विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध

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इस लेख में विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध बहुत ही सरल और सुव्यवस्थित हिन्दी भाषा में क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया है जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है।

अन्य सम्भावित अथवा सम्बन्धित शीर्षक — विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध (Vigyan Vardan Ya Abhishap Par Nibandh)

  • विज्ञान का सदुप्रयोग पर निबंध
  • वैज्ञानिक का आविष्कार पर निबंध
  • विज्ञान के लाभ और हानियाँ पर निबंध
  • विज्ञान और मानव कल्याण पर निबंध
  • विज्ञान का महत्व: विज्ञान वरदान भी अभिशाप भी
  • विज्ञान के बढ़ते चरण: विकास या विनाश की ओर
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध
  • विज्ञान का महत्व पर निबंध
  • विज्ञान और मानव – हित पर निबंध
  • विज्ञान की देन पर निबंध
विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध, Vigyan Vardan Ya Abhishap Par Nibandh
विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध

विषय-सूची

विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध – Science boon or curse essay in hindi

रुपरेखा-

  1. प्रस्तावना
  2. विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान वरदान के रूप में
    • संचार के क्षेत्र में विज्ञान
    • यातायात व परिवहन के क्षेत्र में विज्ञान
    • चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान
    • शिक्षा के क्षेत्र में विज्ञान
    • कृषि के क्षेत्र में विज्ञान
    • मनोरंजन के क्षेत्र में विज्ञान
    • उद्योगों के क्षेत्र में विज्ञान
    • परमाणु – शक्ति के क्षेत्र में विज्ञान
    • दैनिक जीवन में विज्ञान
  3. विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान एक अभिशाप के रूप में
  4. विज्ञान वरदान या अभिशाप
  5. विज्ञान के चमत्कारों से लाभ व हानि
  6. विज्ञान और मनुष्य का सम्बन्ध
  7. उपसंहार

वास्तव में विज्ञान ने जितनी समस्याएँ हल की हैं, उतनी ही नहीं समस्याएं खड़ी भी कर दी हैं।” – श्रीमती इंदिरा गांधी जी के शब्दों में

यह विज्ञान का युग है। वैज्ञानिक आविष्कारों ने हमारे जीवन को सहज और आरामदायक बना दिया है। उन्होंने सारे संसार को एक छोटा – सा स्थान बना दिया है।

1. प्रस्तावना

आधुनिक युग में विज्ञानके नवीन आविष्कारों ने विज्ञान में क्रांति सी ला दी है। एक समय था जब मनुष्य सृष्टि की प्रत्येक वस्तु को कौतूहलपूर्ण निगाहों से देखता था तथा आश्चर्यजनक समझता था तथा उससे भयभीत होकर ईश्वर से प्रार्थना करता था, किंतु आज विज्ञान ने प्रकृति को वश में करके उसे मानव की दासी बना दिया है।

आधुनिक युग में विज्ञान के अनेक नवीन आविष्कारों ने विज्ञान विश्व भर में क्रांति उत्पन्न कर दी है। अब तो विज्ञान के बिना मनुष्य के स्वतंत्र अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती। विज्ञान की सहायता से मनुष्य प्रकृति पर निरंतर विजय प्राप्त करता जा रहा है। आज से कुछ वर्ष पहले विज्ञान के आविष्कारों की चर्चा से ही लोग आश्चर्यचकित हो जाया करते थे, परंतु आज वही आविष्कार मनुष्य के जीवन में पूर्णतया यह घुल – मिल गए हैं।

विज्ञान ने हमें अनेक सुख – सुविधाएँ प्रदान की हैं किंतु साथ ही साथ विनाश के विभिन्न प्रकार के साधन भी जुटा दिए हैं। इस स्थिति में यह प्रश्न विचारणीय हो गया है कि विज्ञान मानव कल्याण के लिए कितना उपयोगी है? तथा विज्ञान समाज के लिए वरदान है या अभिशाप ?

2. विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान वरदान के रूप में

आधुनिक विज्ञान ने मानव – सेवा के लिए अनेक प्रकार के साधन जुटा दिए हैं। पुरानी कहानियों में वर्णित अलादीन के चिराग का दैत्य (राक्षस) जो काम करता था, उन्हें विज्ञान बड़ी सफलता से कर देता है। रातों – रात महल बनाकर खड़ा कर देना, आकाश – मार्ग से उड़कर दूसरे स्थान पर चले जाना, शत्रु के नगरों को मिनटो में बर्बाद कर देना, आदि विज्ञान के द्वारा सम्भव किए गए ऐसे ही कार्य हैं।

वैज्ञानिक आविष्कारों का सहारा लेकर मानव ने बड़ी से बड़ी समस्या है समस्या का समाधान खोज निकाला है। विज्ञान मानव – जीवन के लिए वरदान सिद्ध हुआ है। विज्ञान की वरदायिनी शक्ति मानव जीवन को अपार सुख – समृद्धि प्रदान कर रही है। आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान के आविष्कारों का प्रभुत्व देखा जा सकता है —

(i) संचार के क्षेत्र में विज्ञान

प्राचीनकाल में संदेशों के आदान-प्रदान में बहुत समय लग जाया करता था। परंतु अब समय की दूरी घट गई है अब टेलीफोन, टेलीग्राम, टेलीप्रिण्टर, टेलेक्स, फैक्स, ई-मेल आदि के द्वारा क्षण भर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश व विचारों का आदान-प्रदान किया जा सकता है। अब एक समाचार टेलीप्रिंटर, रेडियो, टेलीविजन द्वारा कुछ ही क्षणो में विश्व भर में फैलाया जा सकता है। आज के समय में हम विश्व भर के समाचारों को घर बैठे जान सकते हैं। आज चंद्रमा तथा अन्य ग्रहों के संदेश पृथ्वी पर पल – भर में प्राप्त किये जा सकते हैं। आज विज्ञान पृथ्वी और आकाश के बीच की सारी दूरी समेट ली है।

(ii) यातायात व परिवहन के क्षेत्र में विज्ञान

पहले व्यक्ति थोड़ी सी ही दूरी तय करने में बहुत अधिक समय लगा देता था तथा लम्बी यात्राएं तो उसे कठिन स्वप्न सी लगती थी। किंतु अब रेलों मोटरों तथा वायुयानों के आविष्कारों ने लम्बी यात्राएं भी अत्यंत सुगम एवं सुलभ कर दी हैं। अब विविध वस्तु एक स्थान से दूसरे स्थान पर शीघ्रता से भेजी जा सकती है। पृथ्वी ही नहीं, बल्कि आज इन वैज्ञानिक साधनों के द्वारा मनुष्य न चंद्रमा पर भी अपने कदमों के निशान बना दिए हैं।

(iii) चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान

चिकित्सा के क्षेत्र में तो विज्ञान वास्तव में वरदान सिद्ध हुआ है। विज्ञान ने मनुष्य के जीवन को समृद्ध बनाया है। अनेक असाध्य बीमारियों का इलाज आज विज्ञान द्वारा ही सम्भव हुआ है। ब्रह्मा जी सर्जक अवश्य हैं, परंतु जीवन को निरंतर सँवारना विज्ञान-द्वारा ही सम्भव हुआ है। आधुनिक चिकित्सा – पद्धति इतनी विकसित हो गयी है कि अंधे के लिए आंखें और अपंग को अंग मिलना अब असम्भव नहीं लगता। दवाओं, शल्य – चिकित्सा, कृत्रिम श्वास इत्यादि के द्वारा मनुष्य को नया जीवन दिया जाता है। कैंसर, टी.वी. तथा हृदय – रोग – जैसे भयंकर जानलेवा रोगों पर विजय पाना विज्ञान के माध्यम से ही सम्भव हुआ है। विज्ञान ने चिकित्सा की नवीन पद्धतियों के सहारे मनुष्य को दीर्घजीवी बनाया है।

