हिंदी गद्य साहित्य के विकास की दृष्टि से लगभग सौ वर्षो से इसका विकास अबाध गति से हो रहा है। गद्य एवं पद्य (काव्य) साहित्य के विकास का दृष्टिपात करने से पहले गद्य क्या है? इसके स्वरूप को जानना परम आवश्यक है।
गद्य किसे कहते हैं? तथा गद्य से संबंधित सम्पूर्ण जानकारियाँ – Prose in Hindi
गद्य का स्वरूप
मानव सभ्यता के विकास में मनुष्य की महती उपलब्धि का वह चिरस्मरणीय दिन था जिस दिन उसने अपने भावो और विचारों को कालान्तर में लिपि का आविष्कार किया| सौन्दर्य प्रियता मनुष्य की एक प्रधान मनोवृत्ति है| उसकी इस मनोवृत्ति की प्रेरणा से ही सभ्यता, संस्कृति, कला एवं साहित्य का विकास हुआ है| मानव भावो, विचारों, कल्पनाओं एवं अनुभूतियों की लालित्यपूर्ण अभिव्यक्ति ही साहित्य है| अभिव्यक्ति के माध्यम से साहित्य के दो रूप माने गये है – ‘गद्य‘ और ‘पद्य‘।
विवेचन एवं विश्लेषण से विषय – वस्तु सुगम और रोचक हो जाती है| इसलिए साहित्य के शैलीगत अंतर को जानना अति आवश्यक है | शैली के आधार पर भी साहित्य के दो भेद है – गद्य और पद्य इसलिए गद्य और पद्य (काव्य) क्या है? स्वरूपों तथा इनके बीच के अन्तरों को समझाना भी हमारे लिए अति आवश्यक है|
गद्य किसे कहते हैं?
जो विचारपूर्ण एवं वाक्यबद्ध रचना छन्द, ताल, लय एवं तुकबन्दी के बन्धन से मुक्त हो, गद्य कहलाता है। गद्य शब्द गद् धातु के साथ यत् प्रत्यय जोड़ने से बनता है। गद् का अर्थ होता है— बोलना, बतलाना या कहना। सामान्यत: दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाली बोलचाल की भाषा में गद्य का ही प्रयोग किया जाता है।
गद्य की लक्ष्य विचारों या भावों को सहज, सरल एवं सामान्य भाषा में विशेष प्रयोजन सहित संप्रेषित करना है। ज्ञान-विज्ञान से लेकर कथा-साहित्य आदि की अभिव्यक्ति का माध्यम साधारण व्यवहार की भाषा गद्य ही है, जिसका प्रयोग सोचने, समझने, वर्णन, विवेचन आदि के लिए होता है।
‘गद्यम् कविनाम् निकषम् वदन्ति’अर्थात् गद्य कवियों की कसौटी है। इससे स्पष्ट है कि गद्य अपेक्षाकृत अधिक महत्वपूर्ण है। यदि विचारपूर्वक देखा जाय तो आधुनिक हिन्दी-साहित्य की सर्वाधिक महत्वपूर्णघटना गद्य का अविष्कार ही है और गद्य का विकास होने पर ही हमारे साहित्य की बहुमुखीउन्नति भी सम्भव हो सकी है। हिन्दी गद्य के सम्बन्ध में यह धारणा है कि मेरठ और दिल्ली के आस-पास बोली जानेवाली खड़ीबोली के साहित्यिक रूप को ही हिन्दी गद्य कहा जाता है।
हिन्दी गद्य का विकास?
