नोटा का पूरा नाम “नो वोट का अधिकार” (NOTA) है, जिसे अंग्रेजी में “None of the Above” (NOTA) के रूप में भी जाना जाता है। यह एक वोटिंग विकल्प है जिसे भारतीय चुनावों में वोटर्स को उपलब्ध किया गया है। NOTA के तहत, वोटर को किसी भी पार्टी या उम्मीदवार को चुनने की आवश्यकता नहीं होती हैं, और वे यह संकेत देना चाहते हैं कि उन्हें प्रस्तावित प्रत्याशियों में से किसी पर भी विशेष रूप से भरोसा नहीं है। तो चलिए अब हम नोटा क्या है (Nota Kya Hai), NOTA के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं
नोटा क्या है NOTA की पूरी जानकारी
नोटा का फुल फॉर्म हिंदी में “नो वोट का अधिकार” होता हैं। नोटा का चुनावी लोगों और राजनीतिक दलों के लिए एक प्रकार का संदेश भी हो सकता है, क्योंकि अगर NOTA वोटों की संख्या बड़ी होती है, तो इसका मतलब होता है कि जनता किसी भी उम्मीदवार को पसंद नहीं कर रही है और उन्हें बेहतर उम्मीदवारों की आवश्यकता है।
कब हुई NOTA की शुरुवात
2009 में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से NOTA का विकल्प उपलब्ध कराने संबंधी अपनी मंशा रखी। 2013 में सुप्रीम कोर्ट के दिये गए एक आदेश के बाद चुनावों में नोटा का प्रयोग शुरू हुआ। भारत सरकार बनाम पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (People’s Union for Civil Liberties) मामले में शीर्ष न्यायालय ने आदेश दिया कि जनता को मतदान के लिये नोटा का भी विकल्प उपलब्ध कराया जाए। नोटा के तहत ईवीएम मशीन (Electronic voting machine) में नोटा का गुलाबी बटन होता है।
कब दबाना चाहिए NOTA
NOTA का सीधा सीधा मतलब ये है कि आप किसी भी उम्मीदवार को सत्ता में नही देखना चाहते यानी अगर मतदाता को सभी दल का उम्मीदवार ग़लत लगते हैं तो वो नोटा का बटन दबाकर जनता अपना विरोध दर्ज करा सकती है। नोटा का मतलब NONE OF THE ABOVE होता है। इस आदेश के बाद भारत नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने वाला विश्व का 14वां देश बन गया। हालांकि बाद में चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि नोटा के मत गिने तो जाएंगे पर इसे रद्द मतों की श्रेणी में रखा जाएगा। नोटा का चुनाव के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा मगर ये आपका विरोध दर्ज कराने का एक तरीका हो सकता है।
कितना रहता है NOTA का प्रतिशत
नोटा के वोट अक्सर मतदान का प्रतिशत 2-3 ही होते है। इसकी असल वजह मतदाताओं में जागरूकता की कमी है। नोटा के अंतर्गत मतदान का प्रतिशत उन जगहों में ज्यादा देखने को मिला है, जो इलाके नक्सलवाद से प्रभावित हैं या फिर आरक्षित चुनाव क्षेत्र हैं। कहने का मतलब ये है कि चुनाव क्षेत्रों को आरक्षित करने के सन्दर्भ में अभी भी सामाजिक सहभागिता की कमी है और नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में राजनैतिक दलों को लेकर अभी भी उतनी दिलचस्पी नहीं पैदा हुई है। आपको बता दें कि भारत, ग्रीस, युक्रेन, स्पेन, कोलंबिया और रूस समेत कई देशों में नोटा का विकल्प लागू है ओर कफी हद तक सही भी है, गलत उम्मीदवार चुनने से अच्छा है कि आप अपना विरोध दर्ज करवाये।
कृपया ध्यान दें कि NOTA का लाभ तभी होगा जब NOTA वोटों की संख्या इस प्रत्याशी से ज्यादा होती है, जिस प्रत्याशी ने चुनाव जीता है। NOTA वोटों की संख्या के कारण किसी भी प्रत्याशी को चुनाव जीतने के लिए उस सीट पर नए चुनाव का आयोजन किया जा सकता है।