महात्मा ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय – Mahatma Jyotiba Phule in Hindi

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इस आर्टिकल में हम महात्मा ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय (Mahatma Jyotiba Phule in Hindi) पढेंगे, तो चलिए विस्तार से पढ़ते हैं ज्योतिबा फुले पर संपूर्ण जानकारी:

Mahatma Jyotiba Phule in Hindi

विषय-सूची

ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय  (संक्षिप्त परिचय) | Mahatma Jyotiba Phule Biography In Hindi

पूरा नाम (Full Name)ज्योतिराव गोविंदराव फुले
अन्य नाम (Other Names)महात्मा फुले, जोतिबा फुले, जोतिराव फुले
जन्म (Date of Birth)11 अप्रैल 1827
मृत्यु (Date of Death)28 नवम्बर 1890
जन्म स्थान (Birth Place)पुणे, महाराष्ट्र
पिता का नाम (Father Name)गोविंदराव फुले
माता का नाम (Mother Name)ज्ञात नहीं
पत्नी का नाम (Wife name)सावित्रीबाई फुले
उपाधि महात्मा
जाति (Caste)माली
पेशा (Profession)समाजसेवा, दार्शनिक, दलित और स्त्री शिक्षा के लिए प्रथम हितेषी
भाषा (Language)मराठी

ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय – Jyotiba Phule Biography In Hindi

ज्योतिराव गोविंदराव फुले (जन्म :11 अप्रैल 1827) महात्मा ज्योतिराव गोविन्दराव फुले एक भारतीय समाजसुधारक, समाज प्रबोधक, महानविचारक, समाजसेवी, लेखक दार्शानिक तथा क्रांतिकारी कार्यकर्त्ता थे |इन्हें महात्मा फुले एवं ‘ज्योतिबा फुले‘ के नाम से जाना जाता है | सितम्बर 1873 में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया | महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिए इन्होने अनेक कार्य किये | समाज के सभी वर्गों को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समर्थक थे | ये भारतीय समाज में प्रचलित जति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुध्द थे |

ज्योतिबा फुले का आरम्भिक जीवन

महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 1827 ई० में पुणे में हुआ था | एक वर्ष की अवस्था में ही इनकी माता का देहान्त हो गया | इसलिए इनका पालन – पोषण एक बाई के द्वारा किया गया | वे बचपन से ही कुशाग्रबुध्दि के थे |

जन्म – स्थान

महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे (वर्तमान में महाराष्ट्र) में हुआ था |

माता – पिता

ज्योतिबा फुले के माता का नाम चिमणाबाई फुले तथा पिता का नाम गोविन्दराव फुले था |

ज्योतिबा फुले का शिक्षा

ज्योतिबा फुले ने कुछ समय पहले तक मराठी में अध्ययन किया, बीच में पढाई छूट गई और बाद में 21 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी में सातवीं कक्षा की पढाई पूरी की | ज्योतिबा फुले बहुत बुध्दिमान थे | वर्ष 1841 में, फुले का दाखिला स्काॅटिश मिशनरी हाईस्कूल (पुणे) में हुआ, यहाँ उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की |

ज्योतिबा फुले का अन्य नाम

महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले जी को महात्मा फुले, ज्योतिबा फुले, ज्योतिराव फुले के नाम से भी जाना जाता है |

ज्योतिबा फुले का पूरा नाम

ज्योतिबा फुले का पूरा नाम ज्योतिराव गोविन्दराव फुले था |

ज्योतिबा फुले का उपनाम / उपाधि

ज्योतिबा फुले का उपनाम महात्मा था |

ज्योतिबा फुले का जाति

ज्योतिबा फुले सब्जियों की खेती करने वाले माली जाति से सम्बन्धित थे |

ज्योतिबा फुले का “फुले” नाम कैसे पड़ा?

इनका परिवार कई पीढ़ियों पहले माली का काम करता था | और वे सतारा से पुणे फूल लाकर फूलो के माला व गजरे आदि बनाने का काम करते थे, इसलिए उनकी पीढ़ी ‘फुले‘ के नाम से जानी जाती थी |

ज्योतिबा फुले का विवाह

ज्योतिबा फुले ने बाह्मण – पुरोहित के बिना ही विवाह सस्कार आरम्भ कराया और इसे मुम्बई हाईकोर्ट से मान्यता भी मिली | इनका विवाह 1840 में ‘सावित्री बाई‘ से हुआ |

ज्योतिबा फुले की पत्नी / जीवनसाथी

ज्योतिबा फुले की पत्नी सावित्रीबाई फुले थी | जो कि विवाह के बाद में एक प्रसिध्द समाजसेवी और भारत की प्रथम महिला अध्यापिका बनी |

