उपमा अथवा उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा लिखकर उसका एक उदाहरण दीजिए

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उपमा अथवा उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा लिखकर उसका एक उदाहरण दीजिए इस तरह के प्रश्न हर साल कक्षा 9, 10, 11, 12, बी०ए० और MA आदि परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। तो चलिए जानते हैं इसके उत्तर कैसे लिखे। जहाँ पर अथवा शब्द लिखा होता हैं उस प्रश्न में किसी एक का उत्तर लिखना होता हैं और आपको पूरे अंक मिलते हैं। जैसे इस प्रश्न में आपको उपमा या उत्प्रेक्षा अलंकार में से किसी एक की परिभाषा और उसका एक उदाहरण लिखना हैं।

उपमा अथवा उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा लिखकर उसका एक उदाहरण दीजिए

लेकिन दोस्तों मैं आपको उपमा अलंकार (Upma Alankar) और उत्प्रेक्षा अलंकार (Utpreksha Alankar) की परिभाषा और उसका एक उदाहरण लिखकर बताउगा।

उपमा अथवा उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा लिखकर उसका एक उदाहरण दीजिए

उपमा अलंकार की परिभाषा: उपमा का अर्थ है- सादृश्य, समानता तथा तुल्यता । जहाँ पर उपमेय की उपमान से किसी समान धर्म के आधार पर समानता या तुलना की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

उदाहरण: मुख मयंक सम मंजु मनोहर।


उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा: जब उपमेय को उपमान से भिन्न जानते हुए भी उसमें उपमान की सम्भावना की जाती है तब उप्रेक्षा अलंकार होता है।

उप्रेक्षा अलंकार के लक्षण या पहचान चिन्ह: उपमेय में उपमान की सम्भावना ही उप्रेक्षा अलंकार के लक्षण या पहचान चिन्ह है। (वाचक शब्द— मनु, मनहुँ, मानो, जानेहुँ, जानो आदि)

उप्रेक्षा अलंकार के उदाहरण:

सोहत ओढ़ै पीटु पटु, स्याम सलोने गात।
मनौ नीलमनणि-सैल पर, आतपु परयौ प्रभात।।

स्पष्टीकरण— उपर्युक्त उदाहरण में श्रीकृष्ण के श्याम शरीर (उपमेय) पर नीलमणियों के पर्वत (उपमान) की तथा पीट-पट (उपमेय) पर प्रभात की धूप (उपमान) की सम्भावना की गई है; अत: यहाँ उप्रेक्षा अलंकार है।

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