Nibandh | निबंध की परिभाषा, अर्थ, व्यत्पत्ति, विशेषताएं और प्रकार

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नमस्कार दोस्तो , स्वागत है आप सभी का हमारी बेबसाईट पर आज के इस आर्टिकल में हम निबंध (Nibandh) की परिभाषा, अर्थ, व्यत्पत्ति, विशेषताएं और निबन्ध के प्रकार के बारे में पढ़ेगे |

निबन्ध की परिभाषा (Definition of essay)

हिंदी में निबन्ध (Nibandh) शब्द का निर्माण नि+बन्ध के संयोग से हुआ है जिसका आशय अथवा अर्थ है सम्यक रूप से नियमो से बँधा या कसा हुआ | किसी विषय – वस्तु से सम्बंधित विचारों का ऐसा सुगठित एवं क्रमबध्द प्रस्तुतीकरण जिसमे उस विषय – वस्तु की विस्तृत या संक्षिप्त, किन्तु सारगर्भित जानकारी मिलाती है निबन्ध (Essay) कहलाता है | निबंध का अंग्रेजी अर्थ ” Essay” है |

निबन्ध क्या है (What is essay)

थोड़े किन्तु चुने हुए शब्दों में किसी विषय पर लिखित रूप में अपने विचार प्रकट करने को निबन्ध कहते है | निबन्ध के विषयों की कोई निश्चित सीमा नही होती| चींटी से लेकर स्पुतनिक तक किसी भी विषय पर निबन्ध लिखा जा सकता है |

  • निबन्ध हिंदी गद्य साहित्य की प्रमुख रचनात्मक विधा है इसका उपयोग लिखित अभिव्यक्ति के लिए होता है|
  • हिंदी के सुप्रसिद्ध समीक्षक आचार्य रामचन्द्र ने निबन्ध को ‘गद्य की कसौटी‘ माना है |
  • निबन्ध लेखन के लिए एक विशिष्ट रचनात्मक अभिव्यक्ति – कौशल की आवश्यकता होती है जिसके अन्तर्गत लेखक के दृष्टिकोण तथा उसकी भाषा – शैली का विशेष महत्व है|

निबन्ध का अर्थ (Meaning of essay)

निबन्ध उस गद्य – विद्या को कहते है कलात्मक नियमो के बंधन से मुक्त हो | इसमे लेखक स्वच्छतापूर्वक अपने विचारो तथा भावों को प्रकट करता है |

  • निबंध का अंग्रेजी में अर्थ (Meaning) “Essay” होता है |

निबन्ध की व्यत्पत्ति (Origin of essay)

निबन्ध शब्द की निष्कृति नि+बन्ध+घञ् है जिसका अर्थ है निश्चितार्थेन विषयाधिकृतबन्धम् अर्थात् किसी विषय अथवा वस्तु को निश्चित अर्थ में परिनिबध्द करना, रोकना, संग्रह करना, रुध्द करना आदि| ‘नि‘ उपसर्गपूर्वक बन्ध का प्रचलित अर्थ – खूब अच्छी तरह बँधा हुआ है | निकाम अर्थात् खूब अच्छी तरह से और बन्ध का अर्थ है – बँधान, रचाव, कसाव यानी किसी विषय – वस्तु को खूब बढ़िया ढग से, पूरे रचाव – कसाव के साथ शब्दार्थ बन्धित किया जाय, उसे निबन्ध कहते है|

ललित-निबंध किसे कहते हैं?

जिस निबन्ध में परिष्कृत भाषा के द्वारा भावनात्मक अनुभूतियों एवं बौद्धिक विश्लेषण को प्रस्तुत किया जाता है, उसे ललित-निबंध कहते हैं।

उदाहरण- कुटज (लेखक- डा. हजारी प्रसाद द्विवेदी)

निबंध की विशेषताएं

  1. ‘निबन्ध’ में एक लघु आकार वाली रचना होनी चाहिए, जो सुगमता से पढ़ी जा सके और जिसका प्रभाव ऐसा हो जो सरलता से चित्त में संचित हो जाय|
  2. निबन्ध में चित्रात्मक प्रभाव होना चाहिए , जिससे वह तर्कों का समूह न भासित हो और उसमे किसी सिध्दान्त या पध्दति की प्रतिष्ठा न हो |
  3. यद्यपि निबंध में परिपूर्णता की अनिवार्यता नही स्वीकारी गयी है | फिर भी उसे समग्रता में कलात्मक होना चाहिए |
  4. निबन्ध की शैली सरल – सरस – सुगम होना चाहिए|
  5. उसमे विषय वस्तु का वैविध्य, संक्षिप्तता, वैयक्तिकता, संगठनात्मकता, सुसम्बध्दता और रोचकता होनी चाहिए |
  6. निबंध में एक आकर्षक शैली के साथ – साथ व्यंग्य विनोद की अभिक्षमता भी होनी चाहिए |

निबन्ध के प्रकार —

निबंध (Essay) के अनेक भेद अथवा प्रकार है किन्तु निबन्ध प्रमुख रूप से तीन प्रकार के होते है

  1. वर्णानात्मक निबन्ध |
  2. आख्यानात्मक निबन्ध अथवा विवरणात्मक निबन्ध|
  3. विचारात्मक निबन्ध
    1. भावना प्रधान निबंध
    2. तर्कप्रधान निबंध
  4. भावात्मक निबन्ध
  5. अलोचनात्मक निबन्ध
  6. व्याख्यात्मक / विश्लेष्णात्मक निबंध |

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