वात्सल्य रस (Vatsalya Ras) की परिभाषा, उपकरण और उदाहरण

आज के इस पोस्ट में मैं आपको वात्सल्य रस (Vatsalya Ras) की परिभाषा, उपकरण और उदाहरण की पूरी जानकारी दे रही हूँ, तो चलिए जानते हैं – Vatsalya Ras Ki Paribhasha Aur Vatsalya Ras Ka Udaharan . आप चाहे तो इसे अपने Notebook में भी लिख सकते है। जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है। 

वात्सल रस की परिभाषा (vatsalya ras ki paribhasha)

माता – पिता का अपने सन्तान आदि के प्रति जो स्नेह होता है उसे वात्सल रस कहते है |

OR

पुत्र, बालक, शिष्य, अनुज आदि के प्रति रति का भाव स्नेह कहलाता है| उसी भाव पर परिपुष्ट होकर ‘वात्सल्य रस‘ का की व्यंजना करता है |

वात्सल रस के उपकरण

  • वात्सल्य रस का स्थायी भाव — स्नेह (वत्सलता) |
  • वात्सल्य रस का आलम्बन विभाव — पुत्र, शिशु एवं शिष्य |
  • वात्सल्य रस का उद्दीपन विभाव — बालक की चेष्टाएँ, तुतलाना, हठ करना आदि तथा उसका रूप एवं उसकी वस्तुएँ।
  • वात्सल्य रस का अनुभाव — स्नेह से बालक को गोद में लेना, आलिंगन करना, सर पर हाथ फेरना, थपथपाना आदि।
  • वात्सल्य रस का संचारी भाव — हर्ष, गर्व, मोह, चिन्ता, आवेग, शंका आदि।

वात्सल ​रस का उदहारण (vatsalya ras ka udaharan)

उदाहरण -1

किलकत कान्ह घुटरुवन आवत |
मनिमय कनक नन्द के आँगन बिम्ब पकरिवे घावत ||

उदाहरण -2

बाल दसा सुख निरखि जसोदा, पुनि – पुनि नन्द बुलावति |
अँचरा – तर लै ढांकि सुर, प्रभु कौ दूध पियावति ||

निष्कर्ष,

इस आर्टिकल में हमने  वात्सल्य रस की परिभाषा, उपकरण और उदाहरण (Vatsalya Ras Ki Paribhasha Aur Vatsalya Ras Ka Udaharan) के बारे में जाना। हमें उम्मीद हैं कि, आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी।

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