हिन्दी गद्य का विकास-क्रम संक्षेप में—
हिन्दी साहित्य जगत में हिन्दी गद्य के विकास-क्रम का काल-विभाजन कुछ इस प्रकार हुआ-
(क) हिन्दी गद्य के विकास-क्रम का काल-विभाजन—
युग | काल-विभाजन |
पूर्व-भारतेन्दु युग या प्राचीन युग अथवा हिन्दी साहित्य का प्रारम्भिक काल | 13वीं शताब्दी के मध्य से सन् 1868 ई. तक |
भारतेन्दु युग अथवा पुनर्जागरण काल | सन् 1968 से 1900 ई. तक |
द्विवेदी युग | सन् 1900 से 1922 ई.तक |
शुक्ल युग या छायावादी युग | सन् 1922 से 1938 ई. तक |
छायवादोत्तर युग( शुक्लोत्तर युग) | सन् 1938 से 1947 ई. तक |
स्वातन्त्रोत्तर युग | सन् 1947 ई. से अब तक |
हिन्दी साहित्य जगत की प्रमुख बोलियों इस प्रकार की है-
हिन्दी साहित्य जगत की प्रमुख बोलियाँ निम्नलिखित इस प्रकार है-
(ख) हिंदी का प्रमुख बोलियाँ—
उपभाषाएं | बोलियां |
पश्चिमी हिन्दी | खड़ीबोली, ब्रजभाषा, हरियाणवी(बाँगरू), बुन्देली |
पूर्वी हिन्दी | अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी |
राजस्थानी हिन्दी | मारवाड़ी, जयपुरी, मेवाती, मालवी |
पहाड़ी हिन्दी | कुमाऊँनी, गड़वाली |
भोजपुरी (बिहारी) हिन्दी | भोजपुरी, मैथिली, मगही |
हिन्दी साहित्य में प्रमुख गद्य-विधाओं की प्रथम रचना इस प्रकार है—
(ग) विविध गद्य विधाओं की प्रथम रचना-
विधा | रचना | रचनाकार |
खड़ीबोली हिन्दी की प्रथम रचना | गोरा बादल की कथा | जटमल |
हिन्दी का प्रथम नाटक | नहुष | श्रीगोपालचन्द्र गिरिधरदास |
हिन्दी का प्रथम उपन्यास | परीक्षा-गुरु | लाला श्री निवासदास |
हिन्दी की प्रथम कहानी | इन्दुमती | किशोरी लाल गोस्वामी |
हिन्दी की प्रथम यात्रवृत्त | सरयू पार की यात्रा | श्री भारतेन्दु हरिश्चन्द्र |
हिन्दी साहित्य जगत में विभिन्न गद्य-विधाओं की परिभाषाएं और प्रसिद्ध रचनाकार एवं उनकी प्रमुख रचनाएं कुछ इस प्रकार हैं—
विभिन्न हिन्दी गद्य-विधाओं की परिभाषाएं, प्रसिद्ध रचनाकार एवं उनकी प्रमुख रचनाएँ-
(1) नाटक की परिभाषा?
रंगमंच पर अभिनय द्वारा प्रस्तुत करने की दृष्टि से लिखी गई एक से अधिक अंकों वाली वह गद्य रचना जिसमें अभिनय एवं संवाद पर विशेष बल दिया जाता है, वह गद्य-रचना नाटक कहलाती है।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएँ |
नाटक | जयशंकर प्रसाद | ध्रुवस्वामिनी, चन्द्रगुप्त |
नाटक | भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | भारत-दुर्दशा, कर्पूर मंजरी |
(2) एकांकी की परिभाषा?
एक अंक के नाटक को एकांकी कहा जाता है। इसमें किसी घटना-विशेष की प्रस्तुति की जाती है।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएं |
एकांकी | डा. रामकुमार वर्मा | दीपदान, रेशमी टाई |
एकांकी | उपेन्द्रनाथ अश्क | तोलिए, अंधी गली |
उन्यास की परिभाषा?
किसी विस्तृत कथावस्तु की पात्रों के चरित्र चित्रण, संवाद, घटना क्रमों एवं निश्चित उद्देश्य को लक्ष्य में रखकर की जाने वाली गद्य-रचना उपन्यास कहलाती है।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएं |
उपन्यास | प्रेमचन्द्र | गोदान, गबन |
उपन्यास | भगवती शरण वर्मा | चित्रलेखा, टेढ़े-मेढ़े रास्ते |
कहानी की परिभाषा?
जिसमें पात्रों के चरित्र-चित्रण एवं घटना क्रमों के माध्यम से उनके या समाज के चरित्र, भाव या विशिष्टता के किसी विशेष पक्ष को प्रस्तुत किया जाता है, उस गद्य-रचना को कहानी कहते हैं।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएं |
कहानी | प्रेमचन्द्र | नमक का दरोगा, शतरंज के खिलाड़ी |
कहानी | जयशंकर प्रसाद | पुरस्कार, आकाश दीप |
निबंध की परिभाषा?
जिसमें लेखक किसी विषय पर अपने विचारों की स्वछन्द अभिव्यक्ति क्रमिक तथा प्रत्यक्ष रूप से करता है उस गद्य-विधा को निबंध कहते हैं।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएँ |
निबंध | आचार्य रामचन्द्र शुक्ल | चिन्तामणि, रस-मीमांशा |
निबंध | डा. श्यामसुन्दर दास | गद्य-कुसुमावली |
आलोचना की परिभाषा?
किसी साहित्यिक रचना का भली-भाँति अध्ययन करके उसके गुण-दोष का विश्लेषण करना उस रचना की आलोचना कहलाता है। आलोचना के लिए समीक्षा अथवा समालोचना शब्द का भी प्रयोग किया जाता है।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएं |
आलोचना | डा. श्यामसुन्दर दास | साहित्यालोचन |
आलोचना | डा. नगेन्द्र | भारतीय सौन्दर्यशास्त्र की भूमिका |
जीवनी की परिभाषा?
किसी व्यक्ति-विशेष के जीवनी की, जन्म से लेकर मृत्यु तक की प्रमुख घटनाओं के क्रमबद्ध विवरण को जीवनी कहते हैं।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएँ |
जीवनी | अमृतराय | कलम का सिपाही(प्रेमचन्द्र जी की जीवनी) |
जीवनी | विष्णु प्रभाकर | आवारा मसीहा(शरतचन्द्र की जीवनी) |
आत्मकथा की परिभाषा?
