इस लेख में होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) बहुत ही सरल और सुव्यवस्थित हिन्दी भाषा में क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया है जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है।

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) | होली पर निबंध हिंदी में
रुपरेखा-
- प्रस्तावना
- होली मनाने का समय
- होली मनाने का कारण
- होली का वर्णन अथवा होली की व्याख्या
- होली का महत्व
- होली में रंगों का महत्व
- वर्तमान में होली का स्वरूप
- होली में सावधानियाँ
- उपसंहार
प्रस्तावना
“पूर्णिमा का चाँद रंगों की होली,
चाँद से उसकी चाँदनी बोली ।
सुगियों से भर दे सबकी झोली
आपके जीवन को रंग दे ये होली।।”
होली हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। होली एक ऐसा रंग-बिरंगा त्यौहार है, जिसे हिंदूओ के साथ – साथ अन्य धर्मो के लोग भी बड़े धूम – धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। होली पर्व के शुभ अवसर पर सभी लोग एक – दूसरे के घर जाकर रंग लगाते हैं और नाश्ते – गाते हैं। होली के दिन लोग अपने घरों में अलग-अलग तरीकों से विभिन्न प्रकार के पकवानों को बनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा – धजा यह पर्व भाई – चारे का संदेश देता है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले – शिकवे भुलकर एक – दूसरे के गले लगते हैं और एक – दूजे को गुलाल भी लगाते हैं। बच्चे और युवा तो कई दिन पहले से ही रंगों से डूब जाते हैं। होली एक प्रमुख त्यौहार है जो भारत देश के साथ-साथ विश्व के अनेक देशों ने भी मनायी जाती है।
होली मनाने का समय
होली रंगों का त्यौहार है जो हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। होली का त्योहार हर साल मार्च के महीने में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस त्योहार को फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार प्रमुख रूप से दो दिनों का होता है। जिसमें पहले दिन होलिका दहन किया जाता है, इसमें लड़किया गोबर के कंडे बनाती है और उनसे होलिका दहन किया जाता है। होली के दूसरे दिन को धुलण्डी कहा जाता है। इस दिन सभी लोग एक – दूसरे को रंग – बिरंगे रंग लगाते हैं। इस प्रकार दूसरा दिन रंगोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
होली मनाने का कारण
पौराणिक कथाओं के अनुसार दैत्यों का राजा हिरण्यकश्यप था जो अपने आप को भगवान मानता था। इसलिए वह अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा नहीं होने देता था। उसका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं था। उसने अपने पुत्र प्रहलाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से बहुत रोका, परन्तु वह अपने सभी प्रयासों में नाकामयाब रहा। थक – हार कर हिरण्य कश्यप ने प्रहलाद को जान से भी मारने की कोशिश की। हाथी के पैरों तले कुचलाया और पहाड़ से फेंकवाया, फिर भी प्रहलाद को मार न सका। अब हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद ली। होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं चलेगी। होलिका ने प्रहलाद को गोद में बिठाया और आग में बैठ गयी। प्रहलाद भगवान का नाम जपता रहा और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। जबकि होलिका जलकर भस्म हो गई। उसका वरदान भी निष्फल हो गया, क्योंकि उसने अपने वरदान का दुरुपयोग किया था। वहीं दूसरी तरफ प्रहलाद आग में बैठने के बाद भी अपनी भक्ति की शक्ति के कारण सुरक्षित रहते हैं। इस प्रकार बुराई पर अच्छाई की विजय हुई। तभी से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।
होली का वर्णन अथवा होली की व्याख्या
होली का त्योहार होली की रात से एक दिन पहले आरम्भ हो जाता है। लोग उपलो और लकड़ियों का देर लगाते हैं। फिर शुभ घड़ी में इस ढेर यानी होलिका में आग लगा दी जाती है। इस आग में लोग नये अनाज की वाली भूनकर अपने आराध्य देवता को अर्पित करते हैं। होलिका दहन का अगला दिन रंग – भरी होली का होता है । इसे धुलेंडी भी कहा जाता है। इस त्यौहार के शुभ अवसर पर सभी धर्म और जाति के लोग छोटे – बड़े, बच्चे – बूढ़े, स्त्री – पुरुष एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग भी बरसाते हैं। सड़कों पर युवको की टोली गाते और बजाते हुए निकलती है। एक – दूसरे को मिठाईयां खिलाते हैं और रंग लगाते हैं। और अमीर – गरीब, उच्च – नीच, अच्छा – बुरा का भेदभाव भूल कर सभी आनंद के साथ होली में झूमते नजर आते हैं। बहुत से लोग भांग और ठंडाई भी पीते हैं। घर की महिलाएं बहुत सारे पकवान बनाती हैं जैसे – गुझियां, पापड़, पूरी, खीर, कचौड़ी, समोसा आदि। ये सब पकवान बनाकर दोपहर से ये लोग भी होली खेलना प्रारंभ करती हैं। वही बच्चे सुबह उठने के साथ ही उत्साह के साथ होली खेलने के लिए मैदान में आ जाते हैं।
