वीभत्स रस की परिभाषा और उदाहरण | Vibhats Ras

आज के इस पोस्ट में हम वीभत्स रस के बारे में पढ़ेगें | इससे पहले हमने अलंकारप्रत्यय के बारे में पढ़ चुके हैं। तो चलिए जानते हैं – वीभत्स रस की परिभाषा और वीभत्स रस का उदाहरण।

वीभत्स रस की परिभाषा और उदाहरण | Vibhats Ras

रस का नामवीभत्स रस
स्थायी भावजुगुप्सा
आलम्बन विभावदुर्गन्धमय मांस, रक्त, अस्थि आदि
उद्दीपन विभावरक्त, मांस का सड़ना, उसमें कीड़े पड़ना, दुर्गंध आना आदि
अनुभावनाक को टेढ़ा करना, मुँह बनाना, थूकना, घृणा आदि
संचारी भावग्लानि, आवेग, शंका, मोह, व्याधि, चिन्ता, वैवर्ण्य आदि
वीभत्स रस की परिभाषा और उदाहरण | Vibhats Ras

वीभत्स रस की परिभाषा (Vibhats Ras ki Paribhasha)

घृणित वस्तु अथवा सड़ी हुई लाशें दुर्गन्ध आदि देखकर या अनुभव करके ह्रदय में घृणा उत्पन्न होती है तो उसे वीभत्स रस कहते है | तात्पर्य यह है कि वीभत्स रस के लिए घृणा और जुगुप्सा आवश्यक है |

वीभत्स रस के उपकरण

  • वीभत्स रस स्थायी भाव – जुगुप्सा
  • वीभत्स रस आलम्बन विभाव – दुर्गन्धमय मांस, रक्त, अस्थि आदि
  • वीभत्स रस उद्दीपन विभाव – रक्त, मांस का सड़ना, उसमें कीड़े पड़ना, दुर्गंध आना, पशुओं का इन्हें नोचना – खसोटना आदि
  • वीभत्स रस अनुभाव – नाक को टेढ़ा करना, मुँह बनाना, थूकना, आँखें मिंचना, घृणा आदि
  • वीभत्स रस संचारी भाव – ग्लानि, आवेग, शंका, मोह, व्याधि, चिन्ता, वैवर्ण्य आदि

वीभत्स रस का उदाहरण (Vibhats Ras Ka Udaharan)

धर में लासे, बाहर लासे
जन – पथ पर पर, सड़ती लाशें |
आँखे न्रिशंस यह, दृश्य देख
मुद जाती घुटती है साँसे ||

अथवा

सर पर बैठो काग, आँखि दोउ खात निकारत |
खीचत जीभहिं स्यार, अतिहि आनन्द उर धारत ||
गिध्द जाँघ कह खोदि – खोदि के मांस उचारत |
स्वान आँगुरिन कोटि – कोटि के खान बिचारत ||

अथवा

जहँ – तहँ मज्जा माँस रुचिर लखि परत बगारे |
जित – जित छिटके हाड़, सेत कहुं -कहुं रतनारे ||

विशेष :— वीभत्स रस का स्थायी भाव घृणा या जुगुप्सा / ग्लानि होता है |

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