गद्य रचना में लेखक स्वयं अपने जीवन की स्मरणीय घटनाओँ का क्रमबद्ध वर्णन एवं विश्लेषण करता है, उसे आत्मकथा कहते हैं।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएँ |
आत्मकथा | हरिवंशराय बच्चन | क्या भूलूँ क्या याद करूँ |
आत्मकथा | हरिवंशराय बच्चन | बसेरे से दूर (चार खण्डों में प्रकाशित) |
आत्मकथा | यशपाल | सिहावलोकन |
यात्रवृत्त की परिभाषा
जिस गद्य-रचना में रचनाकार किसी यात्रा के अनुभव का यथावत् कलात्मक वर्णन करता है, उसे यात्रावृत्त कहते हैं।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएँ |
यात्रावृत्त | राहुल सांकृत्यायन | रुस में पच्चीस मास, मेरी तिब्बत यात्रा |
यात्रावृत्त | सेठ गोविन्ददास | पृथ्वी परिक्रमा, सुदूर दक्षिण-पूर्व |
संस्मरण की परिभाषा?
किसी स्मरणीय घटना या तथ्य को जब कोई व्यक्ति उसके यथार्थ रूप में सशक्त एवं रोचक भाषा-शैली में पुनः मूर्त अथवा स्मरण करता है, तो उस संस्मरणकहते हैं।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएँ (कृतियाँ) |
संस्मरण | महादेवी वर्मा | पथ के साथी |
संस्मरण | बनारसीदास चतुर्वेदी | संस्मरण |
रेखाचित्र की परिभाषा?
जिस गद्य-रचना में किसी व्यक्ति, वस्तु घटना या भाव का कम-से-कम शब्दों में यथावत् चित्रांकन किया जाता है, उसे रेखाचित्र कहते है।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएं |
रेखाचित्र | रामवृक्ष बेनीपुरी | माटी की मूरत, लालतारा |
रेखाचित्र | महादेवी वर्मा | अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ आदि |
गद्यकाव्य या गद्यगीत की परिभाषा?
जिस रचना में छन्द के बिना भी कविता के गुणों का समावेश होता है, उसे गद्यकाव्य अथवा गद्यगीत कहते हैं।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएँ |
गद्यकाव्य या गद्यगीत | राय कृष्णदास | पागल पथिक |
गद्यकाव्य या गद्यगीत | वियोगी हरि | तरंगिणी आदि |
रिपोर्ताज की परिभाषा?
जिस गद्य-रचना में किसी घटना का आँखों देखा विवरण प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया है, उसे रिपोर्ताज कहते हैं।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएँ |
रिपोर्ताज | धमवीर भारती | अकाल की एक छाया |
रिपोर्ताज | रांगेय राघव | तूफानों के बीच आदि |
भेंटवार्ता अथवा साक्षात्कार की परिभाषा?
जब रचनाकार किसी व्यक्ति-विशेष से भेंट करके व्यक्तित्व, भावों, क्रिया-कलापों आदि से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर रूप में साहित्य-रचना करता है, तो वह रचना भेंटवार्ता अथवा साक्षात्कार कहलाती है।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएं |
भेंटवार्ता अथवा साक्षात्कार | पदमसिंह शर्मा | कमलेश्वर मैं इनसे मिला |
भेंटवार्ता अथवा साक्षात्कार | राजेन्द्र यादव | चेंखवः एक इण्टरव्यू |
पत्र-साहित्य की परिभाषा?
जब लेखक अपने मित्र, परिचित अथवा अन्य किसी को पत्र द्वारा अपने सम्बन्ध में या किसी महत्वपूर्ण समस्या के सम्बन्ध में मात्र सूचना, जिज्ञासा अथवा समाधान लिखकर भेजता है और उत्तर की अपेक्षा रखता है तब वह पत्र-साहित्य का सृजन करता है।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएँ |
पत्र-साहित्य | वियोगी हरि | बड़ों के प्रेरणादायक पत्र |
पत्र-साहित्य | हरिवंशराय बच्चन | पन्त के दो सौ पत्र बच्चन के नाम |
विविध
- हिन्दी गद्य के विकास में सबसे अधिक योगदान करने वाली पत्रिका- सरस्वती
- कवि-वचन-सुधा का प्रकाशन काल- 1868 ई.
- हरिश्चंद्र मेंगनीज का प्रकाशन काल- 1873 ई.
- सरस्वती का प्रकाशनकाल – 1900 ई.
