Nibandh Kaise Likhate Hain: निबंध कैसे लिखते हैं?

नमस्कार दोस्तो, स्वागत है आप सभी का हमारी बेबसाईट पर आज के इस आर्टिकल में हम (Nibandh Kaise Likhate Hain) निबंध कैसे लिखते हैं? इसके बारे में जानकारी देगे ताकि आप जान सके कि अच्छा निबंध कैसे लिखते हैं? – How to write essay. nibandh kaise likhate hain.

Nibandh Kaise Likhate Hain, निबंध कैसे लिखते हैं?

निबंध क्या है?

निबंध की परिभाषा – थोड़े किन्तु चुने हुए शब्दों में किसी विषय पर लिखित रूप में अपने विचार प्रकट करने को निबन्ध कहते है | निबन्ध (Essay) कहलाता है | निबंध का अंग्रेजी अर्थ ” Essay” है |

निबंध कैसे लिखते हैं? – Nibandh Kaise Likhate Hain

नीचे आपको अच्‍छा निबंध लिखने के प्रमुख नियम दिया गया है और हिन्दी में निबन्ध कैसे लिखें इसके बारे में पूरी जानकारी दी गई है |

निबन्ध का आरम्भ –

निबंध का आरम्भ ऐसे सुन्दर ढंग से होना चाहिए कि पढ़ने वाले की उत्सुकता आरम्भ में ही बढ़ जाए और वह पूरा पढ़ने को बाध्य हो जाए | मौलिकता, मनोरंजकता तथा विचारपूर्णता निबन्ध के आवश्यक गुण है |

साधन—

पुस्तको तथा पत्र – पत्रिकाओं का अध्ययन निबन्ध लिखन का सर्वोत्तम साधन है जितना अधिक अध्ययन किया जाएगा, उतना ही विषयो का विस्तृत ज्ञान प्राप्त होगा | इससे निबंध – लेखन में अधिक कठिनाई नही रह जाती |

निबंध के अंग—

निबंध के तीन प्रमुख अंग होते है संक्षित परिचय निम्नलिखित है –

  1. प्रस्तावना या भूमिका |
  2. मध्यभाग अथवा विषय विस्तार या प्रसार |
  3. उपसंहार

(1) प्रस्तावना या भूमिका  प्रस्तावना में निबंध की भूमिका रहती है | इसके अंतर्गत निबंध की विषय – वास्तु का परिचय दिया जाता है | यह निबंध का प्रराम्भिक भाग होता है | वास्तव में प्रस्तावना पाठक को निबन्ध की मुख्य विषय – वस्तु से जोड़ती है | अर्थात् इस शीर्षक के अंतर्गत लेखक यह स्पष्ट करता है कि वह विषय के सम्बन्ध में क्या कहना चाहता है और वह किस प्रकार से एवं किस ढंग से उसे कहेगा |

(2) मध्यभाग अथवा विषय विस्तार या प्रसार — यह निबंध का मध्य भाग होता है | इसमे निबन्ध का कलेवर या शरीर रहता है | यह निबन्ध का सबसे विस्तृत तथा सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग भी होता है | क्योकि निबंध की प्रभाव – क्षमता इसी भाग की सफल एवं सोद्देश्यपूर्ण प्रस्तुति पर निर्भर होती है | इसमे निबंध लेखक को विषय के सम्बन्ध में अपना पूरा ज्ञान संक्षिप्त, संयत तथा मनोरंजक शैली में उपस्थित करना होता है |

(3) उपसंहार  यह निबन्ध का अंतिम भाग होता है इसमे निबंध की समस्त पूर्व विवेचित सामग्री का सार या निष्कर्ष प्रस्तुत किया जाता है | इसमे निबंध के आरम्भ से अन्त तक का संक्षिप्त विवरण दिया जाता है | इस स्थल पर निबंध का सिंहावलोकन भी किया जाता है |

निबन्ध के प्रकार —

निबंध (Essay) के अनेक भेद अथवा प्रकार है किन्तु निबन्ध प्रमुख रूप से तीन प्रकार के होते है

  1. वर्णानात्मक निबन्ध |
  2. आख्यानात्मक निबन्ध अथवा विवरणात्मक निबन्ध|
  3. विचारात्मक निबन्ध [ 1. भावना प्रधान निबंध, 2. तर्कप्रधान निबंध ]
  4. भावात्मक निबन्ध
  5. अलोचनात्मक निबन्ध
  6. व्याख्यात्मक / विश्लेष्णात्मक निबंध |

