पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध | Environmental Pollution Essay in Hindi

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इस लेख में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay) बहुत ही सरल और सुव्यवस्थित हिन्दी भाषा में क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया है जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है पर्यावरण प्रदूषण को अंग्रेज़ी में Environmental Pollution कहते है। Environmental Pollution Essay in Hindi.

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यदि परीक्षा में ऊपर दिए सम्भावित शीर्षको में से किसी पर भी निबंध लिखना हो तब भी नीचे लिखा हुआ निबंध लिख सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में – Paryavaran Pradushan Par Nibandh

आज हमारा वायुमण्डल अत्याधिक दूषित हो चुका है, जिसकी वजह से मानव का जीवन खतरे में आ गया है। आज यूरोप के कई देशो में प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है। जिसके कारण वहां कभी – कभी अम्ल – मिश्रित वर्षा होती है। ओस की बूँदों में भी अम्ल मिला रहता है। यदि समय रहते हुए हमने इस तरफ ध्यान नही दिया तो एक दिन विश्व में संकट छा जायेगा।

Environmental Pollution Essay in Hindi
Environmental Pollution Essay in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध | Environmental Pollution Essay in Hindi

रुपरेखा

  1. प्रस्तावना अथवा भूमिका |
  2. प्रदूषण का अर्थ अथवा तात्पर्य
  3. प्रदूषण क्या है |
  4. प्रदूषण के कारण |
  5. विभिन्न प्रकार के प्रदूषण — (वायु – प्रदूषण, जल – प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण, ध्वनि – प्रदूषण, रासायनिक प्रदूषण)|
  6. प्रदूषण की समस्या तथा इनसे होने वाली हानियाँ |
  7. प्रदूषण पर नियन्त्रण अथवा प्रदूषण की समस्या का समाधान |
  8. उपसंहार अथवा निष्कर्ष |

प्रस्तावना

चौदहवी शताब्दी में मुहम्मद तुगलक के जीवनकाल में इस्लामी दुनिया का प्रसिध्द यात्री इब्नबतूता भारत आया था | अपने संस्मरणों में उसने गंगा जल की पवित्रता और निर्मलता का उल्लेख करते हुए लिखा है कि मुहम्मद तुगलक ने जब दिल्ली छोड़कर दौलताबाद को अपनी राजधानी बनाया तो उसकी अन्य प्राथमिकताओं में उसने अपने लिए गंगा जल का प्रबंध भी सम्मिलित किया था |

गंगाजल को ऊँट, घोड़ो और हाथियों पर लादकर दौलताबाद पहुंचाने में डेढ़ – दो महीने लगते थे | कहा जाता है कि गंगा जल तब भी साफ़ और मीठा बना रहता था |

तात्पर्य यह है कि गंगाजल हमारी आस्थाओं और विश्वासों का प्रतीक इसी कारण बना था क्योकि वह सभी प्रकार के प्रदूषणों से मुक्त था किन्तु अनियंत्रित औद्योगीकरण हमारे अज्ञान एवं लोभ की प्रवृत्ति ने देश की अन्य नदियों के साथ गंगा को भी प्रदूषित कर दिया है |

आज का मानव औद्योगीकरण के जंजाल में फंसकर स्वयं ही एक ऐसा नीर्जीव पुर्जी बनकर रह गया है कि पर्यावरण की शुध्दता का ध्यान भी न रख सका |

इस समय हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती पर्यावरण को बचाने की है क्योकि पानी, हवा, मिट्टी वातावरण आदि प्रदूषित हो चुका है | वैज्ञानिकों का विचार है कि तन – मन की सभी बिमारियो को धो डालने की उसकी औषधीय शक्तियाँ अब समाप्त होती जा रही है |

यदि प्रदूषण इसी गति से बढता रहा तो गंगा के शेष गुण भी शीघ्र ही नष्ट हो जाएगे और तब गंगा तेरा पानी अमृत वाला मुहावरा निरर्थक हो जाएगा | अत: पर्यावरण प्रदूषण भारत ही नही वरन् पूरे विश्व की समस्या है |

प्रदूषण का अर्थ

अब प्रदूषण एक साधारण शब्द हो गया है क्योकि सभी स्थानों पर प्रदूषण है | प्रदूषण का अर्थ है वायु, जल, वातावरण, मिट्टी आदि को दूषित करना |

प्रदूषण वायु, जल एवं स्थल की भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं में होने वाला वह अवांछनीय परिवर्तन है जो मनुष्य और उसके लिए लाभदायक दूसरे जन्तुओ, पौधों, औद्योगिक संस्थानों तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुंचता है | नि:सन्देह सौरमण्डल में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन के होने के पूर्ण प्रमाण विद्यमान है |

