इस लेख में मदर टेरेसा का जीवन परिचय (Mother Teresa Biography in Hindi) बहुत ही सरल और हिन्दी में क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया है जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है. Mother Teresa Biography in Hindi. इससे पहले हम सावित्रीबाई फुले और महादेवी वर्मा के जीवन परिचय के बारे में पढ़ चुके है।
About Mother Teresa – मदर टेरेसा के बारे में – Mother Teresa Biography in Hindi
नाम | मदर टेरेसा (Mother Teresa) |
वास्तविक नाम | अगनेस गोंझा बोयाजिजू |
जन्म | 26 अगस्त 1910 उस्कुब, उस्मान साम्राज्य (आज का सोप्जे, उत्तर मैसिडोनिया) |
पिता का नाम | निकोला बोयाजू |
माता का नाम | द्राना बोजायू |
मृत्यु | 5 सितंबर 1997, कलकत्ता, भारत |
मदर टेरेसा पुरस्कार | नोबेल शांति पुरस्कार (1979) |
मदर टेरेसा का जीवन परिचय – Mother Teresa Biography in Hindi
प्रस्तावना
मदर टेरेसा जी एक अच्छी समाज सेविका थी वे समाज में रहने वाले गरीबो की और पीड़ितों की भी मदद करती थी। और मदर टेरेसा सभी कार्यों में पूर्णत: निपुण थी मदर टेरेसा समाजसेविका होने के साथ – साथ एक अच्छी गायिका भी थी। तथा उन्होने अपना सारा जीवन लोगो की सेवा में ही समर्पित कर दिया। पूरे विश्व में मदर टेरेसा के जैसा कोई भी नही है इन्होने अपने इसी गुण के कारण भारत देश का नाम रोशन किया है।
जन्म
मदर टेरेसा जी का जन्म 26 अगस्त 1910 को हुआ था।
जन्म – स्थान
मदर टेरेसा जी का जन्म-स्थान उस्कुब, उस्मान साम्राज्य (आज का सोप्जे, उत्तर मैसिडोनिया) में हुआ था।
माता-पिता
मदर टेरेसा के पिता का नाम निकोला बोयाजू था तथा इनके पिता एक साधारण व्यवसायी थे और इनकी माता का नाम द्राना बोजायू था।
टेरेसा का वास्तविक नाम
मदर टेरेसा का वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू‘ था ‘अलबेनियन‘ भाषा में गोझा का अर्थ ‘फूल की कली‘ होता है।
शिक्षा
मदर टेरेसा (Mother Teresa) जी की शिक्षा का कोई अन्त नही था। उन्हे अनेक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त था तथा इन्होंने आयरलैंड जाकर अंग्रेजी भाषा सीखी। अंग्रेजी सीखना इसलिए जरूरी था क्योंकि लोरेटो की सिस्टर्स इसी माध्यम मे बच्चों को भारत में पढ़ाती थीं। उन्होंने संगीत का भी अध्ययन किया था।
प्रारंभिक जीवन
इन्हें रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की सन्त टेरेसा के नाम से नवाजा गया है। मदर टेरेसा ‘रोमन कैथोलिक, नन‘ थी। जिन्होंने 1948 मे स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। इन्होंने 45 सालो तक गरीब, बीमार,अनाथ और मरते हुए लोगों की मदद की तथा 1950 में कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की, तथा उसका मार्ग भी प्रशस्त किया। वे इन सब कार्यो को करने के लिए 1970 इन मे प्रसिद्ध हो गयी। माल्कोम के कई वृत्तचित्र और पुस्तक जैसे समथिंग ब्यूटीफुल फॉर गॉड में इसका उल्लेख किया गया मदर टेरेसा (Mother Teresa) जब मात्र आठ साल की भी तभी इनके पिता का निधन हो गया जिसके बाद इनके लालन – पालन की सारी जिम्मेदारी इनकी माता द्राना बोयाजू के ऊपर आ गयी यह पाँच भाई – बहनों में सबसे छोटी थी इनके जन्म के समय बड़ी बहन की उम्र 7 साल और भाई की उम्र 2 साल थी तथा दो बच्चे बचपन में ही गुजर गये थे ये एक सुन्दर अध्ययनशील एवं परिश्रमी लड़की थीं पढ़ाई के साथ – साथ गाना इन्हें बहुत पसन्द था । ये और इनकी बहन पास के गिरजाघर में मुख्य गायिकाएँ थी जब ये मात्र बारहसाल की थी तभी इन्हें ये अनुभव हो गया था। कि वे अपना सारा जीवन मानव सेवा में ही लगायेंगी और 18 साल की उम्र में इन्होने सिस्टर्स ऑफ लोरेटो में शामिल होने का फैसला ले लिया।
