इस लेख में कंप्यूटर का महत्व पर निबंध (Essay on Importance of Computer in Hindi) बहुत ही सरल और सुव्यवस्थित हिन्दी भाषा में क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया है
अन्य सम्भावित अथवा सम्बन्धित शीर्षक — कंप्यूटर का महत्व पर निबंध (Essay on Importance of Computer in Hindi)
- सार्वजनिक क्षेत्र में कंप्यूटर का महत्व पर निबंध
- कंप्यूटर आधुनिक यन्त्र – पुरुष पर निबंध
- कंप्यूटर एवं उसका महत्व पर निबंध
- भारत में कंप्यूटर का प्रयोग पर निबंध
- कंप्यूटर और भारत का विकास पर निबंध
- कंप्यूटर के प्रयोग से लाभ तथा हानि पर निबंध
कंप्यूटर की परिभाषा सत्यजीत मजूमदार जी के शब्दों में— “प्रगति के इस दौर में कंप्यूटर एक सशक्त माध्यम के रूप में उभरा है। कंप्यूटर का अधिकार मानव बुद्धि की कुशाग्रता का परिणाम है। जाहिर है कि इसकी कार्यकुशलता हमारे हाथों में ही है।
कंप्यूटर का महत्व पर निबंध – Computer Essay in Hindi
रुपरेखा—
- प्रस्तावना
- कंप्यूटर क्या है?
- कंप्यूटर का इतिहास
- भारत में कंप्यूटर का आगमन
- कंप्यूटर और उसके उपयोग
- बैंकिग के क्षेत्र में
- प्रशासन के क्षेत्र में
- सूचना और समाचार प्रेषण के क्षेत्र में
- डिजाइनिंग के क्षेत्र में
- कला के क्षेत्र में
- वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में
- औद्योगिक क्षेत्र में
- युद्ध के क्षेत्र में
- अन्य क्षेत्रों में
- कंप्यूटर से हानियां
- कंप्यूटर और मानव – मस्तिष्क
- उपसंहास
1. प्रस्तावना
मनुष्य ने अपनी सुख – सुविधाओं के लिए अनेक वस्तुओं का निर्माण किया मनुष्य के अविष्कारों में कंप्यूटर महत्वपूर्ण है। मनुष्य ने पहले एक ऐसे यंत्र का आविष्कार किया जो बड़ी – बड़ी गणनाएं असानी से कर देता था, इसका नाम कैलकुलेटर रखा गया। कैलकुलेटर के बाद एक ऐसे यंत्र का आविष्कार हुआ जो प्रश्न हल करने, सोचने – समझने, सुझाव देने एवं विभिन्न सूचनाएँ एकत्रित करने का कार्य करता है, इस यंत्र का नाम कंप्यूटर रखा गया।
2. कंप्यूटर क्या है?
हमारे सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन पर छा-जाने वाला कम्प्यूटर आखिर क्या है? इस विषय में जिज्ञासा उत्पन्न होना स्वाभाविक है। वस्तुतः कम्प्यूटर ऐसे यान्त्रिक मस्तिष्कों का समन्वयात्मक एवं गुणात्मक योग है, जो तीव्रतम गति से तथा न्यूनतम समय में त्रुटिहीन गणना कर सकता है।
मानव सदैव से ही अपनी गणितीय गणनाओं के लिए गणना-यन्त्रों का प्रयोग करता रहा है। इस कार्य के लिए प्रयोग की जाने वाली प्राचीन मशीनों में अबेकस (Abacus) पहला साधन था। वर्तमान समय में तो अनेक प्रकार के जटिल गणना-यन्त्र बना लिए गए हैं, जो जटिल – से – जटिल गणनाओं के परिकलन (Calculation) स्वतः ही कर लेते हैं। इन सब में सर्वाधिक तीव्र, शुद्ध एवं सबसे उपयोगी गणना करने वाला यन्त्र कम्प्यूटर ही है।