प्रदूषण क्या है

पृथ्वी के वातावरण में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन तथा 1% अन्य गैसे शामिल है | इन गैसों का पृथ्वी पर समुचित मात्रा में होना अनिवार्य है किन्तु जब इन गैसों का अनुपातिक संतुलन बिगड़ जाता है तो जीवन के लिए प्रतिकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती है | वातावरण दूषित हो जाता है जो जीवधारियो के लिए किसी – न – किसी रूप में हानिकारक सिध्द होता है | इसे ही प्रदूषण कहते है |

प्रदूषण के कारण

उद्योगो से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट पदार्थ जल एवं मृदा प्रदूषण का तो कारण बनते ही है साथ ही इनके कारण वातावरण में विषैली गैसों के फ़ैलाने से वायु भी प्रदूषित होती है |

मनुष्य ने अपने लाभ के लिए जंगलो की तेजी से कटाई की है | जंगल के पेड़ प्राकृतिक प्रदूषण – नियंत्रक का काम करते है | पेड़ो के पर्याप्त संख्या में न होने के कारण भी वातावरण में विषैली गैसे जमा होती रहती है और उसका शोधन नही हो पाता |

मनुष्य सामान ढोने के लिए पॉलिथीन का प्रयोग करता है | प्रयोग के बाद इन पॉलिथीन को यूँ ही फेक दिया जाता है | ये पॉलिथीन नालियों को अवरूध्द कर देती है, जिसके फलस्वरूप पानी एक जगह जमा होकर प्रदूषित होता रहता है |

इसके अतिरिक्ति ये पॉलिथीन भूमि में मिलकर उसकी उर्वरा शक्ति को कम कर देती है | प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ ही मनुष्य की मशीनों पर निर्भरता बढ़ी है | मोटर, रेल, घरेलू मशीने इसके उदाहरण है | इन मशीनों से निकलने वाला धुँआ भी पर्यावरण के प्रदूषण के प्रमुख कारको में से एक है |

बढती जनसंख्या को भोजन उपलब्ध करवाने के लिए खेतो में रासायनिक एवं चमड़े के उद्योगों के अपशिष्टो को नदियों में बहा दिया जाता है | इस कारण जल प्रदूषित हो जाता है एवं नदियों में रहने वाले जन्तुओ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है |

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण

प्रदूषण की समस्या का जन्म जनसंख्या की वृध्दि के साथ – साथ हुआ है | विकासशील देशो में औद्योगिक एवं रासायनिक कचरे ने जल ही नहीं, वायु और पृथ्वी को भी प्रदूषित किया है | भारत जैसे देशो में तो घरेलू कचरे और गंदे जल की निकासी का प्रश्न ही विकराल रूप से खड़ा हो गया है | आज विकसित और विकासशील सभी देशो में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण विद्यमान है | इनमे से कुछ इस प्रकार है 

(i) वायु प्रदूषण

वायु जीवन का अनिवार्य स्त्रोत है | प्रत्येक प्राणी को स्वस्थ रूप से जीने के लिए शुध्द वायु की आवश्यकता होती है | आजकल वायुमंडल में ऑक्सीजन गैस का संतुलन बिगड़ गया है | और वायु अनेक हानिकारक गैसों से प्रदूषित हो गयी है | वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बनाए रखती है, किन्तु मनुष्य अपनी अज्ञानता के कारण तथा आवश्यकता के नाम पर इस संतुलन को बिगाड़ता रहता है इसे ही वायु -प्रदूषण कहते है |

अपनी आवश्यकता के लिए मनुष्य वनों को काटता है परिणामत: वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है | मिलो की चिमनियो से निकालने वाले धुएँ के कारण वातावरण में विभिन्न प्रकार की हानिकारक गैसे बढती चली जा रही है |

कोयले और तेल के जलने से सल्फर डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है | यह गैस वायु में पहुँचाने पर वर्षा या नमी के साथ घुलकर धरती पर पहुँचती है और गंधक का अम्ल बनाती है | यह नासिका में जलन पैदा करती है और फेफड़ो को प्रभावित करती है |

इतना ही नही इससे वस्त्र, धातु और प्राचीन इमारतों को भी क्षति पहुँचती है | वायु – प्रदूषण का मनुष्य के स्वास्थय पर बुरा प्रभाव पड़ता है इससे साँस समबन्धी बहुत – से रोग हो जाते है | इनमे फेफड़ो का कैंसर, दमा और फेफड़ो से सम्बंधित दूसरे रोग सम्मिलित है |

सीसे के कण नाडी – मंडल के रोग उत्पन्न करते है | ‘कैडमियम’ श्वसन – विष का कार्य करता है | नाइट्रोजन – ऑक्साइड से फेफड़ो, ह्रदय और आँखों के रोग हो जाते है | ‘ओजोन‘ आँख के रोग, खांसी एवं सीने की दु:खन उत्पन्न करती है|

