रौद्र रस (Raudra Ras) की परिभाषा, स्थायी भाव और उदाहरण

आज के इस पोस्ट में मैं आपको रौद्र रस (Raudra Ras) की परिभाषा, स्थायी भाव और उदाहरण की पूरी जानकारी दे रही हूँ, तो चलिए जानते हैं – Raudra Ras Ki Paribhasha Aur Raudra Ras Ka Udaharan . आप चाहे तो इसे अपने Notebook में भी लिख सकते है। जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है। 

रौद्र रस की परिभाषा (Raudra Ras Ki Paribhasha)

शत्रु या दुष्ट अत्याचारी द्वारा किये गये अत्याचारों को देखकर अथवा गुरुजनों की निन्दा सुनकर चित्तमय एक प्रकार का क्रोध उत्पन्न करता है जिसे रौद्र रस कहते है |

रौद्र रस के उपकरण

  • रौद्र रस का स्थायी भाव – क्रोध |
  • रौद्र रस का आलम्बन विभाव – विपक्षी, अनुचित बात कहनेवाला व्यक्ति |
  • रौद्र रस का उद्दीपन विभाव – विपक्षियों के कार्य तथा उक्तियों |
  • रौद्र रस का अनुभाव – मुख लाल होना दांत पीसना, आत्म – प्रशंसा, शास्त्र चलाना, भौहें चढ़ना, कम्प, प्रस्वेद, गर्जन आदि |

रौद्र ​रस का उदहारण (Raudra Ras Ki Paribhasha)

उदाहरण -1

उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उनका लगा |
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा ||

उदाहरण -2

श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्षोभ से जलने लगे |
सब शील अपना भूल कर करतल युगल मलने लगे ||
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पडे |
करते हुए यह घोषणा वे हो गए उठ कर खड़े ||

निष्कर्ष,

इस आर्टिकल में हमने रौद्र रस (Raudra Ras) की परिभाषा, स्थायी भाव और उदाहरण (Raudra Ras Ki Paribhasha Aur Raudra Ras Ka Udaharan) के बारे में जाना। हमें उम्मीद हैं कि, आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी।

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