होली का महत्व
होली के पर्व से संबंधित होलिका दहन के दिन, परिवार के सभी सदस्य को उबटन लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि उस दिन उबटन लगाने से व्यक्ति के सभी रोग दूर हो जाते हैं तथा गांव के सभी घरों से एक – एक लकड़ी व कुछ उपले होलिका में जलाने के लिए दी जाती है। कहा जाता है कि आग में लकड़ी जलाने के साथ ही लोगों के सभी विकार भी जलकर नष्ट हो जाते हैं होली के कोलाहल में, व्यक्ति अपना दिल बड़ा करके तथा आपसी दुश्मनी को भुलाकर शत्रु को भी गले से लगा लेते है।
होली में रंगों का महत्व
होली रंगों का त्यौहार है होली की पहचान और रौनक इन्हीं रंगों में ही समाया हुआ होता है। रंगों से सराबोर चेहरे और कपड़े सभी के होठों पर मुस्कान ले आते हैं। बड़े – बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्यौहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग – बिरंगे रंग होली के त्योहार को चार चांद लगा देते हैं। होली के इस उत्सव में रंग ही होली की जान होती है। इस दिन दुश्मन में गले मिल जाते हैं। होली का त्योहार अनेकता में एकता का प्रतीक है।
वर्तमान में होली का स्वरूप
वर्तमान में होली का स्वरूप बदलता जा रहा है क्योंकि युवा लोग इसके महत्व को ना समझकर इसे नशे के त्यौहार के रूप में देख रहे हैं। आजकल के युवा होली के दिन तरह-तरह का नशा करके बैठे रहते हैं। कुछ लोगों को तो इसकी वजह से गम्भीर नुकसान भी हो जाते हैं। इस दिन अब युवाओं में लड़ाई झगड़ा तो आम बात हो गई है। लोग होली के शुभ अवसर पर दुश्मनी भुलाने की जगह अब तो दुश्मनी बढ़ाने लगे हैं। आजकल के युवा लोग रंग के स्थान गोबर, नाली का गंदा पानी और केमिकल युक्त पक्के रंगों का इस्तेमाल करते हैं। जो कि होली की शोभा को धूमिल करते है। यह सब चीजे होली के त्यौहार की छवि को बिगाड़ रही हैं। हमें लोगों को जागरूक करना होगा।
होली में सावधानियाँ
होली आपसी प्रेम और भाई – चारे का संदेश देने वाला मस्ती भरा रंगों का त्यौहार है। रंग में भंग न हो इसके लिए होली पर कुछ सावधानियां रखना जरूरी होती है-
- होलिका में किसी ऐसी वस्तु को जलाने से बचें जिससे वायु प्रदूषण हो। प्लास्टिक और रबर की चीजों को जलाकर प्रदूषण न फैलाएं।
- रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम नहीं करना चाहिए ताकि लोगों के शरीर में किसी भी प्रकार की क्षति न हो।
- होली में रंग और गुलाल की जगह केमिकल और कांच मिले रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे चेहरा खराब हो जाता है।
- आँख, नाक और कान जैसे अंगो पर रंग गुलाल लगाने से बचे।
- पानी के गुब्वारो से किसी को भी फेककर न मारे, विशेषकर ऊंचे भवनों से नीचे जा रहे लोगों पर गुब्बारे न फेकेन।
- जबरदस्ती किसी के साथ होली ना खेलें।
- बहुत से लोग मादक पदार्थों का सेवन व भोज्य प्रदार्थों में भांग मिलाकर नशा करते हैं। जिससे कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं।
उपसंहार
होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस त्योहार से सीख लेते हुए हमें भी अपनी बुराइयों को छोड़ते हुए अच्छाई को अपनाना चाहिए। यह एक ऐसा त्यौहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई – चारे का संदेश देता है। होली के शुभ अवसर पर सारे लोग अपने पुराने गिले शिकवे भुलाकर गले मिलते हैं। हमें इस बात बात को समझना होगा कि होली मिल – जुलकर प्रेम से रहने और जीवन के रंगों को अपने भीतर आत्मसात करने का त्यौहार है। वर्तमान में भटके हुए युवाओं को हमें इस त्यौहार के महत्व और विशेषताओं से अवगत कराना चाहिए ताकि उनके विचार बदले और हमारे इस सौहार्दपूर्ण त्यौहार की छवि सदैव बनी रहे।
हमें उम्मीद है कि “होली पर निबंध (Holi Par Nibandh)” पर आधारित यह लेख आपको पसंद आया होगा। स्टडी नोट्स बुक विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए व्यापक नोट्स प्रदान करती है।