- द्विवेदी युग की सर्वप्रथम पत्रिका- सरस्वती
डायरी—
जब कोई कलात्मक अभिरुचि वाला व्यक्ति अपने जीवन में घटने वाली महत्वपूर्ण घटनाओँ का तिथिबद्ध एवं क्रमबद्ध विवरण लिखता है तो उस रचना को डायरी कहते हैं।
गद्य-विधा का नाम | रचनाकार | प्रमुख रचनाएं |
डायरी | डा. धीरेन्द्र वर्मा | मेरी कॉलेज डायरी |
डायरी | मोहन राकेश | मोहन राकेश की डायरी आदि |
हिन्दी साहित्य की कुछ प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं का विवरण निम्नलिखित इस प्रकार है—
हिन्दी-साहित्य की प्रमुख पत्र-पत्रिकाएँ
युग | पत्र-पत्रिका का नाम | सम्पादक का नाम | प्रकाशन-स्थान |
भारतेन्दु-युग | हरिश्चन्द्र मैंगजीन | भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | काशी |
कवि-वचन-सुधा | भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | काशी | |
हिन्दी प्रदीप | बालकृष्ण भट्ट | इलाहाबाद | |
आनन्द-कदाम्बिनी | बद्रीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ | मिर्जापुर | |
ब्राह्मण | प्रतापनरायण मिश्र | कानपुर | |
द्विवेदी-युग | सुदर्शन | देवकी नन्दन खत्री और माधव प्रसाद मिश्रा | काशी |
सरस्वती | आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी | इलाहाबाद | |
इन्दु | अम्बिकाप्रसाद गुप्त | काशी | |
मर्यादा | कृष्णकान्त मालवीय | प्रयाग | |
समालोचक | चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ | जयपुर | |
प्रताप | गणेश शंकर ‘विद्यार्थी’ | कानपुर | |
प्रभा | बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ | खण्डवा | |
चाँद | रामरख सहगल और चण्डी प्रसाद ‘हृदयेश’ | प्रयाग | |
माधुरी | दुलारेलाल भार्गव | लखनऊ | |
शुक्ल-युग (छायावादी युग) | आदर्श और मौजी | शिवपूजन सहाय | कलकत्ता (कोलकाता) |
हंस | प्रेमचन्द्र | बनारस | |
साहित्य-संदेश | गुलाबराय | आगरा | |
कर्मवीर | माखनलाल चतुर्वेदी | जबलपुर | |
सरोज | नवजादिकलाल श्रीवास्तव | कलकत्ता (कोलकाता) | |
शुक्लोत्तर-युग (छायावादोत्तर-युग) | कादम्बिनी | राजेन्द्र अवस्थी | दिल्ली |
धर्मयुग | धर्मवीर भारती और गणेश मंत्री | बम्बई (मुम्बई) | |
सारिका | कमलेश्वर और अवधानारायण मृदमल | दिल्ली | |
हंस | राजेन्द्र यादव | दिल्ली | |
गंगा | कमलेश्वर | दिल्ली |
युगानुसार विभिन्न विधाओं के प्रमुख रचनाकार एवं उनकी एक-एक प्रसिद्ध रचना का विवरण निम्न इस प्रकार है—
युगानुसार विभिन्न विधाओँ के प्रमुख रचनाकार एवं उनकी एक-एक प्रसिद्ध रचना—
काल | निबंधकार | उपन्यासकार | ||
लेखक | रचना | लेखक | रचना | |
भारतेन्दु- युग | प्रतापनारायण मिश्र | धोखा | लाला श्रीनिवासदास | परीक्षा-गुरू (हिन्दी साहित्य का प्रथम उपन्यास) |
बालकृष्ण भट्ट | राजा और प्रजा | बालकृष्ण भट्ट | नूतन ब्रह्मचारी | |
द्विवेदी-युग | माधव प्रसाद मिश्र | माधव मिश्र निबंध-माला | देवकी नन्दन खत्री | चन्द्रकांता |
चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ | कछुवा धर्म | किशोरी लाल गोस्वामी | तारा | |
शुक्ल-युग (छायावादी-युग) | आचार्य रामचन्द्र शुक्ल | चिन्तामणि | प्रेमचन्द्र | गबन |
गुलाबराय | ठलुआ क्लब | आचार्य चतुरसेन शास्त्री | आत्मदाह | |
शुक्लोत्तर-युग (छायावादोत्तर-युग) | हजारी प्रसाद द्विवेदी | कल्पलता | यशपाल | झूठा सच |
जैनेन्द्र कुमार | जड़ की बात | भगवती चरण वर्मा | भूले-बिसरे चित्र |
युगानुसार विधाओं के प्रमुख रचनाकार एवं उनकी एक-एक प्रसिद्ध रचना—
काल | कहानीकार | नाटककार | ||
लेखक | रचना | लेखक | रचना | |
भारतेन्दु-युग | अम्बिकादत्त व्यास | कथा-कुसुम-कलिका | भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | नीलदेवी |
चण्डी प्रसाद सिंह | हास्य-रतन | बालकृष्ण भट्ट | नल-दमयन्ती स्वयंबर | |
द्विवदी-युग | राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह | कानों में कंगना | शिवनन्दन सहाय | सुदामा |
विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ | रक्षाबंधन | लक्ष्मी प्रसाद | उर्वसी | |
शुक्ल-युग (छायावादी-युग) | जयशंकर प्रसाद | पुरस्कार | जयशंकर प्रसाद | चन्द्रगुप्त |
प्रेमचन्द्र | पंच परमेश्वर | हरिकृष्ण प्रेमी | प्रतिशोध | |
शुक्लोत्तर-युग (छायावादोत्तर-युग) | इलाचन्द्र जोशी | आहुति | उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ | जय-पराजय |
राजेन्द्र यादव | प्रतीक्षा | विष्णु प्रभाकर | कुहासा और किरण |
यहाँ हमने हिन्दी साहित्य से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों को प्रस्तुत किया है। इनसे आपको व्याख्या, जीवनी तथा अन्य सम्बन्धित प्रश्न तैयार करने में बहुत अधिक सहायता मिलेगी।
हिन्दी साहित्य से सम्बंधित जानने योग्य कुछ महत्वपूर्ण परिभाषिक शब्द-
(1) अभिनय क्या है?
