Answer: उपबोली का क्षेत्र बोली की अपेक्षा संकुचित होता है। डॉ. भोलानाथ तिवारी ने इसे स्थानीय बोली भी कहा है। एक बोली में कई – कई उपबोलियाँ होती हैं। ये भेद दिशाओं के आधार पर (जैसे – उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी) या …

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अविकारी कृदन्त की परिभाषा दीजिए

अविकारी कृदन्त को अपरिवर्तनीय कृदन्त भी कहते हैं। इसके तीन भेद होते हैं, जो इस प्रकार हैं – (1) पूर्वकालिक कृदन्त:- पूर्वकालिक कृदन्त के भीतर हम उस विषय का अध्ययन करते हैं जिसमें कथन के क्षणों में कार्य हो चुका होता है। …

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सम्पर्क भाषा किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।

व्यापकतापूर्वक विचार करने पर ज्ञात होता है कि किसी देश की राष्ट्रभाषा ही उसकी सम्पर्क भाषा होती है। किसी भाषा को राष्ट्र स्तर की स्वीकृति मिलना ही उसे सम्पर्क भाषा बनने के लिए पर्याप्त नहीं है क्योंकि संपर्क भाषा का धरातल अपेक्षाकृत …

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