लोगो के प्रति दयालु प्रवृत्ति
मदर टेरेसा (Mother Teresa) लोगो के प्रति सेवा का भाव तथा दयालु प्रवृत्तिं की थी तथा उन्होने सारे संसार का भ्रमण किया तथा उनकी मान्यता है कि ‘प्यार की भूख रोटी की भूख से कही बड़ी है। मदर टेरेसा (Mother Teresa) का कहना है कि सेवा का कार्य बहुत कठिन है। और इसके लिए पूर्ण समर्थन की आवश्यकता है। वहीं लोग इस कार्य को पूर्ण कर सकते है जो प्यार एवं सांत्वना की वर्षा करें। भूखो खिलायें बेघर वालो को शरण दे दम तोड़ने वाले, बेबसो को प्यार से सहलाये, अपाहिजो को हर समय हृदय से लगाने के लिए तैयार रहे।
मदर टेरेसा का आजीवन सेवा का संकल्प
1989 ई० में आवेश मे आकार अपना नाम बदलकर टेरेसा रख लिया और उन्होने आजीवन सेवा का सकल्प ले लिया। 10 सितम्बर 1940 का दिन था जब मैं अपने वार्षिक अवकाश पर दार्जिलिंग जा रही थी। उसी समय मेरी अन्तरात्मा से आवाज उठी थी कि मुझे सब कुछ दान कर देना चाहिए और अपने ईश्र्वर एवं दरिद्र नारायण की सेवा करके कंगाल तन को समर्पित कर देना चाहिए तथा इन्होंने यह संकल्प भी लिए कि मैं आजीवन लोगो की मदद करती रहूँगी मदर टेरेसा अपने पैतृक घर को छोड़कर भारत में मिशन के साथ नन के आयरिश समुदाय लोरेटो की बहनों में शामिल हो गई।
मदर टेरेसा को प्राप्त पुरस्कार, सम्मान एवं उपाधियाँ
मदर टेरेसा जी को उनकी सेवाओ के लिये विविध पुरस्कार सम्मान एव उपाधियाँ प्राप्त है। विश्व भारती विद्यालय ने उन्हें ‘देशिकोत्तम‘ पदवी दी जो कि सर्वोच्च पदती है। अमेरिका के कैथोलिक विश्वविद्यालय ने उन्हें डोक्टोरेट की उपाधि से सम्मानित किया। 1931 में इन्हे पोपजॉन तेइसवे और धर्म की प्रगति के टेम्पेलटन फाउंडेशन पुरस्कार प्रदान किया गया था भारत सरकार द्वारा 1962 मे उन्हें पद्यमश्री की उपाधि मिली। 1988 मे ब्रिटेन द्वारा आईर ओफ द ब्रिटिश इम्पायर की उपाधि प्रदान की गयी। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने उन्हें डी-लिट् की उपाधि से विभूषित किया 19 दिसम्बर 1971 को मदर टेरेसा को मानव-कल्याण कार्यों के हेतु नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया। वह तीसरी भारतीय नागरिक है, जो संसार में इस पुरस्कार से सम्मानित की गयी थी। सभी स्थानों पर मदर टेरेसा का भव्य स्वागत किया गया। नार्वेनियन नोबल पुस्कार के अध्यक्श प्रोफेसर जान सेनेस ने कलकत्ता मे मदर टेरेसा को सम्मानित करते हुए सेवा के क्शेत्र में मदर टेरेसा से प्रेरणा लेने का आग्रह सभी नागरिको से किया। सितम्बर 2016 को वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि से विभूषित किया। मदर टेरेसा की मृत्यु के बाद इन्हें पोप जॉन पॉल द्वितीय ने धन्य घोषित किया और इन्हें कोलकाता की धन्य की उपाधि प्रदान की।
मदर टेरेसा उपाधियाँ
- विश्व भारती विद्यालय – देशिकोत्तम
- अमेरिका के कैथोलिक विश्वविद्यालय – डोक्टोरेट
- ब्रिटेन – आईर ओफ द ब्रिटिश इम्पायर
- बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय – डी-लिट्
- वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने – संत
- पोप जॉन पॉल द्वितीय – कोलकाता की धन्य (मृत्यु के बाद)
मदर टेरेसा पुरस्कार
- नोबेल शांति पुरुस्कार – 1979
- भारत रत्न – 1980
- राष्ट्र का स्वर्णिम सम्मान – 1994
- पोप जॉन XXIII शांति पुरस्कार – 1971
- शांति और अंतर्राष्ट्रीय समझ के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार – 1962
- महारानी जेलेना का भव्य आदेश – 1995
- अल्बर्ट श्वित्ज़र अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार – 1975
- टेम्पलटन पुरस्कार – 1973
- स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पदक – 1985
- पद्म श्री – 1962
- ऑर्डर ऑफ मेरिट – 1983
- अंतर्राष्ट्रीय समझ के लिए जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार – 1969
- टेरिस अवार्ड में पेसेम – 1976
- लोगों के बीच मानवता, शांति और बंधुत्व के लिए बलजान पुरस्कार – 1978
- संरक्षक पदक – 1979
मदर टेरेसा की आलोचना
व्यक्तियों सरकारों और संस्थाओं के द्वारा उनकी प्रशंसा की जा रही थी यद्यपि उन्होने आलोचना का भी सामना किया है। कई व्यक्तियो जैसे – माइकल परेटी, अरुप चटर्जी (विश्व हिंदू परिषद) द्वारा की गई आलोचना शामिल है, जो उनके काम के प्रति विशेष विरुद्ध थे। इसी प्रकार उनकी कई चिकित्सा, पत्रिकाओं एंव धर्मशालाओं की सुरक्षा में भी आलोचना की गई। अपारदर्शी प्रकृति के बारे में सवाल उठाए गए जिसमें दान का धन खर्च किया जाता था। कनाडाई शिक्षाविदो सर्ज लारिवे जेनेवीव चेनेर्ड के पत्र के अनुसार, टेरेसा के क्लीनिक को दान में लाखो डॉलर मिले लेकिन दर्द से जूझते लोगो के लिए चिकित्सा देखभाल, व्यवस्थित निदान, आवश्यक पोषण की पर्याप्त मात्रा नहीं थी।
इसके अलावा उनपर लगे आरोपों की सूची में मरते हुए लोगों का बपतिस्मा करके जबरन धर्मपरिवर्तन करना तानाशाहों और विवादास्पद लोगों का समर्थनकरना उनपर पाखण्डी होने का आरोप भी लगाया जाता है कि उन्होंने गरीबों को पीड़ा सहन करने के लिए कहा तो लेकिन जब स्वयं बीमार पड़ी तो उन्होंने सबसे उच्च – गुणवत्ता वाले महँगे अस्पताल में अपना इलाज कराया। भारी मात्रा मे दुनिया भर से दान में पैसा मिलने के बावजूद उनके संस्थानो की हालत दयनीय थी।
हिचन्स उन्हें “गरीबों के बजाय गरीबी की दोस्त” बताते है।
मृत्यु
मदर टेरेसा अपनी मृत्यु के पहले 123 देशो मे 690 मिशन नियांत्रिक कर रही थी। इसी बीच एचआईवी / एड्स से संक्रामित होने के कारण इनकी मृत्यु 5 सितम्बर 1997 कोलकत्ता (भारत) में हुई।
FAQs
Ans: मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 में उस्कुब, उस्मान साम्राज्य (आज का सोप्जे, उत्तर मैसिडोनिया) में हुआ था।
Ans: मदर टेरेसा को भारत रत्न 1980 में मिला था।
Ans: मदर टेरेसा का पूरा नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ है।
इन्हें भी देखें:
- Mother Teresa Questions and Answers (Solutions)
- इंदिरा गांधी जीवन परिचय | Indira Gandhi Ka Jivan Parichay
- मीराबाई का जीवन परिचय – Mirabai Biography In Hindi
- कल्पना चावला का जीवन परिचय | Kalpana Chawla Biography in Hindi
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