किसी व्यक्ति या चरित्र का प्रतिरूप बनकर उसकी मुद्राओं एवं क्रियाकलापों की नकल करना अभिनय कहलाता है।
(2) अनुकृति क्या है?
किसी रचना, चित्र या सकलात्मक कृति की नकल की हुई प्रतिलिपि को अनुकृति कहते हैं।
(3) आँचलिक उपन्यास की परिभाषा?
जो उपन्यास किसी क्षेत्र-विशेष की संस्कृति, वातावरण एवं समस्याओं को आधार बनाकर लिखा जाता है उसे आँचलिक उपन्यास कहते हैं।
उदाहरण- मैला आँचल
(4) आत्मकथा की परिभाषा?
जिस गद्य-साहित्य में लेखक अपने जीवन की स्मरणीय घटनाओं का क्रमबद्ध वर्णन एवं विश्लेषण करता है। उसे आत्मकथा कहते हैं।
उदाहरण- मेरा जीवन प्रवाह (लेखक-वियोगी हरि)
(5) आलोचना की परिभाषा?
किसी रचना के गुण-दोषों के निष्पक्ष विश्लेषण को आलोचना कहते हैं।
उदाहरण- प्रेमचन्द्र की उपन्यास कला (लेखक- पं. जनार्दन प्रसाद)
अन्य तथ्य- आलोचना को समालोचना और समीक्षा के नाम से भी जाना जाता है।
(6) इतिहास की परिभाषा अथवा इतिहास क्या है?
भूतकालीन घटनाओँ एवं तथ्यों के क्रमबद्ध एवं तिथिबद्ध विवरण को इतिहास कहते हैं।
उदाहरण- हिन्दी-साहित्य का इतिहास (लेखक- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल)
(7) उपन्यास की परिभाषा?
चरित्र-चित्रण, संवाद, घटनाक्रमों एवं भावनात्मक अभिव्यक्तियों के माध्यम से किसी कथावस्तु की सर्वांगीण, उद्देश्यपूर्ण एवं कलात्मक प्रस्तुति को उपन्यास कहते हैं।
(8) उपसंहार क्या है?
किसी गद्य-रचना का वह अन्तिम अंश, जिसमें लेखक रचना का सार-तत्व प्रस्तुत करता है, उपसंहार कहलाता है।
(9) एकांकी की परिभाषा?
एकांकी उस नाटक को कहते हैं, जिसमें नाटककार किसी एक उद्देश्य, भाव या विशिष्ट घटना को एक ही अंक में प्रस्तुत करता है।
उदाहरण- अण्डे के छिलके (लेखक- मोहन राकेश)
(10) कथावस्तु की परिभाषा?
किसी रचना में प्रयुक्त सभी घटनाओं के क्रमिक सारांश को कथावस्तु कहते हैं।
(11) कथ्य की परिभाषा?
किसी रचना के द्वारा रचनाकार जिस उद्देश्य आदर्श या भाव को मुख्य रूप से कहना चाहता है, उसे कथ्य कहते हैं।
(12) कहानी की परिभाषा?
कहानी उस गद्य-रचना को कहते हैं, जिसमें पात्रों के चरित्र-चित्रण एवं घटनाक्रमों के माध्यम से मानव या समाज के किसी आदर्श, चरित्र, भाव या गुण विशेष को संक्षिप्त एवं कलात्मक रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
उदाहरण- पुरस्कार (लेखक – जयशंकर प्रसाद)
(13) गद्य की परिभाषा अथवा गद्य क्या है?
छन्द, ताल, लय एवं तुकबन्दी के बन्धन से मुक्त, किन्तु विचारात्मक वाक्यों से युक्त रचना को गद्य कहा जाता है। इसमें हृदय की अपेक्षा मस्तिष्क की प्रधानता रहती है।
(14) गद्यगीत की परिभाषा?
छन्दमुक्त एवं कविता के गुणों पर आधारित रचना को गद्यगीत कहते हैं।
उदाहरण- पागल पथिक (लेखक- रायकृष्णदास)
(15) जीवनी की परिभाषा?