(ii) जल – प्रदूषण

सभी जीवधारियों के लिए जल बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक है | पौधे अपना भोजन जल में घुली हुई अवस्था में ही प्राप्त करते है | जल में अनेक प्रकार के खनिज तत्व, कार्बनिक – अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसे घुली रहती है |

यदि जल में एकत्र हो जाते है तो जल प्रदूषित होकर हानिकारक हो जाता है | साबुन इत्यादि तथा गैसों के वर्षा के जल में घुलकर अम्ल व अन्य लवण बनाने से भी जल प्रदूषित हो जाता है | भारत में जल प्रदूषण एक प्रमुख समस्या है |

केन्द्रीय जन – स्वास्थ्य इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान‘ के अनुसार भारत में प्रति एक लाख व्याक्तियों में से 360 व्यक्तियों की मृत्यु आंत्रशोथ (टाइफॉइड, पेचिश आदि) से होती है, जिसका कारण अशुध्द जल है |

शहरों में रहने वाले हर व्यक्ति के लिए शुध्द पेयजल का प्रबंध नही है | देश के अनेक शहरों में पीने का पानी निकट बहने वाली नदियों से लिया जाता है | दुर्भाग्य से हम इन्ही नदियों में मिलो का कचरा, मल – मूत्र आदि प्रवाहित करते है |

इसके फलस्वरूप हमारे देश की अधिकांश नदियों का जल प्रदूषित होता जा रहा है | जल को जीवन कहा जाता है और यह माना जाता है कि सभी देवता जल में निवास करते है |

(iii) मृदा- प्रदूषण 

मृदा प्रदूषण का कारण मृदा में होने वाले अस्वाभाविक परिवर्तन है | प्रदूषित जल व वायु, उर्वरक, कीटाणुनाशक पदार्थ, अपतृणंनाशी इत्यादि मृदा को भी प्रदूषित कर देते है | इसके हानिकारक परिणाम निकलते है तथा पौधों की वृध्दि रुक जाती है, उनमे रोग उत्पन्न होने लगते है अथवा उनकी मृत्यु होने लगती है | यदि मृदीय ताप में अस्वाभाविक परिवर्तन लाने का प्रयास किया जाता है तो इसका जीव – जन्तुओ पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है |

(iv) रेडियोधर्मी प्रदूषण

परमाणु शक्ति केन्द्रों और परमाणु परीक्षण के फलस्वरूप जल, वायु तथा पृथ्वी का प्रदूषण निरन्तर बढ़ता जा रहा है | यह प्रदूषण आज की पीढ़ी के लिए ही नहीं, वरन् आने वाली पीढ़ियो के लिए भी हानिकारक सिध्द होगा |

विस्फोट के समय उत्पन्न रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमंडल की बाह्म परतो में प्रवेश कर जाते है जहाँ पर वे ठण्डे होकर संधनित अवस्था में बूँदों का रूप ले लेते है | और बहुत छोटे – छोटे धूल के कणों के रूप में वायु के झोको के साथ समस्त संसार में फ़ैल जाते है | द्वितीय महायुध्द में नागासाकी तथा हिरोशिमा में हुए परमाणु बम के विस्फोट से बहुत से मनुष्य अपंग हो गए थे | इतना ही नही, इस प्रकार के प्रभावित क्षेत्रो की भावी सन्तति भी अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो गई |

(v) ध्वनि प्रदूषण

तीखी आवाज या आवाज से ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न होता है | विभिन्न प्रकार के यंत्रो, वाहनों, मशीनों, जहाजो, राकेटो, रेडियो, टेलीविजन, पटाखों, लाउडस्पीकरो के प्रयोग से ‘ध्वनि प्रदूषण‘ विकसित होता है |

ध्वनि प्रदूषण की लहरे जीवधारियो की क्रियाओं को प्रभावित करती है | ध्वनि प्रदूषण प्रत्येक वर्ष दुगुना होता जा रहा है | ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य के सुनने की शक्ति का ह्मस होता है और उसे ठीक प्रकार से नींद भी नही आती | यहाँ तक कि ध्वनि – प्रदूषण के प्रभावस्वरूप स्नायुतन्त्र पर कभी – कभी इतना दबावपड़ जाता है कि पागलपन का रोग उत्पन्न हो जाता है |

(vi) रासायनिक प्रदूषण

आज कल प्राय: कृषक अधिक पैदावार के लिए कीटनाशक, शाकनाशक और रोगनाशक दवाईयों तथा रसायनों का प्रयोग करते है | आधुनिक पेस्टीसाइड्स का अन्धाधुन्ध प्रयोग भी लाभ के स्थान पर हानि ही पहुँचा रहा है |

