पुस्तकालय पर निबंध (Essay on Library in Hindi)

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Essay on Library in Hindi: आज के इस पोस्ट में हम पुस्तकालय पर निबंध कैसे लिखा जाता है क्या जानेगें। जब भी किसी भी परीक्षा में पुस्तकालय पर निबंध (Pustakalaya Par Nibandh) लिखने के लिए आए तो आप नीचे दिए गए निबन्ध को लिख सकते है।

पुस्तकालय पर निबंध, Essay on Library in Hindi

पुस्तकालय पर निबंध (Essay on Library in Hindi)

रुपरेखा

  1. प्रस्तावना
  2. पुस्तकालय के विभिन्न प्रकार
  3. पुस्तकालय – (एक आवश्यक केंद्र)
  4. पुस्तकालय का महत्व
  5. पुस्तकालय के लाभ
    • ज्ञान वृद्धि में सहायक
    • मनोरंजन का स्वस्थ साधन
    • दुर्लभ तथ्यों की प्राप्ति के साधन
    • पठन-पाठन में सहयोगी
  6. कुछ प्रसिद्ध पुस्तकालय
  7. भारत में पुस्तकालयों की स्थिति
  8. उपसंहार

“मानव का उत्थान ज्ञान पर रहता निर्भर,
और ज्ञान का सुंदर घर होती है पुस्तक।
पुस्तक से ही मानव, मानव बन जाता,
पुस्तक से वह अपना सोया ज्ञान जगाता।।”

1. प्रस्तावना

पुस्तकालय उस प्रकाश भवन के समान है, जिसमें प्रवेश करके मानव का सम्पूर्ण अज्ञान भस्म हो जाता है। संस्कृत में कहा गया है— “न हि ज्ञाने न सदृशं पवित्रमिह विद्यते” अर्थात् ज्ञान के समान पवित्र करने वाला ऐसा कुछ नहीं है। ज्ञान प्राप्ति के पुस्तकों से बढ़कर अन्य कोई साधन नहीं है। पुस्तके – ज्ञान विज्ञान का केंद्र होती हैं। पुस्तकों का संग्रहालय ही पुस्तकालय कहलाता है, अर्थात् पुस्तकालय वह स्थान है जहाँ अनेक पुस्तके एकत्रित करके एक साथ रखी जाती हैं। लोग इन पुस्तकों को अपनी आवश्यकतानुसार प्रयोग में लाते हैं। वस्तुतः पुस्तकालय ज्ञान वृद्धि का शक्तिशाली भण्डार है। पुस्तकालय ही ज्ञान साधना के पुनीत मंदिर है।

2. पुस्तकालय के विभिन्न प्रकार

पुस्तकालय के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित इस प्रकार हैं —

  • व्यक्तिगत अथवा निजी पुस्तकालय।
  • विद्यालय एवं महाविद्यालय के पुस्तकालय।
  • सार्वजनिक पुस्तकालय।
  • सरकारी पुस्तकालय आदि।

(i) व्यक्तिगत अथवा निजी पुस्तकालय— व्यक्तिगत पुस्तकालय में पुस्तकों के संग्रहालय आते हैं, जिनमें कोई व्यक्ति अपनी विशेष रुचि एवं आवश्यकता के अनुसार पुस्तकों का संग्रह रहता है

(ii) विद्यालय एवं महाविद्यालय के पुस्तकालय— विद्यालयों एवं महाविद्यालय के पुस्तकालय के अंतर्गत वे पुस्तकालय आते हैं जिनमें छात्रों एवं शिक्षकों के पठन – पाठन के लिए पुस्तकों का संग्रह किया जाता है।

(iii) सार्वजनिक पुस्तकालय— सार्वजनिक पुस्तकालय में सार्वजनिक पठन – पाठन हेतु पुस्तकों का संग्रह किया जाता है, इनका उपयोग कोई भी व्यक्ति इसका सदस्य बनकर कर सकता है। इस पुस्तकालय का निर्माण आम जनता के लिए किया जाता है।