(1) वर्णानात्मक निबन्ध — वर्णनात्मक निबंध में किसी वस्तु, पदार्थ, स्थान, यात्रा, घटना या दृश्य आदि का वर्णन किया जाता है इसमे प्रमाण आदि नही दिए जाते, केवल वण्र्य विषय का यथार्थ चित्रण किया जाता है | वर्णात्मक निबंधो वर्णित विषय के प्रत्येक बिंदु का बड़ी सूक्ष्मतापूर्वक वर्णन किया जाता है इस निबंधो में वर्णन की प्रधानता रहती है |

जैसे — मेरे सपनों का भारत, यात्रा – वृतान्त भारत की ऋतुएँ, भारतीय त्यौहार – होली, दीवाली, दशहरा आदि |

(2) आख्यानात्मक निबन्ध अथवा विवरणात्मक निबन्ध  इस प्रकार के निबंधो में विविध दृश्यों का चित्रण होता है | विवरणात्मक निबन्धों में क्रियाशीलता, गतिशीलता का उल्लेख होता है | इस प्रकार के निबंधों को कुछ विध्दान कथात्मक या आख्यानात्मक निबन्ध भी कहते है | इस प्रकार का निबंध किसी प्रसिध्द व्यक्ति के जीवन को आधार बना लिखा जाता है | आख्यानात्मक निबंध में व्यक्ति का शारीरिक, पारिवारिक, सामाजिक एवं आर्थिक परिचय ही नही दिया जाता वरन् उसके व्यक्तित्व पर भी प्रकाश डाला जाता है और उसके गुण – दोषों का संक्षिप्त परिचय भी दिया जाता है|

जैसे — बालकृष्ण भट्ट कृत ‘अनोखा स्वप्न‘, शिवप्रसाद सितारेहिन्द कृत ‘राजा भोज का सपना‘, महावीर प्रसाद द्विवेदी कृत ‘हंस – सन्देश‘ आदि |

(3) विचारात्मक निबन्ध  विचारात्मक निबंधों में बुध्दितत्व की प्रधानता होती है विचारात्मक निबंध में किसी विचार अथवा भाव को लेकर निबंध की रचना की जाती है | दर्शन, अर्थशास्त्र, राजनीति, धर्म, संस्कृति, सभ्यता, विज्ञान, इतिहास आदि से सम्बन्ध रखने वाले विषय विचारात्मक निबंध के अन्तर्गत आते है |

उदाहरण के लिए — आचार्य रामचंद्र शुक्ल कृत – ‘कविता में लोकमंगल की साधना’, ‘श्रध्दा – भक्ति’, ‘क्रोध’, ‘उत्साह’, लज्जा’, ‘लोभ और प्रीती’ आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी कृत ‘विचार और वितर्क‘ आदि निबंध इसी कोटि में आते है |

विचारात्मक निबन्ध के दो भेद है — (1) भावना प्रधान निबंध, (2) तर्कप्रधान निबंध

(1) भावना प्रधान निबंध — इस प्रकार के निबंधो में अपने मन की भावनाओं में बहता हुआ लेखक भावुक शैली में अपनी बात कहता है | वह अपने भावो को सही मानते हुए, जो कुछ मन में आए उसी को शब्दों के माध्यम से व्यक्त कर देता है |

(2) तर्कप्रधान निबंध — तर्कप्रधान निबंध में विचार को तर्क अथवा युक्ति प्रमाणों के आधार पर सिध्द करने का प्रयत्न किया जाता है | कभी – कभी किसी विचार का विश्लेषण या विवेचन भी किया जाता है इसमे किसी भाव या विचार पर वाद – विवाद भी किया जाता है | इसके अन्तर्गत किसी वस्तु. विषय अथवा रचना की आलोचना अथवा प्रत्यालोचना भी की जाती है |

(4) भावात्मक निबन्ध  भावात्मक निबंधो में भाव को प्रधानता दी जाती है | भाव का सम्बन्ध ह्दय से है , इसलिए लेखक अपने भावुक मन से मनचाही अभिव्यक्ति प्रस्तुत करने के लिए स्वतन्त्र होता है | ललित निबंध भावात्मक निबंध का ही विकसित एवं नवीन रूप है |

उदाहरण — प्रतापनारायण मिश्र कृत ‘धोखा‘ पं० बालकृष्ण भट्ट कृत ‘आँसू‘ सरदार पूर्णसिंह कृत ‘मजदूरी और प्रेम‘ आदि इसी के अन्तगर्त आते है |

(5) अलोचनात्मक निबन्ध — सामान्यत: इस प्रकार के निबंधो को विचारात्मक कोटि में रखा जाता है | परन्तु आलोचना और विचार में पर्याप्त अंतर होने के कारण इनका अलग वर्ग निर्धारित कर लिया जाता है | आलोचना में किसी वस्तु का सूक्ष्म निरीक्षण किया जाता है | इसमे भी बौध्दिकता का स्थान सर्वोपरि होता है |