किसी व्यक्ति-विशेष के जीवन से मृत्यु तक की घटनाओँ के क्रमबद्ध विवरण को जीवनी कहा जाता है।
उदाहरण- आवारा मसीहा (लेखक- विष्णु प्रभाकर)
(16) डायरी की परिभाषा?
डायरी एक गद्य-विधा है, जिसमें लेखक तिथि एवं क्रमानुसार अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और उनके प्रभाव को अपनी प्रतिक्रिया के साथ उल्लिखित करता है।
उदाहरण- मेरी कॉलेज डायरी (लेखक- धीरेन्द्र वर्मा)
(17) नाटक की परिभाषा?
रंगमंचीय साधनों द्वारा अभिनय के माध्यम से समाज में किसी उच्चादर्श की स्थापना कराने वाली एक से अधिक अंक-युक्त दृश्यात्मक साहित्य-विधा को नाटक कहा जाता है।
उदाहरण- गरुड़ध्वज (लेखक- पं. लक्ष्मीनारायण मिश्र)
(18) नायक किसे कहते हैं?
किसी रचना का वह मुख्य पुरुष पात्र जो उसकी कथावस्तु, कथ्य एवं घटनाओँ का वर्ण्य हो, जिसके प्रति सामाजिकों की सहज सहानुभूति हो और जिसे कथावस्तु में मुख्य फल की प्राप्त कराई गई हो, नायक कहलाता है।
उदाहरण- श्रीरामचरित मानस में श्रीराम नायक की भूमिका के रुप में हैं।
(19) निबंध की परिभाषा?
निबंध वह गद्य-विधा है, जिसमें लेखक सीमित आकार में किसी विषय की सर्वांगीण, स्वच्छन्द एवं सुव्यवस्थित व्याख्या प्रस्तुत करता है।
उदाहरण- आलोचक की आस्था (लेखक- डा. नगेन्द्र)
(20) पत्रकारिता की परिभाषा?
किसी समाचार-पत्र, रेडियो या दूरदर्शन-केन्द्र आदि के लिए समाचारों के संग्रह, प्रेषण, लेखन, विश्लेषण, सम्पादन या नियोजन सम्बन्धी कार्य को पत्रकारिता कहते हैं।
(21) भाषा की परिभाषा अथवा भाषा क्या है?
किसी क्षेत्र-विशेष में मान्य ध्वनि संकेतों के नियमानुसार तैयार किये गए अभिव्यक्ति के साधन को भाषा कहते हैं। इसके माध्यम से व्यक्ति एक-दूसरे के भावों को ग्रहण कहते हैं।
उदाहरण- हिन्दी भाषा
(22) परिनिष्ठित भाषा किसे कहते हैं?
व्याकरण के नियमों से बँधी भाषा को परिनिष्ठित भाषा कहते हैं।
(23) परिमार्जित भाषा किसे कहते हैं?
त्रुटिरहित, सुबोध भाषा को परिमार्जित भाषा कहते हैं।
(24) परिष्कृत भाषा किसे कहते हैं?
सुन्दर, आकर्षक एवं सजी-सँवरी भाषा परिष्कृत भाषा कहते हैं।
(25) प्रांजल भाषा किसे कहते हैं?
सरल, सुबाध एवं अशुद्धिरहित भाषा को प्रांजल भाषा कहते हैं।
(26) मिश्रित भाषा किसे कहते हैं?
एक से अधिक भाषाओँ के समन्वय पर आधारित भाषा को मिश्रित भाषा कहते हैं।
(27) संस्कृतनिष्ठ भाषा किसे कहते हैं?
जिस भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों की प्रचुरता हो, उसे संस्कृतनिष्ठ भाषा कहते हैं।
(28) यात्रावृत्त किसे कहते हैं?
जिस रचना में रचनाकार अपनी किसी यात्रा के अनुभव का यथावत् कलात्मक वर्णन कहता है, उसे यात्रा कहते हैं।
उदाहरण- आखिरी चट्टान (लेखक- मोहन राकेश)
(29) रिपोर्ताज किसे कहते हैं?
जिस गद्य-साहित्य में किसी घटना का आँखों देखा विवरण प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया हो, उसे रिपोर्ताज कहते हैं।
उदाहरण- तूफानों के बीच (लेखक- डा. रांगेय राघव)
(30) रेखाचित्र किसे कहते हैं?
रेखाचित्र उस गद्यात्मक साहित्य को कहते हैं, जिसमें किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना या भाव का कम-से-कम शब्दों में यथावत् चित्रांकन कर दिया गया है।
उदाहरण- गिल्लू (लेखक- महादेवी वर्मा)
(31) रेडियो किसे कहते हैं?
रूपक- रेडियो पर प्रस्तुत किया जाने वाला वह नाटक रेडियो-रूपक कहलाता है, जिसे ध्वनियों एवं संवादों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया हो।
(32) ललित-निबंध किसे कहते हैं?