(iv) सरकारी पुस्तकालय— सरकारी पुस्तकालयों का उपयोग राज्य – कर्मचारियों एवं सरकारी अनुमति प्राप्त विशेष व्यक्तियों द्वारा ही किया जाता है।

3. पुस्तकालय – (एक आवश्यक केंद्र)

पुस्तकालय की आवश्यकता लगभग सभी को पड़ती है। ज्ञान – विज्ञान व साहित्य का सम्पूर्ण अध्ययन करने के लिए पुस्तकालय की सहायता लेनी ही पड़ती है। पुस्तके काफी महँगी आती हैं, अतः एक व्यक्ति द्वारा अधिक पुस्तके खरीदा जाना सम्भव नहीं होता। इसलिए उसे पुस्तकालय की आवश्यकता पड़ती है।

पुस्तकालय का सदस्य बनकर उसे सरलता से एक ही विषय पर अनेक लेखकों की पुस्तकें पढ़ने के लिए मिल जाती है। आवश्यकतानुसार उनका उपयोग करने के बाद वह उन्हें वापस करके दूसरी पुस्तके भी पढ़ने के लिए ले जा सकता है। अतः पुस्तकालय ज्ञान अथवा शिक्षा का एक आवश्यक और प्रमुख केंद्र है।

4. पुस्तकालय का महत्व

पुस्तकालय वीणापाणि का आराधना मंदिर है। यहाँ अराधना करके अराधक वीणापाणि सरस्वती का प्रत्यक्ष दर्शन करता है। यह ज्ञान प्राप्ति में सहायक होता है, इसलिए यह व्यक्ति समाज और राष्ट्र तीनों के लिए महत्वपूर्ण है। पुस्तकें ज्ञान – प्राप्ति का उत्तम साधन है। इनसे मनुष्य के ज्ञान का विचार होता है, जिससे उनके दृष्टिकोणो में व्यापकता आती है, बुद्धि और विचार क्षमता का विकास होता है। एक ज्ञानी व्यक्ति ही समाज एवं राष्ट्र के साथ-साथ मानवता का कल्याण कर सकता है। अतः पुस्तके प्रत्येक व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए पुस्तकालय का उपयोग ज्ञान – प्राप्ति के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

5. पुस्तकालय के लाभ

पुस्तकालय ज्ञान का अपार भण्डार होता है अतः इसके लाभ की व्यापकता अत्यधिक है। इसके लोभो की गणना करना तारों की गणना करने के जैसा है, फिर भी इससे प्राप्त होने वाले कुछ महत्वपूर्ण लाभ इस प्रकार हैं—

(i) ज्ञान वृद्धि में सहायक — पुस्तकालय ज्ञान प्रदान करने और जिज्ञासा को शांत करने के पवित्र मंदिर है। पुस्तकालयों में संगृहीत विभिन्न प्रकार की पुस्तके और पत्र – पत्रिकाएँ जिज्ञासु पाठक में पाठक में देश-विदेश से संबंधित ज्ञान को उजागर करती हैं। वस्तुतः पुस्तकालय ज्ञान के अनुपम साधन है।

(ii) मनोरंजन का स्वस्थ साधन — पुस्तकालय बौद्धिक मनोरंजन के उत्तम साधन है। इनमें नाना प्रकार की पत्र – पत्रिकाएँ, नाटक, कहानियाँ, कविताएँ और उपन्यास हमारा असीमित मनोरंजन करते हैं। इस मनोरंजन से जहाँ एक ओर हमारा ज्ञान बढ़ता है, वहीं दूसरी और हमारी रूचि भी जागृत होती है।

