Kabir Das Short Biography In Hindi

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इस लेख में हम Kabir Das Short Biography In Hindi (कबीरदास का जीवन परिचय हिंदी में) के बारे में पढ़ेगें। बहुत ही सरल और सुव्यवस्थित हिन्दी भाषा में क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया है जिसे आप अपने कापी (Notebook) में लिख सकते है। जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है। 

Kabir Das Short Biography In Hindi

कबीरदास का जीवन परिचय हिंदी में – Kabir Das Short Biography In Hindi

नाम (Name)संत कबीरदास (Kabir Das)
जन्म (Birthday)1398 ई०, लहरतारा ताल, काशी
पिता का नाम (Father Name)नीरू
माता का नाम (Mother Name)नीमा
पत्नी का नाम (Wife Name)लोई
बच्चें (Childrens)कमाल (पुत्र), कमाली (पुत्री)
मुख्य रचनाएं (Kabir das Poems)साखी, सबद, रमैनी
मृत्यु (Death)1518 ई०, मगहर, उत्तर प्रदेश

Kabir Das Short Biography In Hindi

भक्तिकालीन धारा की निर्गुणाश्रयी शाखा के महान कवि कबीरदास जी का जन्म-संवत् 1455 वि० (1398 ई०) को ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को सोमवार के दिन माना जाता है। इनके जन्म के बारे में कुछ पंक्ति इस प्रकार है –

“चौदह सौ पचपन साल गये, चन्द्रवार एक ठाठ ठये।
जेठ सुदी बरसायत को, पूरनमासी प्रगट भये।।
धन गरजे दामिन दमके, बूँदे बरसे झर लाग गये।
लहर तालाब में कमल खिलिहैं, तहँ कबीर भानु परकास भये।।”

‘भक्त परम्परा’ में प्रसिद्ध है कि किसी विधवा ब्राह्मणी को स्वामी रामानन्द के आशीर्वाद से पुत्र होने पर उसने समाज के भय से काशी के समीप लहरतारा (लहर तालाब) के किनारे फेंक दिया था। तथा इनको नीमा और नीरू नामक जुलाहा दम्पति ने पाया और इनका नाम कबीर रखा। इनके जन्म स्थान में अनेक मत है जैसे – काशी, मगहर, आजमगढ़ जिले में बेलहरा गाँव किन्तु सर्वाधिक‍ स्वीकार मत काशी माना जाता है।

कबीर दास जी के गुरु का नाम रामानन्द था। कबीर अपने युग के महान समाज-सुधारक प्रतिभा-सम्पन्न एवं प्रभावशाली व्यक्ति थे। ये अनेक प्रकार के विरोधी संस्कारो में पले थे और किसी भी बाह्य आडम्बर, कर्मकाण्ड और पूजा-पाठ की अपेक्षा पवित्र, नैतिक और सादे जीवन को अधिक महत्व देते थे इन्होंने अपनी रचनाओं में हिन्दू और मुसलमान दोनो के रूढिगत विश्वासों एंव धार्मिक कुरीतियों का विरोध किया है। इनकी पत्नी का नाम लोई था। तथा इनके दो बच्चे थे एक पुत्र कमाल तथा एक पुत्री कमाली थी। कबीर दास जी की मृत्यु संवत् 1575 वि० (1518 ई०) को मगहर में मानी जाती है तथा कुछ पंक्ति इस प्रकार है –

बालपनौ धोखा में गयो, बीस बरिस तैं चेतन भयो।
बरिस सऊ लगि कीन्हीं भगती, ता पीछे सो पायी मुकती
।।”

साहित्यिक परिचय

सन्त कबीर एक उच्चकोटि के सन्त होने के साथ- साथ हिन्दी साहित्य के श्रेष्ठ कवि भी जाने जाते थे। ये केवल राम जपने वाले जड़ साधक नही थे सत्संगति से इन्हें जो बीज मिला उसे इन्होने अपने पुरुषार्थ से वृक्ष का रूप दिया। डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी ने कहा– हिन्दी साहित्य के हजार वर्षो में कबीर जैसा व्यक्तित्व लेकर कोई लेखक उत्पन्न नही हुआ महिमा में यह व्यक्तित्व केवल एक ही प्रतिद्वन्द्वी जानता है तुलसीदास

रचनाएँ

कबीर दास जी के संग्रह का नाम ‘बीजक‘ है जिसके तीन भाग हैं।

  1. साखी
  2. सबद
  3. रमैनी

कबीर जी ने अपनी रचनाओ में सधुक्कड़ी, पंचमेल खिचड़ी भाषा तथा रहस्यमयी, शैलियों का प्रयोग किया कबीर ने स्वयं कहा हैं –

मसि कागद छुयो नहीं, कमल गह्यो नहीं हाथ।”

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