(iv) शिक्षा के क्षेत्र में विज्ञान

शिक्षा के प्रचार व प्रसार में विज्ञान ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विज्ञान के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत कार्य किए गए हैं। टेलीविजन, रेडियो, कैलकुलेटर तथा सिनेमा ने शिक्षा को सरल बनाया है। छापेखानों तथा अखबारों ने ज्ञानवृद्धि में सहयोग दिया है। छापेखानों के अविष्कार ने पुस्तकों के प्रशासन द्वारा ज्ञान के नए आयाम प्रस्तुत किए हैं। कंप्यूटर के प्रयोग ने तो शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्ति ही ला दी है।

(v) कृषि के क्षेत्र में विज्ञान

वर्तमान समय में जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए अन्य की पूर्ति करना असम्भव था परन्तु आज हम अन्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते जा रहे हैं। इसका श्रेय आधुनिक विज्ञान को ही जाता है। विभिन्न प्रकार के उर्वरक, कृत्रिम जल – व्यवस्था, बुआई तथा कटाई आदि के आधुनिक साधन, कीटनाशक दवाओं ने खेती को सुविधापूर्ण और सरल बना दिया है। अन्न को सुरक्षित रखने तथा विवरण की समुचित व्यवस्था के लिए नवीन उपकरणों का आविष्कार किया गया है। इसके कारण ही हम सरलता से उदरपूर्ती के लिए पर्याप्त अन्न पैदा कर सके हैं।

(vi) मनोरंजन के क्षेत्र में विज्ञान

मनोरंजन के क्षेत्र में भी विज्ञान ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन किया है। मनोरंजन के आधुनिकतम साधन विज्ञान की ही देन है। टेलीफोन, टेलीग्राम, सिनेमा, रेडियो तथा टेलीविजन के आविष्कार ने मानव को उच्च, सरल और सुलभ मनोरंजन के साधन दिए हैं। सिनेमा और रेडियो तो मनोरंजन के अत्यधिक लोकप्रिय साधन है।

(vii) उद्योगों के क्षेत्र में विज्ञान

औद्योगिक क्षेत्र में विज्ञान ने क्रांतिकारी परिवर्तन किए है। भाँति – भाँति की मशीनों ने उत्पादन को बढ़ाया है। कपड़े, खाद्य – प्रदार्थ तथा दैनिक उपभोग की वस्तुओं को बनाने के लिए विज्ञान ने सरलतम साधनों का आविष्कार किया है। आज हमारे देश में अनेक छोटे-बड़े कल – कारखानों का संचालन हो रहा है। विज्ञान ने उद्योगों को प्रगति की ओर अग्रसर किया है।

(viii) परमाणु – शक्ति के क्षेत्र में विज्ञान

आधुनिक युग को परमाणु – युग कहा जाता है। आज से पूर्व जब वैज्ञानिक उपकरणों का विकास नहीं हुआ था, मनुष्य को छोटा – सा कार्य करने में भी कठिनाई का अनुभव होता था। लेकिन आज विज्ञान ने मनुष्य के हर कार्य को सरल कर दिया है। आज अणु – शक्ति – द्वारा कृत्रिम बादलों के माध्यम से वर्षा की जा सकती है। अणु – शक्ति के द्वारा ही अनेक मानव – कल्याण के कार्य किए जा रहे हैं। शांतिपूर्ण कार्यों के लिए अणु शक्ति का विकास किया जा रहा है। पृथ्वी और समुद्र से मूल्यवान गैस और खनिज प्राप्त किया जा रहे हैं।

(ix) दैनिक जीवन में विज्ञान

हमारे दैनिक जीवन का प्रत्येक कार्य अब विज्ञान पर ही आधारित है। विद्युत हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गई है। बिजली के पंखे, कुकिंग गैस, स्टोव, फ्रिज आदि के निर्माण में मानव को सुविधापूर्ण जीवन का वरदान दिया है। इन आविष्कारो से समय, शक्ति और धन की पर्याप्त बचत हुई है।

विज्ञान ने हमारे जीवन को इतना अधिक परिवर्तित कर दिया है कि यदि दो-सौ वर्ष पूर्व का कोई व्यक्ति हमें वर्तमान में देखे तो वह यही समझेगा कि हम स्वर्ग में रह रहे हैं। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति न होगी कि भविष्य का विज्ञान मृत व्यक्ति को भी जीवन दे सकेगा। इसलिए विज्ञान को वरदान न कहा जाए तो और क्या कहा जाए?

3. विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान: एक अभिशाप के रूप में

विज्ञान का एक दूसरा पहलू भी है। विज्ञान ने मनुष्य के हाथ में बहुत अधिक शक्ति दे दी है, किंतु उसके प्रयोग पर कोई बंधन नहीं लगाया है। स्वार्थी मानव इस शक्ति का प्रयोग जितना रचनात्मक कार्यो के लिए कर रहा है। उससे अधिक प्रयोग विनाशकारी कार्यों के लिए भी कर रहा है।

सुविधा प्रदान करने वाले उपकरणों ने मनुष्य को आलसी बना दिया है। यंत्रों के अत्यधिक उपयोग ने देश में बेरोजगारी को जन्म दिया है। परमाणु – अस्त्रों के परीक्षणों ने मानव को भयभीत कर दिया है। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा नगरों का विनाश विज्ञान की ही देन रहे है। मनुष्य अपनी पुरानी परम्पराएँ और आस्थाएँ भूलकर भौतिकवादी होता जा रहा है। भौतिकता को अत्यधिक महत्व देने के कारण उसमें विश्वबंधुत्व की भावना लुप्त होती जा रही है। परमाणु तथा हाइड्रोजन बम नि:सन्देह विश्व-शान्ति के लिए खतरा बन गए हैं। इनके प्रयोग से किसी भी क्षण सम्पूर्ण विश्व तथा विश्व – संस्कृति का विनाश पलभर में ही सम्भव है।

4. विज्ञान: वरदान या अभिशाप

विज्ञान के विषय में उक्त दोनों दृष्टियों से विचार करने के बाद यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है कि एक ओर विज्ञान हमारे लिए कल्याणकारी है तो दूसरी ओर विनाश का कारण भी, किन्तु विनाश के लिए विज्ञान को ही उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। विज्ञान तो एक शक्ति है जिसका उपयोग अच्छे और बुरे दोनों तरह के कार्यों के लिए किया जा सकता है। यह एक तलवार है, जिससे शत्रु का गला भी काटा जा सकता है और मूर्खतावश अपना भी। विनाश करना विज्ञान का दोष नहीं है, अपितु मनुष्य के असंस्कृत मन का दोष है।

विज्ञान का वास्तविक लक्ष्य है- मानव – हित और मानव – कल्याण। यदि विज्ञान अपने इस उद्देश्य की दिशा में पिछड़ जाता है तो विज्ञान को त्याग देना ही हितकार होगा। राष्ट्रकवि रामधारीसिंह ‘दिनकर’ ने अपनी इस अभिव्यक्ति को इन शब्दों में व्यक्त किया है —

सावधान, मनुष्य, यदि विज्ञान है तलवार,
तो इसे दे फेक, तजकर मोह, स्मृति के पार।
हो चुका है सिद्ध, है तू शिशु अभी अज्ञान,
फूल – कांटों की तुझे कुछ भी नहीं पहचान।
खेल सकता तू नहीं ले हाथ में तलवार,
काट लेगा अंग, तीखी है बड़ी यह धार

यदि मनुष्य अपनी प्रवृत्तियों को रचनात्मक दिशा में ढाल दे तो विज्ञान एक बड़ा वरदान है किंतु जब तक मनुष्य मानसिक विकास की उस अवस्था तक नहीं पहुंचेता, तब तक विज्ञान माध्यम से जितना भी विनाश होगा उसे अभिशाप ही समझा जाएगा।

