हिन्दी भारत की राजभाषा है राष्ट्रभाषा। संस्कृत के भाष् धातु से भाषा शब्द निर्मित है। जिसका अर्थ है ‘वाणी को व्यक्त करना‘ । भाषा के द्वारा मानव के भावों, विचारों तथा भावनाओं को व्यक्त किया जाता है। प्रत्येक भाषा की अपनी प्रकृति और आन्तरिक गुण – अवगुण होते है। भाषा एक सामाजिक शक्ति है, जो मानव को प्राप्त होती है।
भाषा का निर्माण वाक्यों से, वाक्यों का शब्दों से तथा शब्द मूल ध्वनियों से निर्मित होते है।
संस्कृत → पालि → प्राकृत → अपभ्रश → हिन्दी
भाषा के अंग है: वाक्य, शब्द एवं मूल ध्वनियाँ जिनका अध्ययन विवेचन व्याकरण में होता है।
भाषा किसे कहते हैं?
मनुष्य की सार्थक व्यक्त वाणी को सामान्यत: भाषा कहते है।
भाषा के भेद कितने होते हैं?
भाषा परम्परागत एवं अर्जित दोनों होती है। भाषा के प्रमुख्य: दो भेद – ‘कथित एवं लिखित‘ होते है किन्तु कुछ विध्दान ‘सांकेतिक भाषा‘ को भी भाषा का भेद मानते है।
प्रत्येक देश की भाषा के तीन रूप प्राप्त होते है।
- बोलियाँ
- परिनिष्ठित भाषा
- राष्ट्रभाषा
हिंदी भाषा की उत्पत्ति एवं इतिहास – Hindi Language
हिन्दी भाषा (Hindi Language) विश्व की प्राचीन भाषाओं में से एक है, जो विश्व में तीसरी सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा है। भारत की जनगणना 2011 के अनुसार 57% जनसंख्या हिन्दी जानती है। हिन्दी भारोपीय भाषा परिवार के अंतर्गत आती है। भारत में मुख्य रूप से द्रविड़ परिवार तथा आर्य भाषा परिवार की भाषाएँ बोली जाती है, जिनमे द्रविड़ भाषा परिवार दक्षिण में तथा आर्य भाषा परिवार उत्तर में प्रचलित है।
- पहले स्थान पर चीन की मंडारिन भाषा है।
भारतीय आर्य भाषाओं को 3 कालों में विभाजित किया गया है:
1. | प्राचीन भारतीय आर्यभाषा | 1500 ई०पू० – 500 ई०पू० |
2. | मध्यकालीन भारतीय आर्यभाषा | 500 ई०पू० – 1000 ई० |
3. | आधुनिक काल आर्यभाषा | 1000 ई० से अब तक |
प्राचीन भारतीय आर्यभाषा
इस काल में वैदिक संस्कृत व लौकिक संस्कृत का प्रचलन था। इस काल को भी दो वर्गों में बाटा गया है जो निम्नलिखित है –
वैदिक संस्कृत (छन्दस्) – 1500 ई०पू० से 500 ई०पू०
इस काल में ऋग्वेद की रचना हुई थी जो वैदिक संस्कृत में है।
लौकिक संस्कृत (संस्कृत) – 1000 ई०पू० से 500 ई०पू०
इस काल में पुराण, अथर्ववेद, उपनिषदों तथा विभिन्न बाह्मण ग्रंथों की रचना हुई जो लौकिक संस्कृत में है।
प्रथम प्राकृत काल: पालि – 500 ई०पू० से 1 ई०
भारत की प्रथम देश भाषा, बुध्द के सारे उपदेश पालि भाषा में ही है। इसे मागधी भाषा के नाम से भी जाना जाता है।
द्वितीय प्राकृत काल: प्राकृत 1 ई० से 500 ई०
भगवान महावीर के सारे उपदेश एवं सभी जैन साहित्य प्राकृत भाषा में है। उस समय सामान्य बोलचाल की भाषा थी इसमे व्याकरण का अभाव था।
तृतीय प्राकृत काल
- अपभ्रंश – 500 से 1000 ई०
- अवहट्ठ – 900 से 1100 ई०
अपभ्रंश के रूप | विकसित हुई आधुनिक भाषाएँ |
शैरसेनी | पश्चिमी हिन्दी, राजस्थानी, गुजराती |
अर्धमागधी | पूर्वी हिन्दी |
मागधी | बिहारी, उड़िया, बांग्ला. असमिया |
खस | पहाड़ी |
ब्राचड़ | पंजाबी |
महाराष्ट्री | मराठी |
आधुनिक भारतीय आर्यभाषा
आधुनिक भारतीय आर्यभाषा में हिन्दी को तीन भागों में बाटा गया है –
- प्राचीन हिन्दी – (1100 ई० – 1400 ई०)
- मध्यकालीन हिन्दी – (1400 ई० – 1850 ई०)
- आधुनिक हिन्दी – (1850 ई० – अब तक)
हिन्दी भाषा की उत्पत्ति और विकास | हिंदी भाषा का विकास
- हिन्दी भाषा (Hindi Language) की उत्पत्ति मूल रूप से शैरसेनी अपभ्रंश से हुई है।
- वैसे तो हिन्दी भाषा की आदि जननी संस्कृत मानी जाती है।
- हिन्दी संस्कृत, पाली, पाकृत भाषा से होती हुई अपभ्रंश अवहट्ट से गुजराती हुई हिन्दी का रूप लेती है।
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