नवजात शिशु की देखभाल

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इस आर्टिकल में हम नवजात शिशु की देखभाल कैसे करनी चाहिए पढ़ेंगे, तो चलिए विस्तार से पढ़ते हैं नवजात शिशु की देखभाल (navjat shishu ki dekhbhal) पर संपूर्ण जानकारी |

नवजात शिशु की देखभाल

विषय-सूची

नवजात शिशु की देखभाल

नवजात शिशु: नवजात शिशु की अवस्था जन्म से 2 सप्ताह तक की मानी जाती है। परन्तु विभिन्न समाजशास्त्रियों ने इसकी अवधि अलग – अलग बतायी है।

नवजात शिशु की विशेषताएँ एवं देखभाल:-

  • नवजात अवस्था जन्म से लेकर 2 सप्ताह तक मानी जाती है।
  • नवजात शिशु की अवस्था को समायोजन की अवस्था (Period of Adjustment) भी कहते है क्योंकि इस समय शिशु गर्भाशय के आन्तरिक वातावरण से बाहर निकलकर बाह्य वातावरण से समायोजन स्थापित करने की कोशिश करता है।

नवजात शिशु की शारीरिक विशेषताएं:-

1. भार और लम्बाई (Weight & Measures):-

सामान्य नवजात शिशु का वजन 6-8 पौण्ड तक होता है। तथा नवजात शिशु की लम्बाई 18-20 इंच तक तक होता है।

  • वजन की सीमा (Range) 3 से 16 पौण्ड तथा लम्बाई 18 – 20 इंच तक होती है।
  • बालक शिशु बालिकाओं की अपेक्षा थोड़े से अधिक बड़े होते है।

2. त्वचा (Skin)

नवजात शिशु की त्वचा पतली तथा सूखी होती है।

  • जब नवजात शिशु रोता है तो उसकी त्वचा झुर्रीदार तथा लाल हो जाती है।
  • अत: शिशू की त्वचा की विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।
  • उचित देखभाल न हो पाने के कारण शिशु मे विभिन्न प्रकार के चर्म रोगों के विकसित होने की सम्भावना रहती है।

3. शारीरिक अनुपात (Physical Proportions)

  • नवजात शिशु का शारीरिक अनुपात वयस्क की अपेक्षा भिन्न होता है।
  • सिर की अपेन तुलना में भुजाएँ, धड़ तथा पैर छोटे होते है।
  • शिशु का सिर उसके पूरे शरीर का 1/4 भाग होता है जबकि वयस्क का सिर उसके पूरे शरीर का 1/7 भाग होता है।
  • नवजात शिशु में खोपड़ी तथा चेहरे का अनुपात 8.1 होता है। जबकि वयस्क मे खोपडी और चेहरे का अनुपत 1:2 होता है।

4. अस्थियाँ (Bones)

  • नवजात शिशु की हड्डियां बहुत लचीली (flexible) होती है।
  • ये हड्डियाँ मुख्यत: कार्टिलेज (cartilage) की बनी होती है।
  • इन अस्थियों में कैल्शियम नहीं होता है।

5. माँसपेशियाँ (muscles)

  • नवजात शिशु की मांसपेशियाँ अविकसित तथा अक्रियाशील ( Inactive) होती है।
  • धीरे-धीरे मालिश व व्यायाम से इन माँसपेशियों में पुष्टता आ जाती है।

6. आँखे (Eyes)

नवजात शिशु की आँखे जन्म के समय हल्के भूरे रंग की होती है जो कुछ दिनों में ही अपने वास्तविक रंग मे बदल जाती है।

नवजात शिशु की शारीरिक शास्त्रीय क्रियायें (Physiological functions of the Neonate)

1. श्वसन क्रिया (Respiration):-

नवजात शिशु का क्रन्द्रन अर्थात् रोना अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं।

  • रोने के द्वारा उसके फेफड़े फूल जाते है, जिससे श्वसन क्रिया प्रारम्भ हो जाती है।
  • जन्म के समय प्रारम्भ मे श्वसन गति 40 से 45 प्रति मिनट होती है।