जिस निबन्ध में परिष्कृत भाषा के द्वारा भावनात्मक अनुभूतियों एवं बौद्धिक विश्लेषण को प्रस्तुत किया जाता है, उसे ललित-निबंध कहते हैं।
उदाहरण- कुटज (लेखक- डा. हजारी प्रसाद द्विवेदी)
(33) शब्द किसे कहते हैं?
वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं। उदाहरण- सुन्दर, अच्छा, अशोक, आदि।
(34) आंचलिक शब्द किसे कहते हैं?
किसी क्षेत्र विशेष में बोले जाने वाले शब्दों को आंचलिक शब्द कहते हैं।
उदाहरण- नेमटेम आदि।
(35) जातीय शब्द किसे कहते हैं?
एक ही मूल के शब्दों को जातीय शब्द कहते हैं। जैसे- हिन्दी में प्रयुक्त संस्कृत से निकली किसी क्षेत्रीय भाषा का शब्द।
उदाहरण- भला(हिन्दी), भालो(बांग्ला), भल(मैथिली) आदि शब्द।
(36) तत्सम शब्द किसे कहते हैं?
जब संस्कृत भाषा का शब्द जब अपने मूलरूप में प्रयुक्त होता है, उसे तत्सम शब्द कहते हैं।
उदाहरण- गुरू, सरिता, प्रभु आदि |
(37) तत्भव शब्द किसे कहते हैं?
जब संस्कृत भाषा के शब्दों में कुछ परिवर्तन करके हिन्दी भाषा में प्रयोग करते हैं, तो उसे तत्भव शब्द कहते हैं।
उदाहरण- दही, आँख आदि (जबकि इनके तत्सम शब्द क्रमशः दधि, अक्षि हैं)
(38) विजातीय शब्द किसे कहते हैं?
किसी भाषा में प्रयुक्त होने वाले दूसरी भाषा के शब्दों को विजातीय शब्द कहते हैं। उदाहरण- स्टेशन, कॉलेज, बहन, पोशाक आदि।
(39) शैली किसे कहते हैं?
विचारों एवं भावों को अभिव्यक्त करने का कलात्मक ढंग शैली कहलाती है।
(40) आलोचनात्मक शैली किसे कहते हैं?
जब किसी विषय के शब्द में उसके गुण-दोष का विश्लेषण करते हुए उससे सम्बन्धित विचारों की अभिव्यक्ति की जाती है, तो उसे आलोचनात्मक शैली कहते हैं।
उदाहरण- संस्कृत के विकास के लिए मानसिक स्वातन्त्र्य अनिवार्य है, अलग सोचने की, विभिन्न प्रकार से सोचने की, प्रयोग करने की बोलने और न बोलने की स्वाधीनता के बिना सांस्कृतिक विकास नहीं।— सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
(41) उद्धरण शैली किसे कहते हैं?
जब लेखक अपने विचारों की अभिव्यक्ति करते समय विभिन्न लेखकों एवं विचारकों के कथनों को प्रमाण स्वरूप उद्धृत करता है, तो से उद्धरण शैली कहते हैं।
उदाहरण- पराधीनता सर्वदा कष्टदायक होती है, इसमें किसी को कभी सुख नहीं मिलता, चाहे उसे सारे भोतिक सुख के साधन उपलब्ध करा दिया जाए।तुलसी दास ने कहा है— पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।
(42) गवेषणात्मक शैली किसे कहते हैं?
जब रचनाकार किसी विषय से सम्बन्धित अपनी खोजपूर्ण अभिव्यक्ति को विशेष सावधानी से प्रस्तुत करता है तो उसकी प्रस्तुति के ढंग को गवेषणात्मक शैली कहते हैं।
उदाहरण- ज्ञान-राशि के संचित कोश का ही नाम साहित्य है। सब तरह के भावों को प्रकट करने की योग्यता रखने वाली और निर्दोष होने पर भी यदि कोई भाषा निज का साहित्य नहीं रखती हो तो वह रुपवती भिखारिन की तरह की आदरणीय नहीं हो सकती। — आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
(43) चित्रात्मक शैली किसे कहते हैं?
जिस शैली से किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना या विषय का चित्र-सा बनकर सामने आ जाये, उसे चित्रात्मक शैली कहते हैं।
उदाहरण- जिस समय वह मेरे पास आयी, संध्या की लालिमा से पूर्णरुपेण वातावरण को उसने अपने आँचल में समेट लिया गया था। आसमान पर घने काले बादल छाए थे। हवा के झोंके निर्ममता से पेड़ों को झँझोड़ रहे थे। पशु-पक्षी तक अपने शरणस्थलों में दुबके हुए थे। इस भयानक मौसम में उसकी आँसुओं-भरी करुणा मूर्ति को अपने सामने खड़ा देखकर मैं विचलित हो गया।— सुधांशु
(44) भवात्मक शैली किसे कहते हैं?