चार्ल्स बेबेज (Charles Babbage) पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 19वीं शताब्दी के आरम्भ में पहला कम्प्यूटर बनाया। यह कम्प्यूटर लम्बी-लम्बी गणनाएँ कर उनके परिणामों को मुद्रित कर देता था।
कम्प्यूटर स्वयं ही गणनाएँ करके जटिल-से-जटिल समस्याओं के हल मिनटों और सेकण्डों में निकाल सकता है। जिन समस्याओं का हल करने के लिए मनुष्य को कई दिन, यहाँ तक कि महीनों लग सकते हैं, कम्प्यूटर उन्हें पलक झपकते ही सुलझा सकता है। कम्प्यूटर से की जाने वाली गणनाओं के लिए एक विशेष भाषा में निर्देश तैयार किए जाते हैं। इन निर्देशो और सूचनाओं को कम्प्यूटर का ‘प्रोग्राम’ कहा जाता है। यदि कम्प्यूटर से प्राप्त होने वाले परिणाम अशुद्ध हैं तो इसका तात्पर्य यह है कि उसके ‘प्रोग्राम’ में कहीं-न-कहीं त्रुटि रह गई है, इसमें यन्त्र का कोई दोष नहीं है।
कम्प्यूटर का केन्द्रीय मस्तिष्क अपने सारे काम संकेतों पर आधारित गणितीय भाषा में ही करता है। अक्षरों या शब्दों को भी संकेतों पर आधारित इस मशीनी भाषा में बदला जा सकता है। इसी तरह अब शब्दों या पाठों को, यहाँ तक कि पूरी पुस्तकों और फाइलों को भी कम्प्यूटर के स्मृति-भण्डार (मेमोरी) में सुरक्षित रखा जा सकता है। कम्प्यूटर के स्मृति-भण्डार में संचित सामग्री को कभी भी इच्छानुसार छापा जा सकता है।
3. कम्प्यूटर और उसके उपयोग
आज जीवन के कितने ही क्षेत्रों में कम्प्यूटर के व्यापक प्रयोग हो रहे हैं। बड़े-बड़े व्यवसाय, तकनीकी संस्थान और महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठान कम्प्यूटर के यन्त्र-मस्तिष्क का लाभ प्राप्त कर रहे है। अब तो कम्प्यूटर केवल कार्यालयों के वातानुकूलित कक्षों तक ही सीमित नहीं रह गए हैं, वरन् वह हजारों किलोमीटर दूर रखे हुए दूसरे कम्प्यूटर के साथ बातचीत कर सकते हैं, उससे सूचनाएँ प्राप्त कर सकते हैं और उसे सूचनाएँ भेज भी सकते हैं।
कम्प्यूटर का व्यापक प्रयोग जिन क्षेत्रों में हो रहा है, उनका विवरण इस प्रकार है—
(i) बैंकिंग के क्षेत्र में- भारतीय बैंकों में खातों के संचालन और हिसाब-किताब रखने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग आरम्भ किया गया है। कई राष्ट्रीयकृत बैंकों ने चुम्बकीय संख्याओं वाली नई चैक बुक जारी की है। यूरोप के कई देशों के साथ-साथ भारत के भी अनेक बैंकों में अब ऐसी व्यवस्थाएँ अस्तित्व में आ गई है कि घर के निजी कम्प्यूटर को बैंकों के कम्प्यूटरों के साथ जोड़कर घर बैठे ही लेन-देन का व्यवहार किया जा सकता है।
