संधि किसे कहते हैं, अर्थ, परिभाषा, भेद अथवा प्रकार, उदाहरण

इस आर्टिकल में हम संधि किसे कहते हैं (Sandhi Kise Kahate Hain), संधि का अर्थ, परिभाषा, संधि के भेद अथवा प्रकार आदि के बारे में पढेंगे, तो चलिए विस्तार से पढ़ते हैं संधि के बारे में (Sandhi in Hindi). बहुत ही सरल भाषा में लिखा गया है जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है।

संधि का अर्थ

संधि का शाब्दिक अर्थ ‘मेल’ होता हैं।

संधि किसे कहते हैं

दो समीपवर्ती (निकटवर्ती) वणों के परस्पर में से जो विकार (परिवर्तन) होता हैं, वह ‘संधि‘ कहलाता है। संधि में पहले शब्द के अंतिम वर्ण एवं दूसरे शब्द के आदि (पहले) वर्ण का मेल होता है।

उदाहरण

देव + आलय = देवालय

जगत् + नाथ = जगन्नाथ

मन: + योग = मनोयोग

संधि – विच्छेद की परिभाषा

संधि को समझकर, संधि के नियमो द्वारा मिले वणों को फिर मूल अवस्था में ले आने को संधि – विच्छेद कहते हैं।

उदाहरण

परीक्षार्थी = परीक्षा + अर्थी

वागीश = वाक् + ईश

अन्त:करण = अन्त: + करण

संधि के भेद अथवा प्रकार

संधि के पहले वर्ण के आधार पर संधि के तीन प्रकार है –

  1. स्वर संधि
  2. व्यंजन संधि
  3. विसर्ग संधि

1. स्वर संधि

संधि का पहला वर्ण यदि स्वर वर्ण हो तो स्वर संधि कहलाता है।

जैसे: नव + आगत = नवागत

स्पष्टीकरण: संधि का पहला वर्ण ‘व’ – (अ)- स्वर वाला है।

2. व्यंजन संधि

किसी संधि का पहला वर्ण यदि व्यंजन वर्ण हो तो, वह व्यंजन संधि कहलाता हैं।

जैसे: वाक् + ईश = वागीश

स्पष्टीकरण: उपर्युक्त उदाहरण में संधि का पहला वर्ण ‘‘ व्यंजन वर्ण हैं।

3. विसर्ग संधि

किसी संधि का पहला वर्ण यदि विसर्ग युक्त हो तो वह विसर्ग संधि कहलाता हैं।

जैसे: मन: + योग = मनोयोग

स्पष्टीकरण: उपर्युक्त उदाहरण में, संधि का पहला वर्ण ‘न:‘ विसर्गयुक्त हैं।

स्वर – संधि की परिभाषा

स्वर के बाद स्वर अर्थात् दो स्वरों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता हैं स्वर-संधि कहलाता हैं।

उदाहरण:

सूर्य + अस्त = सूर्यास्त

महा + आत्मा = महात्मा

स्वर – संधि के भेद अथवा प्रकार

स्वर सन्धि के निम्नलिखित पाँच भेद होते है –

संधि किसे कहते हैं, अर्थ, परिभाषा, भेद अथवा प्रकार, उदाहरण

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