‘निराला एक क्रान्तिकारी कवि है’ प्रमाणित कीजिए।

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प्रश्न: ‘निराला एक क्रान्तिकारी कवि है।’ प्रमाणित कीजिए।

उत्तर: निराला का व्यक्तित्व एवं कृतित्व दोनों निराला है। उनकी रचनाओं में जहां एक ओर छायावादी काव्यधारा के अनुरूप प्रेम और सौंदर्य का निरूपण हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर प्रगतिवादी काव्यधारा के अनुरूप क्रांतिकारी भावना एवं रूढियों तथा जीर्ण – जर्जर मान्यताओं के प्रति विद्रोह का स्वर भी मुखरित हुआ है।

निराला ने अपनी रचनाओं में कई स्थनों पर समाज – सुधार सम्बन्धी विचारों की ओजस्वी अभिव्यक्ति करके अपनी विद्रोही एवं क्रान्तिकारी भावना को रेखांकित किया है। कवि की कामना है कि समाज का प्रत्येक प्राणी सुखी हो। उसने अपने प्रख्यात वन्दना-गीत ‘वर दे! वीणा वादनि वर दे‘ में विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती से यह याचना की है कि मानव – समाज में नवीन शक्तियों का अभ्युदय हो,

जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्य कर्मों के प्रति सचेष्टता प्रदर्शित करें। वे समतामूलक समाज के पक्षपाती हैं, वे ऐसी सामाजिक व्यवस्था का घोर विरोध करते हैं, जिसमें एक अमीर और अधिक अमीर होता जाता है और एक गरीब और अधिक गरीब होता जाता है। इनकी क्रांतिकारी भावनाओं को पुष्ट करती हुई निम्न पंक्तियाँ अवलोकनीय है—

‘आओ आओ
जल्द-जल्द पैर बढ़ाओ
आज अमीरों की हवेली
किसनों की होगी पाठशाला।
धोबी पासी चमार तेली
खोलेंगे अँधेरे का ताला।।’

अत: सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के क्रांतिकारी व्यक्तित्व एवं कृतित्व को देखते हुए हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि ‘निराला जी एक क्रान्तिकारी कवि है‘।

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