(ii) प्रकाशन के क्षेत्र में- समाचार पत्र और पुस्तकों के प्रकाशन के क्षेत्र में आज कम्प्यूटर का विशेष योगदान है। अब कम्प्यूटर से संचालित कम्पोजिंग मशीन के माध्यम से मुद्रित होने वाली सामग्री को टंकित किया जा सकता है। टंकित होने वाली सामग्री को कम्प्यूटर के पर्दे (स्क्रीन) पर देखकर उसमें संशोधन भी किया जा सकता है। कम्प्यूटर में संचित होने के बाद सम्पूर्ण सामग्री एक छोटी चुम्बकीय डिस्क पर अंकित हो जाती है। कम्पोजिंग मशीन इस डिस्क के अंकीय संकेतों को अक्षरीय संकेतों में बदल देती है, जिससे उनका मुद्रण हो सके। उस दिन की कल्पना सरलता से की जा सकती है जब समाचार – पत्रों के सम्पादकीय विभाग में एक ओर कम्प्यूटरों में मैटर भरे जाएँगे तो दूसरी ओर इलेक्ट्रॉनिक प्रिण्टर तेज रफ्तार से मुद्रित सामग्री तैयार कर देंगे।
(ii) सूचना और समाचार-प्रेषण के क्षेत्र में- दूरसंचार की दृष्टि से कम्प्यूटर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। अब ‘कम्प्यूटर नेटवर्क’ के माध्यम से देश के सभी प्रमुख नगरों को एक-दूसरे से जोड़ दिया गया है।
(iv) डिजाइनिंग के क्षेत्र में- प्रायः यह समझा जाता है कि कम्प्यूटर अंकों और अक्षरों को ही प्रकट कर सकते हैं। वस्तुतः आधुनिक कम्प्यूटर के माध्यम से भवनों, मोटरगाड़ियों एवं हवाई जहाजों आदि के डिजाइन तैयार करने के लिए भी ‘कम्प्यूटर ग्राफिक’ के व्यापक प्रयोग हो रहे हैं। वास्तुशिल्पी अपनी डिजाइन कम्प्यूटर के स्क्रीन पर तैयार करते हैं और संलग्न प्रिण्टर से इनके प्रिण्ट भी तुरन्त प्राप्त कर लेते हैं।
(v) कला के क्षेत्र में- कम्प्यूटर अब कलाकार अथवा चित्रकार की भूमिका भी निभा रहे हैं। अब कलाकार को न तो कैनवास की आवश्यकता है, न रंग और कूचियों की। कम्प्यूटर के सामने बैठा हुआ कलाकार अपने ‘नियोजित प्रोग्राम’ के अनुसार स्क्रीन पर चित्र निर्मित करता है और यह चित्र प्रिण्ट की ‘कुंजी’ दबाते ही प्रिण्टर द्वारा कागज पर अपने उन्हीं वास्तविक रंगों के साथ छाप दिया जाता है।
(vi) वैज्ञानिक अनुसन्धान के क्षेत्र में- कम्प्यूटरों के माध्यम से वैज्ञानिक अनुसन्धान का स्वरूप ही बदलता जा रहा है। अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर ने क्रान्ति ही उत्पन्न कर दी है। इनके माध्यम में अन्तरिक्ष के व्यापक चित्र उतारे जा रहे हैं और इन चित्रों का विश्लेषण कम्प्यूटरों के माध्यम से हो रहा है। आधुनिक वेधशालाओं के लिए कम्प्यूटर सर्वाधिक आवश्यक हो गए हैं।
(vii) औद्योगिक क्षेत्र में- बड़े-बड़े कारखानों में मशीनों के संचालन का कार्य अब कम्प्यूटर सँभाल रहे हैं। कम्प्यूटरों से जुड़कर रोबोट ऐसी मशीनों का नियन्त्रण कर रहे हैं, जिनका संचालन मानव के लिए अत्यधिक कठिन था। भयंकर शीत और गर्मी भी उन पर कोई प्रभाव नहीं डालती।
(viii) युद्ध के क्षेत्र में- वस्तुतः कम्प्यूटर का आविष्कार युद्ध के एक साधन के रूप में ही हुआं था। अमेरिका में जो पहला इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर बना था, उसका उपयोग अणुबम से सम्बन्धित गणनाओं के लिए ही हुआ था। जर्मन सेना के गुप्त सन्देशों को जानने के लिए अंग्रेजों ने ‘कोलोसम‘ नामक कम्प्यूटर का प्रयोग किया था। आज भी नवीन तकनीकों पर आधारित शक्तिशाली कम्प्यूटरों का विकास किया जा रहा है। अमेरिका की ‘स्टार वार्स‘ योजना कम्प्यूटरों के नियन्त्रण पर ही आधारित है।