2. हृदय की धड़कन (Heart Beat):-

नवजात शिशु की हृदय की धड़कन वयस्क व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक होती है।

3. नाड़ी की गति (Pulse Rate):-

नवजात शिशु की नाड़ी की गति 120 से 150 प्रति मिनट होती है। परन्तु कुछ दिनो बाद केवल 117 प्रति मिनट रह जाती है। वयस्को की नाड़ी की गति 70 प्रति मिनट रहती है।

4. तापक्रम (Temperature):-

वयस्कों की अपेक्षा नवजात शिशु का तापक्रम भी अधिक होता है तथा अधिक परिवर्तनशील भी होता है।

5. चूसने सम्बन्धी सहज क्रियाएँ:-

नवजात शिशु भूख लगने अथवा होठो के हूये जाने पर चूसने की सहज क्रिया करने लगता है।

6. भूख का आँकुचन (Hunger Rhythms):-

प्रेट (Pratt 1954) के एक अध्ययन के अनुसार- नवजात शिशु का पेट 4 से 5 घण्टे में छोटी आँत 7 से 8 घण्टे मे तथा बड़ी आँत 2 से 14 घण्टे में खाली हो जाती है।

7. नींद (sleep):-

  • नवजात शिशु 16 से 20 घण्टे प्रतिदिन सोता है।
  • यह नींद छोटे – छोटे अन्तराल पर होती है।

नवजातशिशु को सुलाने का सही तरीका

नवजात शिशु को हमेशा पीठ के बल सुलाए। इससे उन्हें सही नींद आएगी व पीठ को सहारा मिलेगा।

नवजात शिशु को सुलाने का गलत तरीका

नवजात शिशु को कभी भी पेट के बल न सुलाये क्योंकि इससे उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।

नवजात शिशु की आवश्यकताएँ (Infant and his Needs):-

1. वजन (Weight):-

भारतीय नवजात शिशु का जन्म के समय वजन 2.5 से 3.9 किग्रा तथा औसतन 2.7 किग्रा होता है।

2. आसन (Posture):-

  • नवजात शिशु का आसन गर्भ में शिशु के आसन के ही समान होता है।
  • जागने की स्थिति में उसके भुजाओं तथा पाँवों मे अच्छी क्रियाशीलता दिखाई देती है।

3. सिर (Head):-

दृष्टि का अच्छी तरह विकास नहीं होता है। सिर की परिधि से 33 सेमी. होती रहती हैं।

  • प्रथम 4 माह में सिर की परिधि में औसतन 2 सेमी. की वृद्धि होती है।

4. श्वासोच्छवास (Respiration):-

नवजात शिशु मुहँ तथा नाक दोनो से श्वास लेता है। श्वासोच्छवास उथला परन्तु नियमित होता है। श्वासोच्छवास की गति से 20 से 60 प्रति मिनट तथा औसतन 44 प्रति मिनट होती है।

5. आँखे (Eyes):-

नवजात शिशु की आंखे अधिकांश समय बन्द रहती है तथा आँख खोलना नवजात शिशु को अच्छा नही लगता है।

6. जिह्व जुड़ी होना (Tongue Tic):-

इसमें जीभ का निचला हिस्सा निचले मसूड़ो के आतंरिक भाग से पेशियों के एक पट्टे द्वारा जुड़ा रहता है।

7. बाल (hair):-

नवजात शिशु के चेहरे तथा शरीर पर कोमल रोये पाये जाते है।

  • प्रथम महीने मे ही नवजात शिशु के सिर के बाल झड़ जाते है।

8. तापमान (Temperature):-

नवजात शिशु का तापमान जन्म के समय 37.8°C रहता है।

9. त्वचा (Skin):-

जन्म के समय त्वचा का रंग गुलाबी होता है तथा त्वचा नाजुक होने के कारण थोड़े से दबाव अथवा घर्षण से लाल पड़ जाती है।

