किस कवि को ‘युग – प्रतिनिधि कवि’ कहा जाता है, वर्णन कीजिए।

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प्रश्न: किस कवि को ‘युग – प्रतिनिधि कवि’ कहा जाता है, वर्णन कीजिए।

अथवा

प्रश्न: मैथिलीशरण गुप्त जी को ‘युग – प्रतिनिधि कवि’ क्यों कहा जाता है?

अथवा

प्रश्न: ‘गुप्त जी युग – प्रतिनिधि कवि है।’ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कोई भी रचनाकार अपनी युगीन परिस्थितियों की अवहेलना नहीं कर सकता, क्योंकि साहित्य में तत्कालीन समाज की समस्त रुपच्छवियाँ दर्पण के समान प्रतिबिम्बित होती हैं। कविवर मैथिलीशरण गुप्त इन अर्थो में सच्चे युग – प्रतिनिधि रचनाकार हैं। गुप्ता जी ने अपनी रचनाओं में युगानुकूल सन्दर्भो को उजागर करने में पूरी तत्परता दिखायी है।

यही कारण है कि आपकी कृतियों में युगानुकूल नैतिकता, उपदेश, आदर्शो एवं मूल्यों की प्रधानता साफ-साफ दिखायी पड़ती है और यहां कहीं जिस चित्र का चित्रांकन किया गया है, उसमें दिव्यता एवं उदारता निश्चित रूप से विद्यमान रहती है। गुप्त जी की रचनाओं में वर्णित पात्र, चाहे स्त्री हो या पुरुष, सब – के – सब उच्च मानवीय गुणो से ओत-प्रोत है।

गुप्त जी द्विवेदी युग के प्रतिनिधि रचनाकार हैं अतः द्विवेदी – युग की समस्त विशेषताएँ गुप्त जी की रचनाओं में समाहित है। भाव और कला दोनों ही दृष्टियों से इनका काव्य युगानुकूल है। भारतीय संस्कृति के उदात्त स्वरूप के साथ-साथ आपने युगानुकूल आधुनिकता का भी अपने साहित्य में समावेश किया है।

इस दृष्टि से निम्न पंक्तियां देखी जा सकती हैं, जिसमें कवि ने जंगली, असभ्य, अशिक्षित महिलाओ को सुसंस्कृत बनाने के लिए सीता जी के द्वारा यह कहलवाया है—

‘ओ भोली कोल किरात भिल्ल बोलाओं।
मैं आप तुम्हारे यहाँ आ गयी आओ।
तुम अर्द्धनग्न क्यों रहों, अशेष समय में,
आओं हम कातें – बुने, गान की लय में’।।

इस प्रकार हम देखते हैं कि गुप्त जी ने युगीन आवश्यकताओं – विशेष्टताओं को सफलतापूर्वक सँजोकर अपनी रचनाओं में उतारा है। राष्ट्रीय चेतना का शंखनाद भी आपने भारतीय जनमानस को सुनाया है। अतः नि:संकोच कहा जा सकता है कि मैथिलीशरण गुप्त जी ‘युग – प्रतिनिधि कवि’ है।

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