हृदयस्पर्शी एवं भावनाओँ को प्रबल करने वाली आलंकारिक-काव्यात्मक शैली को भावात्मक शैली कहते हैं।
उदाहरण- उन्होंने रोगी के म्लान कपोल (गाल) अपने चाँदनी चर्चित हाथों से थपथपाए तो उसके सूखे अधरों पर चाँदी की तरह एक रेखा खिच आयी और मुझे लगा कि वातावरण का प्रभाव कुछ कम हो गया है।— कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
(45) वर्णनात्मक शैली किसे कहते हैं?
वह शैली जिसमें किसी वस्तु या घटना के वर्णन की प्रधानता हो, वर्णनात्मक शैली कहते हैं।
उदाहरण- वह प्रस्तुति की अनुपम छटा विखर रही थी ऊँची-ऊँची बर्फीली चोटियों की कतारें चाँदी की तरह चमक रही थी, हिमालय की गोद में बसी उस घाटी में चारों ओर हरियाली छायी हुई थी। ऊँचे-ऊँचे वृक्ष, हरे-भरे मैदान, उनके बीच बहते हुए पानी के पतले-पतले सोतों की छटा देखते ही बनती थी। स्थान-स्थान पर मनोरम फूल खिले थे। पेड़ों पर चिड़ियों का कलरव गूँज रहा था। ठण्डी आनन्ददायक हवा तन-मन को प्रफुल्लित कर रही थी।
(46) विचारात्मक शैली किसे कहते हैं?
जिस शैली में रचनाकार के विचारों की प्रधानता हो, उसे विचारात्मक शैली कहते हैं।
उदाहरण- कविता करने से ही कवि की पादवी नहीं मिलती। जो कवि के हृदय को, और कवि के काव्य-मर्म को जो जान सकते हैं, वे भी एक प्रकार के कवि हैं। — आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी।
(47) विवरणात्मक शैली किसे कहते हैं?
जिस शैली में किसी विषय के सभी पक्षों का पूर्ण विवरण देते हुए अभिव्यक्ति की जाती है, उसे विवरणात्मक शैली कहते हैं।
उदाहरण- हमने कहा पड़ोस का गाँव | असल में उसे पड़ोस कहना उससे सम्बन्ध जोड़ना नहीं, उसे कुछ दूरी देना था, क्योंकि सच बात यह थी कि दोनों गाँव अलग-अलग नहीं थे। एक ही गाँव पोखर को बीच में डालता हुआ दो भागों में विभक्त हो गया था। — अज्ञेय
(48) विवेचनात्मक शैली किसे कहते हैं?
जिस शैली में किसी विषय के अंग-प्रत्यंग का वर्णन एवं विवेचन किया जाए, उसे विवेचनात्मक शैली कहते हैं।
उदाहण- संस्कृति ही जन का मस्तिष्क है। संस्कृति के विकास और अभ्युदय के द्वारा ही राष्ट्र की वृद्धि सम्भव है। राष्ट्र के समग्र रूप में भूमि या जन के साथ-साथ जन की संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थान है। — डा. वासुदेव शरण अग्रवाल
(49) व्यंगात्मक शैली किसे कहते हैं?
किसी विषयवस्तु की व्यंग्य के रुप में की गई प्रस्तुति को व्यंगात्मक शैली कहते हैं।
उदाहरण- मैं उनके रौद्र रुप को देखकर सहम गया। मुझे सहमना ही पड़ता था। एक तो वे मेरी श्रीमती थी, उस पर एम. ए. प्रथम श्रेणी। इसके साथ ही चित्रकार, गायिका, कवयित्री, नेत्री और न जाने क्या-क्या थीं। भगवान का शुक्र है कि अभिनेत्री नहीं थी, वरना मेरी बची-खुची इज्जत का भी जनाजा निकलना अनिवार्य हो जाता। — सुधांशु
(50) सूत्र शैली किसे कहते हैं?
जिस शैली में सूत्र वाक्य देकर फिर उसकी व्याख्या की जाती है। उसे सूत्र शैली कहते हैं।
उदाहरण- किसी ने सच ही कहा है कि विपत्ति के समय अपना साया भी साथ छोड़ देता है। उस संकट की घड़ी में मेरे आगे-पीछे दूर-दूर तक किसी का अता-पता न था। जो लोग मुझसे बाते करना अपना सौभाग्य समझते थे, वे अब अपनी नजरे बचाकर निकल जाया करते थे। — सुधांशु
(51) संस्मरण क्या है अथवा संस्मरण की परिभाषा-
जब किसी घटना या स्मरणीय तथ्य को सशक्त व रोचक भाषा-शैली के प्रयोग से यथार्थ किया जाता है तो उसे संस्मरण कहते हैं।
(52) सूक्ति क्या है अथवा सूक्ति की परिभाषा-
किसी महत्वपूर्ण शाश्वत् सत्य के सम्बंध में की गयी संक्षिप्त उक्ति (कथन) को सूक्ति कहते हैं।
उदाहरण- प्रेम की भाषा शब्दरहित होती है।
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