10. नाभि रज्जु (Naval cord):-

24 घण्टों मे नाभि रज्जु सिकुड़ जाती है। 8-10 दिन में सूखी नाभि रज्जु सूख जाती है।

11. मल निष्कासन क्रिया (Bowel Action):-

प्रथम 3-4 दिन तक दिन में 3-4 बार मेकोनियम (Meconium) के रूप में मल का निष्कासन होता है।

12. मूत्र विष्क्रासन क्रिया (Urination):-

जन्म के तुरन्त बाद या जन्म लेते समय ही शिशु मूत्र निष्कासन कर देता है।

13. शरीर के वजन में अन्तर:-

जन्म के पश्चात् प्रथम सप्ताह में शरीर के वजन का लगभग 10% वजन कम हो जाता है

  • जन्म के चौथे दिन से वजन बढ़ना प्रारम्भ हो जाता है।
  • यदि प्रारम्भिक दिनों मे जल की अधिक मात्रा की हानि होती है तो शिशु में निर्जलीकरण ज्वर ( Dehydration Fever) हो सकता है।

नवजात शिशु के पालन पोषण की विधियाँ

  • पालन पोषण से तात्पर्य ऐसी व्यवस्था से है जो बालक के आने वाले जीवन का आधार बनाती है।
  • माता-पिता शिशु की समस्त आवश्यकताओं को पूरा करते है।

शिशु को भोजन दो प्रकार से दिया जाता है

  1. स्तनपान ( Breast feeding)
  2. ऊपरी दूध (Top feeding)

नवजात शिशु के वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्व:-

नवजात शिशु के वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं-

  1. मौसम
  2. सामान्य जलवायु की स्थिति।
  3. शिशु के कमरे का तापमान
  4. शिशु की शारीरिक स्थिति
  • सामान्यतया हर अवसर पर शिशु वस्त्रों के लिए सूती वस्त्र सर्वोत्तम रहते है।
  • शिशु के सूती परिधान लंगोटे, तौलिये, गदि्दयां तथा कम्बल आदि आसानी से धोये जा सकते हैं तथा उच्च तापमान पर धुलाई भी किये जा सकते है।

नवजात शिशु से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

हरलीक के अनुसार,—

  • “शिशु विकास” यह अध्ययन का वह क्षेत्र है जो मानव वर्धन और विकास के सभी पहलुओं को समझने में समर्पित किया गया है।
  • नवजात शिशु के तलवे पर पंजे से एड़ी की तरफ सहलाने पर उसके पैर की उगलियाँ खुल जाती है। यह अभिव्यक्ति बेबिन्स्की कहलाती है।

जैसे – जैसे बच्चा बढ़ता वैसे – वैसे वह नई हरकतें करता है, जिससे यह पता चलता है कि उसकी बढ़त सही हो रही है या नहीं। अपने बच्चे के पहले साल में आप भी इन बातों पर गौर करें:

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  • डेढ़ महीने का बच्चा माँ को पहचानने लगता है और दो महीने में उसे देखकर मुस्कुराता भी है।
  • तीन महीने में बच्चा अपने सिर को संभाल सकता है और आवाजों की दिशा को समझने लगता है।
  • चार महीने की आयु में बच्चा करवट बदलने लगता है और चीजों को पकड़ सकता है।
  • पांच या छ: महीने का बच्चा उठाने की कोशिश करता है और तकिये के सहारे बैंठ सकता है।
  • छ: से आठ महीने में बच्चा बिना सहारे बैठ सकता और उसके दांत निकलने लगते है।
  • नौ या दस महीने का बच्चा घुटनों के बल चल सकता है।
  • ग्यारह या बारह महीने का बच्चा सहारा पाकर खड़ा हो सकता है।
  • एक से डेढ़ साल की आयु में बच्चा बिना सहारे चलने लगता है।

नवजात शिशु की देखभाल (newborn baby care) कैसे करनी चाहिए यह जानकारी आपको कैसे लगी नीचे दिए गए Comment Box में जरुर लिखे ।

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