Mauryan Art (मौर्य कला)

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इस आर्टिकल में हम मौर्यकालीन कला / मौर्य कला (Mauryan Art) पढेंगे, तो चलिए विस्तार से पढ़ते हैं मौर्यकालीन कला (Mauryan Art). जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है।

Mauryan Art

मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य थे। इनके पिता का नाम चन्द्रवर्धन मौर्य था। जो पालि पिप्पलिवन के मोरिय गणराज्य के राजा थे। चंद्रगुप्त मौर्य ने ही अखण्ड भारत का निर्माण किया था। चन्द्रगुप्त मौर्य का शासनकाल 321 से 298 BC यानि ईसापूर्व तक रहा है।

मौर्य शासकों की सूची – List of Maurya Rulers

  1. चंद्रगुप्त मौर्य – 321-298 ईसा पूर्व
  2. बिन्दुसार – 298-271 ईसा पूर्व
  3. अशोक – 269-232 ईसा पूर्व
  4. कुणाल – 232-228 ईसा पूर्व
  5. दशरथ –228-224 ईसा पूर्व
  6. सम्प्रति – 224-215 ईसा पूर्व
  7. शालिसुक –215-202 ईसा पूर्व
  8. देववर्मन– 202-195 ईसा पूर्व
  9. शतधन्वन् – 195-187 ईसा पूर्व
  10. बृहद्रथ – 187-185 ईसा पूर्व

Mauryan Art – मौर्यकालीन कला

मौर्यकालीन कला को हम दो भागो में बाट सकते है।

  1. राजतक्षकों द्वारा निर्मित
  2. लोककला

राजतक्षकों द्वारा निर्मित

राजतक्षकों द्वारा निर्मित को चार भागों में बाट सकते है।

  1. राजप्रसाद
  2. गुहा
  3. स्तम्भ
  4. स्तूप

राजप्रसाद

महल को राजप्रसाद कहा जाता था।

1. एरियन के अनुसार-

चन्द्रगुप्त मौर्य के राज महल की तुलना सूसा और एकबेतना के महल भी नहीं कर सकते है।

2. फाहियान के अनुसार-

फाहियान एक चीनी यात्री है जो गुप्तकाल (पांचवी शताब्दी) में भारत आये थे।

मौर्य के महल मानव कृति नहीं है वरन् देवों द्वारा निर्मित है।

1914 – 1915 और 1951 में पुरातात्विक खुदाई हुई। और इसे प्रकाश में स्पुनर महोदर ने लाया। महल की सुंदरता इतनी बुलंद थी कि कुम्हार भी हार गया (यानी कुम्हार भी देखकर अचंभित रह गया) और विदेशी यांत्रियों को भी प्रशंसा करना पड़ा

यह कुम्रहार और बुलंदीबाग स्थान पर है। कुम्रहार और बुलंदीबाग पटना (बिहार) में हैं। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। मौर्य के महल लकड़ी के बने थे। (फर्श और छत लकड़ी के बने थे और पिलर (स्तम्भ) पत्थर के बने थे जिस पर मौर्यकालीन पालिश चढ़ा हुआ था) कुम्रहार में 80 स्तम्भों वाला कमरा मिला है (खुदाई में प्राप्त हुआ है) माना जाता है कि यहीं पर सम्राट अशोक ने तीसरी बौद्ध संगीति कराया था। तीसरी बौद्ध संगीति, मोग्गलिपुत्त तिस्स की अध्यक्षता में हुई थी और सम्राट अशोक के काल में हुई थी।

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Education / history

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