इस आर्टिकल में हम व्यंजन किसे कहते है और कितने प्रकार के होते हैं? इसके बारे में विस्तार से पढ़ेगे – Vyanjan Kise Kahate Hain और Vyanjan Kitne Prakar Ke Hote Hain.
व्यंजन किसे कहते है?
स्वर की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण ‘व्यंजन‘ कहते है। प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में ‘अ‘ स्वर मिला होता है। ‘अ‘ के बिना व्यंजन उच्चारण सम्भव नहीं है। परंपरागत रूप से व्यंजनों की संख्या 33 मानी जाती है। द्विगुण व्यंजन ‘ड़’ और ‘ढ़‘ को जोड़ देने पर इनकी संख्या 35 हो जाती है।
व्यंजन के प्रकार
व्यंजन के निम्नलिखित तीन प्रकार है –
- स्पर्श व्यंजन
- अन्त:स्थ व्यंजन
- ऊष्म या संघर्षी व्यंजन
1. स्पर्श व्यंजन
जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा फेफड़ो से निकलते हुए मुँह के किसी स्थान विशेष जैसे – कंठ , तालु , मूर्धा , दाँत या ओंठ का स्पर्श करते हुए निकले उसे “स्पर्श व्यंजन” कहते है।
उदाहरण :-
‘क’ वर्ग – क् , ख् , ग् , घ् , ङ्
‘च’ वर्ग – च् , छ् , ज् , झ् , ञ्
‘ट’ वर्ग – ट् , ठ् , ड् , ढ् , ण्
‘त’ वर्ग – त् , थ् , द् , ध् , न्
‘प’ वर्ग – प् , फ् , ब् , भ् , म्
2. अन्त:स्थ व्यंजन
जिन वर्गों का उच्चारण पारंपरिक वर्णमाला के बीच अर्थात् स्वरों व व्यंजनों के बीच स्थित हो उन्हें “अन्त:स्थ व्यंजन” कहते है।
उदाहरण :- अन्त:स्थ व्यंजनों की कुल संख्या चार है – य , र , ल , व ।
3. ऊष्म या संघर्षी व्यंजन
जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय वायु मुख में किसी स्थान विशेष पर घर्षण / रगड़ खा कर निकले और ऊष्मा / गर्मी पैदा करे। “ऊष्म या संघर्षी व्यंजन” कहलाते है।
उदाहरण :- श , ष , स , ह |
व्यंजन के भेद कितने होते हैं?
व्यंजन के तीन भेद होते है जो इस प्रकार है।
- स्पर्श व्यंजन
- अन्त:स्थ व्यंजन
- ऊष्म या संघर्षी व्यंजन
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