जोगीमारा गुफा (Jogimara Cave) नर्मदा नदी के उद्गम स्थल पर स्थित है और ये रामगढ़ की पहाड़ी पर स्थित है। वास्तविक रूप में नर्मदा नदी मैकाल की पहाड़ी के अमरकंटक की चोटी से निकलती है। जोगीमारा गुफा छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिला में है। रामगढ़ की पहाड़ी पर दो गुफा स्थित है।
- जोगीमारा
- सीताबेंगरा
जोगीमारा गुफा
जोगीमारा गुफा की माप 10×6×6 फिट (10 लंबाई × 6 चौड़ाई × 6ऊंचाई) है। जोगीमारा गुफा भित्तिचित्र के लिए प्रसिद्ध है। जोगीमारा गुफा आयताकार हैं।
नोट:— “भित्तिचित्र यानी Mural, Mural (म्यूरल) वह होता है जो दीवारों और छतों पर बनाया जाता है। Mural (म्यूरल) शब्द लैटिन के Muralis से है। Muralis का अर्थ वालों Wall (दीवार) होता है Muralis अंग्रेजी भाषा का शब्द है।”
ऐतिहासिक भारत का सबसे प्राचीन भित्तिचित्र (Mural) जोगीमारा गुफा (Jogimara Gufa) में ही प्राप्त होता है। जोगीमारा गुफा का निर्माण काल 300 ई० पू० यानी तीसरी शताब्दी में हुआ था। जोगीमारा गुफा का निर्माण मौर्य काल में सम्राट अशोक के समय में हुआ था। जोगीमारा गुफा के भित्तिचित्र छत पर बने हैं सफेद पृष्ठभूमि पर और लाल रंग से।
नोट:— “जोगीमारा गुफा के भित्तिचित्र मुख्यत: लाल रंग से बने हैं और काला रंग का प्रयोग भी हुआ है”
जोगीमारा गुफा का विषय क्या है
- डॉ० ब्लाख के अनुसार— जोगीमारा गुफा (Jogimara Cave) के चित्र ग्रीक से संबंधित है यानी यूनानियों से।
- राय कृष्णदास के अनुसार— जोगीमारा गुफा के चित्र जैन धर्म से संबंधित है।
- असित कुमार हाल्दार के अनुसार— जोगीमारा गुफा के भित्तिचित्र मंदिरों में रहने वाली देव दासियों से संबंधित है।
और इन भित्तिचित्र में खनिज और वानस्पतिक दोनों रंगों का प्रयोग हुआ है ज्यादा खनिज रंगों का प्रयोग हुआ है।
1914 AD में असित कुमार हाल्दार और क्षेमेंद्रनाथ गुप्त ने अध्ययन किया और प्रतिलिपियाँ बनाई और उन्होंने जोगीमारा गुफा के भित्तिचित्रों को सात भागों में बांटा है।
मछली, हाथी, मानव आकृति, फूल (रेड लिली), पशु – पक्षी, भवन, नृत्यांगना, गायन वादन करते मानवाकृतियाँ।
नोट:— चित्रों का निर्माण देवदासी सुतनुका और देवदीन्न ने किया था।
- जोगीमारा गुफा में एक मौर्यकालीन अभिलेख मिला है जो मौर्यकालीन ब्राह्मी लिपि में है जिसमें देवदासी सुतनुका और देवदीन्न के प्रेम – प्रसंग का वर्णन है।
- जोगीमारा गुफा में जो अभिलेख मिले हैं वह ब्राह्मी लिपि में है और प्राकृत भाषा में हैं।
- देवदासी शब्द का प्रथम उल्लेख जोगीमारा गुफा के अभिलेख में है।
- कुछ विद्वानों ने जोगीमारा गुफा को वरुण देवता का मंदिर भी माना हैं।
विशेषताएँ
- रंग — खनिज और वानस्पतिक रंग (लाल, काला, सफेद, पीला)
- हाशिय — पीले रंग से बने हैं (यानि चित्र विभाजन के लिए जो हाशिय बनाये गये हैं)
- मानावाकृतियाँ — यहाँ की मानावाकृतियाँ बौनी और अनुपातरहित हैं।
- सांची और भरहुत के मूर्तिकला शैली का प्रभाव पड़ा हैं
- रायकृष्णा दास के अनुसार — चित्रों का विषय जैन धर्म से सम्बंधित और इस पर जैन धर्म का प्रभाव हैं।
- इसके चित्रों में लॉ आफ फन्तिलिटी का प्रयोग हुआ हैं।
नोट:— जोगीमारा गुफा में नीला प्राथमिक रंग (Primary color) का प्रयोग नहीं हुआ हैं। [प्राइमरी रंग – लाल, पीला, नीला (RYB) होता हैं]
सीताबेंगरा गुफा (सीतालांगड़ा)
सीताबेंगरा गुफा को सीतालांगड़ा के नाम से भी जानते हैं यह जोगीमारा गुफा के बगल में हैं। सीताबेंगरा गुफा में एक अभिलेख हैं जो मौर्य कालीन ब्राह्मी लिपि और प्राकृत भाषा में हैं । यह गुफा भी सम्राट अशोक के काल का हैं।
सीताबेंगरा गुफा आयताकार हैं। जिसकी लम्बाई 14 × चौड़ाई 5 × ऊचाई 1.8 मीटर हैं।
नोट:— सीताबेंगरा गुफा एशिया का सबसे प्राचीन नाट्यशाला माना जाता है।
FAQs (संबंधित प्रश्न)
Ans: यह रामगढ़ की पहाड़ी पर स्थित है। और ये छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिला में है।
Ans: जोगीमारा गुफा जैन धर्म से संबंधित है और इस पर जैन धर्म का प्रभाव हैं।
Ans: जोगीमारा गुफा का निर्माण मौर्य काल में सम्राट अशोक के समय में हुआ था।