उदाहरण — पं० महावीर प्रसाद द्विवेदी कृत ‘कवि और कविता’, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल कृत ‘चिन्तामणि’ ‘द्वितीय भाग’ आदि निबंध इस कोटि में आते है |

(6) व्याख्यात्मक / विश्लेष्णात्मक निबंध — इस प्रकार के निबंधो के अंतर्गत आने वाले विषयो में कार्य – कारण का सम्बन्ध दिखाकर एक घटना के पश्चात् क्रमशः दूसरी एवं तीसरी घटना का विवरण प्रस्तुत किया जाता है | इनमे क्रम की श्रृखला कही भी टूटने नही दी जाती है इनमे पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक कथाओं और गाथाओं व तथ्यों पर आधारित घटना का समावेश रहता है |

उदाहरण — अर्थव्यवस्था, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध आदि से सम्बन्धित निबंध इसी कोटि में आते है |

“इस प्रकार आधुनिक युग में, जिसे गद्य का युग कहा जाता है, निबंध का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है क्योकि इसके माध्यम से गद्य की शैलोया में निखार और विकास होता है| निबंध लेखक एक ऐसे पथ का अनुसरण करता है जो किसी का जाना – समझा नही है | उसे अपनी भाषा की शक्ति से प्रमाणित करना पड़ता है कि यह अनजान पथ उसके लिए सर्वथा परिचित और अपना है |”

निबंध की विशेषताएँ

निबन्ध की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित इस प्रकार है 

  1. ‘निबन्ध’ में एक लघु आकार वाली रचना होनी चाहिए, जो सुगमता से पढ़ी जा सके और जिसका प्रभाव ऐसा हो जो सरलता से चित्त में संचित हो जाय|
  2. निबन्ध में चित्रात्मक प्रभाव होना चाहिए , जिससे वह तर्कों का समूह न भासित हो और उसमे किसी सिध्दान्त या पध्दति की प्रतिष्ठा न हो |
  3. यद्यपि निबंध में परिपूर्णता की अनिवार्यता नही स्वीकारी गयी है | फिर भी उसे समग्रता में कलात्मक होना चाहिए |
  4. निबन्ध की शैली सरल – सरस – सुगम होना चाहिए|
  5. उसमे विषय वस्तु का वैविध्य, संक्षिप्तता, वैयक्तिकता, संगठनात्मकता, सुसम्बध्दता और रोचकता होनी चाहिए |
  6. निबंध में एक आकर्षक शैली के साथ – साथ व्यंग्य विनोद की अभिक्षमता भी होनी चाहिए |

नोट :- यदि परीक्षा में आप से ‘मेरे प्रिय कवि’ या ‘मेरे प्रिय साहित्याकार’ पर निबन्ध पूछा जाता है और आपको याद नही है तो आप किसी भी लेखक / लेखिका अथवा कवियत्री का जीवन परिचय लिख सकते है | ( ये केवल आप हाईस्कूल और इंटरमीडिएट तक कर सकते है )

प्रमुख हिंदी निबंधकार

  1. भारतेन्दु हरिश्चंद्र
  2. रामचन्द्र शुक्ल
  3. महादेवी वर्मा
  4. चंद्रधर शर्मा गुलेरी
  5. हजारी प्रसाद द्विवेदी
  6. प्रतापनारायण मिश्र
  7. सरदार पूर्ण सिंह
  8. आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
  9. कुबेरनाथ राय
  10. डॉ० विद्यानिवास मिश्र
  11. नंददुलारे वाजपेयी
  12. बालकृष्ण भट्ट
  13. बालमुकुंद गुप्त
  14. डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल
  15. शिवप्रसाद सिंह
  16. माधवप्रसाद मिश्र
  17. जगदीशचंद माथुर
  18. घर्मवीर भारती
  19. रामवृक्ष बेनीपुरी

प्रमुख प्रगतिवादी निबंधकार

  • डॉ० राम विलाश शर्मा
  • डॉ० नामवरा सिंह
  • डॉ० धर्मवीर भारती
  • डॉ० रांगेय राघव
  • राजेन्द्र यादव
  • शिवप्रसाद सिंह
  • रामधारी सिंह दिनकर

प्रमुख हिंदी ललित निबंधकार

  • आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
  • डॉ० विद्यानिवास मिश्र
  • कुबेरनाथराय
  • शिवप्रसाद सिंह
  • माधवप्रसाद सिंह
  • धर्मवीर भारती
  • जगदीशचन्द्र माथुर
  • रामवृक्ष बेनीपुरी
  • डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल

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