(iii) दुर्लभ तथ्यों की प्राप्ति के साधन — किसी भी विषय पर शोध एवं अन्य अनुसन्धानत्मक कार्यों के लिए पुस्तकालयों में संग्रहित पुस्तकों से व्यक्ति उन दुर्लभ तथ्यों को प्राप्त कर सकता है, जिसकी जानकारी उसे अन्य किसी भी प्रकार से नहीं हो सकती, क्योंकि किसी भी विषय से सम्बन्धित वे पुस्तके भी पुस्तकालय में मिल जाती हैं। जो साधारणतया दुर्लभ हो चुकी होती हैं।

(iv) पठन-पाठन में सहयोगी — पुस्तकालय विद्यार्थी एवं शिक्षक दोनों के पठन-पाठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षक एवं विद्यार्थी दोनों ही अपने बौद्धिक एवं विषयगत दोनों के विस्तार में इसमें संग्रहित पुस्तको से लाभान्वित होते हैं।

6. कुछ प्रसिद्ध पुस्तकालय

हमारे देश में पुस्तकालयों की परम्परा प्राचीनकाल से ही चली आ रही है। तक्षशिला, और नालंदा के प्राचीन पुस्तकालय हमारे सिरमौर हैं। वर्तमान में कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, पटना और बनारस के पुस्तकालय हमारे देश के महान पुस्तकालय हैं। इसके अतिरिक्त हमारे देश में स्थित अमेरिकन और ब्रिटिश पुस्तकालय भी हमारे लिए प्रकाशपुंज बने हुए हैं।

7. भारत में पुस्तकालयों की स्थिति

यह अत्यन्त दु:ख की बात है कि भारत में अच्छे पुस्तकालयों की संख्या बहुत कम है। प्रथम तो लोगों की रुचि ही पठन-पाठन में अधिक नहीं है, दूसरे आर्थिक अभाव और ढीली सरकारी नीतियों के कारण इस दिशा में पर्याप्त रूप में प्रयास भी नहीं किए गए हैं। हमारी संस्कृति पर पश्चिमी देशों की भाँति टी.वी. , मोबाइल संस्कृत हमला बोल दिया है। नई पीढ़ी का पूरा ध्यान मीडिया के नए अस्त्र, इन नए-नए चैनलों ने आकर्षित कर लिया है। ऐसे में पुस्तको की माँग कम हो गई है। यह हम सबके लिए चिन्ता का विषय है। पुस्तकों की अवहेलना करके कोई भी देश अपनी बौद्धिक विकास की गति को धीमा कर देता है। भारत के साथ भी यही समस्या है अतः इसे हम भारतीय समाज का दुर्भाग्य ही कहेगे कि विश्व के किसी भी समाज से हमारे यहाँ के पुस्तकालयो की संख्या नगण्य है। लोग हर साधन पर धन लगाने में रूचि लेते हैं, किंतु पुस्तको पर धन खर्च नहीं करना चाहते हमें और सरकार दोनों को मिल – जुलकर नए-नए पुस्तकालयों के निर्माण में रुचि लेनी चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोगों को सरलता से पुस्तके उपलब्ध हो सके।

8. उपसंहार

पुस्तकालय हमारे जीवन के महत्वपूर्ण अंग हैं। ये ज्ञान के अनन्त सागर हैं। सुयोग्य नागरिक निर्माण में पुस्तकालयों का अपूर्व योगदान होता है। ये व्यक्ति को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। वस्तुतः यह ‘असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय‘ के प्रतीक है। इनका विकास मानव बुद्धि का विकास है। महान लेखको और विचारों से मिलवाने वाले ये महान केंद्र अर्थात् पुस्तकालय किसी भी देश व समाज का गौरव होते हैं। हमें स्वंय सदा अच्छी पुस्तकों के सम्पर्क में रहना चाहिए और दूसरों को भी इस ओर प्रोत्साहित करना चाहिए। साथ ही हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि पुस्तके एक अनमोल सम्पत्ति हैं अतः पुस्तकालय से लायी गई पुस्तको फाड़े नही। यह एक अपराध होने के साथ-साथ अनैतिक कार्य भी है।

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