(ix) अन्य क्षेत्रों में – सम्भवतः जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिसमें कम्प्यूटर का प्रयोग न हो रहा हो अथवा न हो सकता हो। कम्प्यूटरों के माध्यम से संगीत का स्वरांकन किया जा रहा है तथा वायुयान एवं रेलयात्रा के आरक्षण की व्यवस्था हो रही है। आज सभी बड़े नगरों में कम्प्यूटर द्वारा आरक्षण की व्यवस्था कर दी गई है। कम्प्यूटर में संचित विवरण के आधार पर विवाह-सम्बन्ध जोड़ने वाले अनेक संगठन हमारे देश में कार्यरत है। यहाँ तक कि ‘कम्प्यूटर ज्योतिष’ का व्यवसाय भी आरम्भ हो गया है।
इसके साथ ही परीक्षाफल के निर्माण, अन्तरिक्ष यात्रा, मौसम सम्बन्धी जानकारी, चिकित्सा क्षेत्र, चुनाव-कार्य आदि में भी कम्प्यूटर प्रणाली सर्वाधिक उपयोगी सिद्ध हो रही है। कम्प्यूटर की सहायता से एक भाषा का अनुवाद दूसरी भाषा में किया जा सकता है तथा शतरंज जैसा खेल भी खेला जा सकता है।
7. कंप्यूटर और मानव – मस्तिष्क
यह प्रश्न भी बहुत स्वाभाविक है कि क्या कम्प्यूटर और मानव-मस्तिष्क की तुलना की जा सकती है और इनमें कौन श्रेष्ठ है; क्योकि कम्प्यूटर के मस्तिष्क का निर्माण भी मानव-बुद्धि के आधार पर ही सम्भव हुआ है। यह बात नितान्त सत्य है कि मानव मस्तिष्क की अपेक्षा कम्प्यूटर समस्याओं को बहुत कम समय में हल कर सकता है, किन्तु वह मानवीय संवेदनाओं, अभिरुचियों, भावनाओं और चित्त से रहित मात्र एक यन्त्र-पुरुष है। कम्प्यूटर केवल वही काम कर सकता है; जिसके लिए उसे निर्देशित (programmed) किया गया हो। वह कोई निर्णय स्वयं नहीं ले सकता और न ही कोई नवीन बात सोच सकता है।
8. उपसंहास
भारत जिस गति से कम्प्यूटर – युग की ओर बढ़ रहा है, उसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि हम अपने आपको सम्पूर्ण रूप से कम्प्यूटर के हवाले करने के लिए विवश किए जा रहे हैं। कम्प्यूटर हमें बोलना, व्यवहार करना, अपने जीवन को जीना, मित्रों से मिलना और उनके विषय में ज्ञान प्राप्त करना आदि सब-कुछ सिखाएगा। इसका अभिप्राय यह हुआ कि हम जीवन के प्रत्येक मोड़ पर कम्प्यूटर पर ही आश्रित हो जाएँगे। यह सही है कि कम्प्यूटर में जो कुछ भी एकत्र किया गया है, वह आज के असाधारण बुद्धिजीवियों की देन है, लेकिन हम यह प्रश्न भी पूछने के लिए विवश हैं कि जो बुद्धि या स्मरण शक्ति कम्प्यूटरों को दी गई है, क्या उससे पृथक् हमारा कोई अस्तित्व नहीं है? हो भी, तो क्या यह बात अपने-आप में कुछ कम दुःखदायी नहीं है कि हम अपने प्रत्येक भावी कदम को कम्प्यूटर के माध्यम से प्रमाणित करना चाहें और उसके परिणामस्वरूप अपने-आपको निरन्तर कमजोर, हीन एवं अयोग्य बनाते रहें।
हमें उम्मीद है कि “कंप्यूटर का महत्व पर निबंध” पर आधारित यह लेख आपको पसंद आया होगा। स्टडी नोट्स बुक विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए व्यापक नोट्स प्रदान करती है।