इस आर्टिकल में हम स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय (Swami Vivekanand Ka Jivan Parichay) पढेंगे, तो चलिए विस्तार से पढ़ते हैं Swami Vivekananda Biography in Hindi (स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय इन हिंदी) – बहुत ही सरल भाषा में लिखा गया है जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है।
Swami Vivekananda Biography in Hindi | स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय इन हिंदी
नाम | स्वामी विवेकानंद |
पूरा नाम | नरेंद्रनाथ विश्वनाथ दत्त |
जन्म | 12 जनवरी 1863 कलकत्ता (पं. बंगाल) |
पिता | विश्वनाथ दत्त |
माता | भुवनेश्वरी देवी |
घरेलू नाम | नरेन्द्र और नरेन |
मठवासी बनने के बाद नाम | स्वामी विवेकानंद |
भाई – बहन | 9 |
गुरु | रामकृष्ण परमहंस |
शिक्षा | बी. ए. |
विवाह | अविवाहित विवाह |
संस्थापक | रामकृष्ण मठ, रामकृष्ण मिशन |
फिलोसिफी | आधुनिक वेदांत, राज योग |
साहित्यिक कार्य | राज योग, कर्म योग, भक्ति योग, मेरे गुरु, अल्मोड़ा से कोलंबो तक दिए गए व्याख्यान । |
विश्व धर्म सम्मेलन शिकागो में भाषण | 1893 |
मृत्यु तिथि | 4 जुलाई 1902 बेलूर (पश्चिम बंगाल) |
विशेष | 2012 में स्वामी विवेकानंद के 150 वें जन्मदिवस पर भारतीय रिजर्व बैंक ने ₹ 150 का सिक्का जारी किया था। |
स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय | Swami Vivekanand Ka Jivan Parichay
स्वामी विवेकानंद जी: स्वामी विवेकानंद वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। भारत में विवेकानंद जी को एक देशभक्त सन्यासी के रूप में माना जाता है। स्वामी विवेक विवेकानंद जी एक भारतीय हिंदू भिक्षु थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति को विश्व भर में प्रसिद्ध किया था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। इनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
स्वामी विवेकानंद जी का जन्म
स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को हुआ था।
स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म-स्थान
स्वामी विवेकानंद जी का जन्म कोलकाता में हुआ था।
स्वामी विवेकानंद जी के पिता का नाम
स्वामी विवेकानंद जी के पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था। जो एक वकील थे।
स्वामी विवेकानन्द जी के माता का नाम
स्वामी विवेकानंद जी के माता का नाम श्रीमती भुनेश्वरी देवी था।
स्वामी विवेकानंद जी के बचपन का नाम
स्वामी विवेकानंद जी के बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था।
स्वामी विवेकानंद जी के गुरु का नाम
स्वामी विवेकानंद जी के गुरु का नाम श्री रामकृष्ण परमहंस था।
स्वामी विवेकानन्द जी की शिक्षा
स्वामी विवेकानन्द जी ने स्कॉटिश चर्च कॉलेज और विद्यासागर कॉलेज से अपनी शिक्षा प्राप्त की थी। इसके बाद इन्होंने प्रेसिडेंट विश्वविद्यालय, कोलकाता में दाखिला लेने के लिए परीक्षा दी थी। विवेकानंद जी पढ़ाई में काफी तेज थे और इन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया था। विवेकानंद जी को संस्कृत, साहित्य, इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कला, धर्म और बंगाली साहित्य में गहरी दिलचस्पी थी। तथा दर्शन, वेद, उपनिषद, भगवत गीता, रामायण, महाभारत, पुराणों के अतिरिक्त अनेक हिंदू शास्त्रों में इनकी गहन रूचि थी।
स्वामी विवेकानंद जी और श्री रामकृष्ण परमहंस
श्री रामकृष्ण परमहंस जी, स्वामी विवेकानंद जी के गुरु थे। और विवेकानंद जी ने इन्हीं से धर्म का ज्ञान प्राप्त किया था एक बार विवेकानंद जी ने श्री रामकृष्ण परमहंस से एक सवाल पूछते हुए कहते हैं। कि क्या आपने भगवान को देखा है? दरअसल विवेकानंद जी से लोग अक्सर इस सवाल को किया करते थे। पर उनके पास इस सवाल का जवाब नहीं हुआ करता था। इस लिए जब वो श्री रामकृष्ण परमहंस से मिले तो इसी सवाल के जवाब पूछने लगे। तब गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस ने जवाब दिया कि मैंने भगवान को देखा है। भगवान हर किसी के अंदर स्थापित है श्री रामकृष्ण परमहंस का ये जवाब सुनकर स्वामी विवेकानंद को संतुष्टि मिली। और इस तरह से उनका झुकाव श्री रामकृष्ण परमहंस की ओर बढ़ने लगा और विवेकानंद जी ने श्री रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु बना लिया।