जब ये रसायन वर्षा के जल के साथ बहाकर नदियों द्वारा सागर में पहुँच जाते है | तो ये समुद्री जीव – जन्तुओ तथा वनस्पति पर घातक प्रभाव डालते है | इतना ही नही, किसी न किसी रूप में मानव – शरीर भी इनसे प्रभावित होता है |

प्रदूषण से होने वाली हानियाँ अथवा उसके दुष्परिणाम

प्रदूषण हमारे स्वास्थ के लिए बहुत सी हानियाँ पैदा करता है | पर्यावरण प्रदूषण के कई दुष्परिणाम सामने आये है | इसका सर्वाधिक प्रतिकूल प्रभाव मानव के स्वास्थ्य  पर पड़ा है | प्रदूषण के कारण आज मनुष्य का शरीर अनेक बीमारियों का घर बनता जा रहा है |

खेतो में रासायनिक उर्वरको के माध्यम से उत्पादित खाद्य – पदार्थ स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सही नहीं है | वातावरण में धुली विषैली गैसों एवं धुएँ के कारण शहरों में मनुष्य का साँस लेना भी दुर्लभ होता जा रहा है |

विश्व की जलवायु में तेजी से हो रहे परिवर्तन का कारण भी पर्यावराणीय असंतुलन एवं प्रदूषण ही है | ओजोन परत में छिद्र की समस्या भी प्रदूषण की ही उपज है |

वर्ष 2014 के अंत में यू०एन०ई०पी० द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष वायु प्रदूषण से जुड़ी लगभग एक लाख मौते भारत सहित अमेरिका, ब्राजील, चीन, यूरोपीय संघ व मैक्सिको में होती है | यह रिपोर्ट पर्यावरण प्रदूषण से होने वाली हानियों का जीता – जागता प्रमाण है |

प्रदूषण निवारण के उपाय अथवा प्रदूषण पर नियन्त्रण

प्रदूषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सरकारी दोनों ही स्तरों पर पूरे प्रयास आवश्यक है | औद्योगीकरण के पूर्व यह समस्या इतनी गंभीर कभी नही हुई थी और न इस परिस्थिति की ओर वैज्ञानिको व अन्य लोगो का उतना ध्यान ही गया था,

किन्तु औद्योगीकरण और जनसंख्या दोनों ही की वृध्दि ने संसार के सामने प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न कर दी है | वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए वृक्षारोपण सर्वश्रेष्ठ साधन है। दूसरी ओर पौधों के कटान पर भी रोक लगायी जानी चाहिए |

औद्योगिक कचरो और मशीनों को बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए | परमाणु परीक्षणों पर नियन्त्रण करना चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकरों पर रोक लगाना चाहिए | प्रसन्नता की बात है कि जल – प्रदूषण के निवारण एवं नियंत्रण के लिए भारत सरकार ने सन् 1974 ई० से ‘जल – प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम‘ लागू किया है |

इसके अंतर्गत एक केन्द्रीय बोर्ड व सभी प्रदेशो में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गठित किये गए है | इस बोर्डो ने प्रदूषण – नियन्त्रण की योजनायें तैयार की है तथा औद्योगिक कचरो के लिए भी मानक निर्धारित किये है | इस समस्या से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किये जा रहे है |

सम्पूर्ण मानव जाति के अस्तित्व को समाप्त कर सकने में सक्षम इस वैश्विक समस्या पर अब समस्त विश्व समुदाय एक जुट है और इसके निवारण के उपायों की खोज में जुटा है |

उपसंहार

प्रदूषण के रोक थाम के प्रति व्यक्तियों तथा सरकार दोनों का सजक होना अत्यन्त आवश्यक है | जैसे – जैसे मनुष्य अपनी वैज्ञानिक शक्तियों का विकास करता जा रहा है, प्रदूषण की समस्या दिन – प्रतिदिन बढती ही जा रही है |

विकसित देशो द्वारा वातावरण का प्रदूषण सबसे अधिक बढ़ रहा है | यह एक ऐसी समस्या है जिसे किसी विशिष्ट क्षेत्र या राष्ट्र की सीमाओं में बाध कर नही देखा जा सकता है | यह विश्वव्यापी समस्या है, इस लिए सभी राष्ट्रों का संयुक्त प्रयास ही इस समस्या से मुक्ति पाने में सहायक हो सकता है |

पर्यावरण के प्रति जागरूकता से ही हम आने वाले समय में और अधिक अच्छा एवं स्वस्थ जीवन व्यातीत कर सकेगे और आने वाली पीढ़ी को भी प्रदूषण के अभिशाप से मुक्ति दिला सकेगे |

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