5. विज्ञान के चमत्कारों से लाभ व हानि

विज्ञान के चमत्कारों से मनुष्य जहाँ एक तरफ लाभान्वित हुआ है। वहीं दूसरी तरफ उसे विज्ञान के ही कारण हानि का सामना भी करना पड़ रहा है। विज्ञान ने मानव को वरदायिनी शक्तियाँ प्रदान की है, जिसके माध्यम से मनुष्य का कठोर जीवन अब सरल बन गया है। विज्ञान ने मनुष्य को प्रत्येक क्षेत्र में सुविधाएँ उपलब्ध कराई हैं। विज्ञान ने मनुष्य को बाढ़, आकाल तथा महामारी से बचाया है।

मनुष्य को नीरोग, बनाने में मदद करके उसे दीर्घायु बनाया है। रहन-सहन सम्बन्धी सुविधाएं प्रदान करके जीवन को सुखमय बनाया है। अपराधों को कम करने में सहायता की है, ‘लाई – डिटैक्टर‘ की सहायता से व्यक्ति के अपराध का पता लगाना आसान हो गया है। एक ओर जहां मनुष्य को विज्ञान से अनेक लाभ हुए हैं, वहीं उसके कारण समाज को अनेक हानियां भी हुई हैं। सुविधाजनक उपकरणों ने मनुष्य को कामजोर बना दिया है।

यंत्रों के अत्यधिक उपयोग ने देश में बेरोजगारी को जन्म दिया है। नवीन वैज्ञानिक प्रयोगों ने वातावरण को दूषित कर दिया है। विज्ञान के कारण विनाश का प्रत्यक्ष प्रमाण है— इराक और बहुराष्ट्रीय सेनाओं के बीच हुआ भयंकर युद्ध, जिसमें न केवल खाड़ी क्षेत्र को बल्कि सम्पूर्ण विश्व को विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया था। इस युद्ध में हुए भयंकर विनाश से विश्व अब भी उभर नहीं पाया है।

6. विज्ञान और मनुष्य का सम्बन्ध

मानव और विज्ञान का पारस्परिक अटूट सम्बन्ध है। आज का मानव वैज्ञानिक मानव बन गया है। विज्ञान की बहुमूल्य शक्ति पाकर वह बर्बर भी होता जा रहा है। अब मानव का साधारण और असाधारण व्यवहार भी विज्ञान पर ही निर्भर करता है। आज के समय में मानव के विवेक को जाग्रत करने की आवश्यकता है, जिससे वह विज्ञान का वरदायी रूप ग्रहण कर सके, अभिशप्त रूप नहीं।

7. उपसंहार

विज्ञान के गुणो और विशेषताओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि विज्ञान मानव के लिए वरदान सिद्ध हुआ है। हमारा जीवन विज्ञान का ऋणी है। यदि मानव विवेक और बुद्धि से काम ले और विज्ञान का दुरुपयोग न करे, तो विज्ञान के आविष्कारों से धरती को स्वर्ग बनाया जा सकता है। जीवन के हर क्षेत्र में हर वैज्ञानिक चमत्कारों के ऋणी है। वास्तव में विज्ञान स्वयं में एक चमत्कार है। परंतु सभी चमकने वाली वस्तु स्वर्ण (सोना) नहीं होती। नि:सन्देह विज्ञान ने हमारे जीवन को जीने योग्य बना दिया है। वैज्ञानिक आविष्कार हमारी सेवा के लिए किए गए थे। किंतु वे अब हमारे स्वामी बन बैठे हैं।

इसलिए यह सत्य है कि विज्ञान सेवक के रूप में तो अच्छा है किंतु स्वामी के रूप में बुरा।

एमर्सन‘ ने कहा है— “आज हम विज्ञान के युग में रह रहे हैं और विज्ञान के बिना मानव के अस्तित्व की कल्पना भी असम्भव प्रतीत होती है।”

हमें उम्मीद है कि “विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध” पर आधारित यह लेख आपको पसंद आया होगा। स्टडी नोट्स बुक विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए व्यापक नोट्स प्रदान करती है।

Tags:

Essay

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