कविवर रसखान सच्चेकवि थे | वे रस के सागर तथा रस की खान थे | वे भावुक हृदय वाले थे | वास्तव में वे भगवान श्रीकृष्ण के दीवाने थे | कोमलकांत पदावली से युक्त उनकी कविताएँ सुकुमार और रसमयी है | कितने ही मुसलमान कवियों ने हिंदी-काव्य को समृध्द करके अपने हिंदी – प्रेम का परिचय दिया हो, किन्तु इन सबमे सबसे अधिक सरल और सुकोमल काव्य यदि किसी का है तो वह रसखान जी का है |

रसखान का जीवन परिचय (Raskhan Ka Jivan Parichay) – Raskhan Biography In hindi
नाम | सैयद इब्राहिम रसखान |
उपनाम | रसखान |
जन्म | सन् 1558 ई० |
जन्म स्थान | दिल्ली, भारत |
पिता | कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं |
माता | कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं |
मृत्यु | सन् 1618 ई० |
व्यवसाय | कवि |
भाषा | ब्रजभाषा |
रचनाएँ | प्रेमवाटिका, सुजान – रसखान |
रसखान का जीवन परिचय (Raskhan Ka Jivan Parichay)
रसखान जी का पूरा नाम सैयद इब्राहिम रसखान था | रसखान का जन्म सन् 1558 ई० में दिल्ली में माना जाता है | रसखान जी का जीवनवृत्त अभी भी अन्धकार में है | उनका सम्बन्ध दिल्ली के राजवंश से था | इस तथ्य पर निम्नलिखित दोहे से प्रकाश पड़ता है –
देखि गदर हित साहिबी दिल्ली नगर मसान |
छिनहीं बादशा वंश की ठसक छाडि रसखान ||
एक जनश्रुति के अनुसार रसखान किसी स्त्री से बहुत अधिक प्यार करते थे, किन्तु वह उन्हें अपमानित किया करती थी। वैष्णव धर्म में दीक्षा लेने पर उनका लौैकिक प्रेम अलौकिक प्रेम में बदल गया और ररखान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त बन गये।
रसखान रात दिन श्रीकृष्ण के प्रेम में मस्त रहते थे | उन्होंने ने गोवर्धन धाम जाकर अपना जीवन श्रीकृष्ण के भजन कीर्तन में लगा दिया | वैष्णव धर्म ग्रहण करने पर उन्हें सब ने बहुत डराया, पर श्रीकृष्ण के रँगे रसखान ने उत्तर दिया –
काहे को सोचु करै रसखानि, कहा करिहै रबिनंद विचारों|
कौन की संक परी है जु, माखन चाखनवारो है राखनहरो ||
श्रीकृष्ण के प्रेम और उनकी भक्ति में दीवाने रसखान ने गोवर्धन धाम में बसकर श्रीकृष्ण की गायें चराई और अंत में श्रीकृष्ण की छवि दिल में बसाए हुए सन् 1618 ई० में परलोकवासी हो गए |
रसखान की रचनाएँ
रसखान जी के अब तक दो ग्रन्थ प्राप्त हुए है –
- प्रेमवाटिका – इस में केवल 25 दोहे हैं रसखान प्रेम – मर्मज्ञ थे अत: इनमें प्रेम रस का पूर्ण परिपाक हुआ है |
- सुजान – रसखान – यह 139 छंदों (दोहा, सोरठा, कवित्त, सवैया) का संग्रह है | विस्तार में कम होने पर भी ये कृतियाँ भक्तो के हृदय को स्पर्श करने वाली है |
विद्वान ‘रसखान -शतक‘ और ‘राग -रत्नाकर‘ को भी उनकी रचना मानते है |
संबंधित प्रश्न (FAQs)
Ans: रसखान की मृत्यु सन् 1618 में वृन्दावन में हुई थी।
Ans: रसखान जी का पूरा नाम सैयद इब्राहिम रसखान था
Ans: रसखान की प्रमुख रचना प्रेमवाटिका, सुजान – रसखान, ‘रसखान -शतक‘ और ‘राग -रत्नाकर हैं।
Ans: रसखान के बचपन का नाम सैयद इब्राहिम रसखान था।
निष्कर्ष,
इस आर्टिकल में हमने रसखान का जीवन परिचय कैसे लिखें? और रसखान का जीवन परिचय (Raskhan Ka Jivan Parichay) – Raskhan Biography In hindi के बारे में पढ़ा। अगर अभी भी आपको कुछ समझ नहीं आया हो तो आप नीचे comment करके अपना सवाल पूछ सकते हो।
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