स्वामी विवेकानंद जी का प्रारंभिक जीवन
स्वामी विवेकानंद जी बचपन से ही अत्यंत कुशाग्र बुद्धि के थे और नटखट भी थे। अपने साभी बच्चों के साथ खूब शरारत करते तथा मौका मिलने पर अपने अध्यापकों के साथ भी शरारत करने से नहीं चूकते थे। परिवार के धार्मिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के प्रभाव से स्वामी विवेकानंद जी बचपन से ही धर्म एवं अध्यात्म के संस्कार गहरे होते गए। 25 वर्ष की आयु में ही विवेकानंद जी ने गेरुआ वस्त्र पहनना शुरू कर दिया था।
स्वामी विवेकानंद जी की अमेरिका की यात्रा और शिकागो भाषण
सन् 1893 में विवेकानंद द्वारा शिकागो में दिया गया उनका भाषण बेहद ही प्रसिद्ध रहा था और इस भाषण के माध्यम से उन्होंने भारतीय संस्कृति को पहली बार दुनिया के सामने रखा था। शिकागो में हुए इस विश्व धर्म सम्मेलन में दुनिया भर से कई धर्मगुरु आए थे और अपने साथ अपनी धार्मिक किताबें लेकर आए थे। विवेकानंद जी ने इस सम्मेलन में धर्म का वर्णन करने के लिए श्री भगवत गीता अपने साथ लेकर आए थे। जैसे ही विवेकानंद जी ने अपने अध्यात्म और ज्ञान के भाषण की शुरुआत की तब सभा में मौजूद हर व्यक्ति उनके भाषण को गौर से सुनने लगा और भाषण खत्म होते ही हर किसी ने तालियाँ बजानी शुरू कर दी दरअसल विवेकानंद जी ने वैदिक दर्शन का ज्ञान दिया था। और सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था विवेकानंद जी के इस भाषण से भारत की एक नई छवि दुनिया के सामने बनी थी और आज भी स्वामी जी की अमेरिका यात्रा और शिकागो भाषण को लोगों द्वारा याद रखा गया है। इन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की थी।
स्वामी विवेकानंद की जयंती
स्वामी विवेकानंद जी की जयंती हर साल 12 जनवरी को मनायी जाती है तथा हम सब इनकी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाते हैं।
रामकृष्ण मिशन की स्थापना
स्वामी विवेकानंद जी ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1 मई 1897 में की थी और इस मिशन के तहत उन्होंने नए भारत के निर्माण का लक्ष्य रखा था और कई सारे अस्पताल, स्कूल और कॉलेजों का निर्माण किया था। रामकृष्ण मिशन के बाद विवेकानंद जी ने सन् 1998 में बेलूर मठ (Belur Math) की स्थापना की थी इसके अलावा विवेकानंद जी ने अपने जीवन काल में कई देशों का दौरा किया था और दुनिया भर में हिंदू धर्म का प्रचार किया था सन् 1894 में इन्होंने न्यूयार्क में वेदांत सोसाइटी की स्थापना की थी। तथा कैलिफ़ोर्निया में शांति अद्वैत आश्रम की स्थापना किये।
स्वामी विवेकानंद जी की किताबें
ज्योतिपुंज विवेकानंद जी द्वारा हिंदू धर्म योग एवं अध्यात्म पर लिखी गई सभी पुस्तकें इस प्रकार हैं —
- कर्म योग
- ज्ञान योग
- प्रेम योग
- भक्ति योग
- हिंदू धर्म
- जाति, संस्कृति और समाजवाद
- वर्तमान भारत
- पवहारी बाबा
- मेरी समर – नीति
- शिक्षा
- धर्मतत्व
- ईशदूत ईसा
- भारतीय नारी
- राजयोग
- जागृति का संदेश
- मरणोतर जीवन
- मेरा जीवन तथा ध्येय
स्वामी विवेकानंद जी का कथन | Swami Vivekananda quotes in hindi
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था —
उठो, जागो और तब तक नहीं रुको
जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए।
ख़ुद को कमज़ोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही है।
किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आए-आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु (Swami Vivekananda death)
स्वामी विवेकानंद जी ने अपने जीवन की अंतिम सांस बेलूर में ली थी। इनका निधन 4 जुलाई 1902 में हुआ था।
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