ज्योतिबा फुले जी को ‘महात्मा’ की उपाधि क्यों और किसने दिया

ज्योतिबा फुले की समाजसेवा देखकर मुम्बई की एक विशाल सभा में 11 मई, 1888 को महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता विठ्ठलराव कृष्णजी वाडेकर द्वारा उन्हें ‘महात्मा‘ की उपाधि से सम्मानित किया गया |

ज्योतिबा फुले द्वारा स्त्रियों की शिक्षा देने के लिए खोला गया पहला स्कूल

वर्ष 1848 में, उन्होंने अपनी पत्नी (सावित्रीबाई) को पढ़ना और लिखना सिखाया, जिसके बाद इस दपति ने पुणे (महाराष्ट्र) में लडकियों के लिए पहला स्वदेशी रूप में संचलित स्कूल खोला, जहाँ वे दोनों शिक्षण का कार्य करते थे | अत: लड़कियों और दलितों के लिए पहली पाठशाला खोलने का श्रेय ज्योतिबा फुले को दिया जाता है |

सत्यशोधक समाज की स्थापना

सितम्बर 1873 में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया, जिसका अर्थ था ‘सत्य के साधक’ | ताकि महाराष्ट्र में निम्न वर्गो को समान सामाजिक और आर्थिक लाभ प्राप्त हो सके |

अंग्रेजो द्वारा / वब्रिटिश सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधि

सन् 1883 में स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराने के महान कार्य के लिए उन्हें तत्कालीन ब्रिटिश भारत सरकार द्वारा ‘स्त्री शिक्षण के आद्यजनक‘ की उपाधि से सम्मानित किया गया|

ज्योतिबा फुले का शिक्षा में योगदान / ज्योतिबा फुले द्वारा किये गये महत्वपूर्ण कार्य

उन्होंने विधवाओं और महिलाओं के कल्याण के लिए बहुत काम किया | ज्योतिबा फुले ने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोध्दार का काम आरम्भ किया था तथा पुणे में 1848 ई० में लड़कियों के लिए भारत का पहला विद्यालय खोला | लोगो में नये विचार, नये चिन्तन की शुरुआत और आजादी की लड़ाई में उनके बनने का श्रये भी ज्योतिबा फुले को ही जाता है | इतना ही नहीं उन्होंने किसान और मजदूरों के हको के लिए भी संगठित प्रयास किया था | ऐसे महान समाजसेवी ने अछूतोंध्दार के लिए ‘सत्यशोधक समाज‘ स्थापित किया था | फुले जी ने शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए अनेक विश्वविद्यालयों की स्थापना की |

स्त्री शिक्षा में ज्योतिबा फुले का योगदान

उस जमाने में स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाति थी | अत: ऐसे समय में ज्योतिबा ने समाज को कुरीतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आन्दोलन चलाए | इनका मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है| फुले समाज को कुप्रथा, अन्धश्रध्दा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे | अपना सम्पूर्ण जीवन उन्होंने स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराने में, स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में व्यातीत किया | उन्होंने ने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे में बनाई | स्त्रियों की तत्कालीन दयनीय स्थिति से फुले बहुत व्याकुल और दुखी होते थे इसलिए उन्होंने दृढ़ निश्चय किया की वे समाज में क्रांतिकारी बदलाव ला कर ही रहेगे | उन्होंने अपनी धर्म पत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षा प्रदान की |

सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापिका थी |

ज्योतिबा फुले के मुख्य विचार अथवा विचारधारा

उनकी विचारधारा स्वतंत्रता, समतावाद और समाजवाद पर आधारित थी |

ज्योतिबा फुले थाॅमस पाइन की पुस्तक ‘द राइट्स ऑफ मैन‘ से प्रभावित थे और उनका मानना था कि सामाजिक बुराइयों का मुकाबला करने का एकमात्र जरिया महिलाओं एवं निम्न वर्गों को शिक्षा देना है |

ज्योतिबा फुले की प्रमुख पुस्तकें

इन्होने अपने जीवनकाल में कई पुस्तके भी लिखी –

  • गुलामगिरी (1873)
  • तृतीय रत्न (1855)
  • पोवाड़ा : छत्रपति शिवाजीराज भोसले यंचा (1869)
  • शक्तारायच आसुद (1881)
  • किसान का कोड़ा
  • अछूतों की कैफियत

आदि पुस्तके है | महात्मा ज्योतिबा व उनके संगठन के संघर्ष के कारण सरकार ने एग्रीकल्चर एक्ट पास किया |

ज्योतिबा फुले की मृत्यु

भारत के माहन समाजसेवक एव दार्शनिक ज्योतिबा फुले जी 28 नवम्बर 1890 ई० में सम्पूर्ण संसार को छोड़कर चले गये | मृत्यु के बाद उनका स्मारक फुलेवाड़ा, पुणे (मगाराष्ट्र) में बनाया गया है |

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