राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi Essay In Hindi

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इस लेख में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay In Hindi) बहुत ही सरल और सुव्यवस्थित हिन्दी भाषा में क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया है जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है। तो चलिए विस्तार से पढ़ते हैं Mahatma Gandhi Essay In Hindi.

Mahatma Gandhi Essay In Hindi
Mahatma Gandhi Essay In Hindi

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi Essay In Hindi

रूपरेखा–

  1. प्रस्तावना
  2. जन्म, बाल्यावस्था और शिक्षा
  3. दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी
  4. भारत में गांधी जी
  5. स्वतंत्रता आन्दोलन और जेल-यात्राएँ
  6. महान सन्त की मृत्यु
  7. गांधी जी के महान आदर्श
  8. समाजसुधार के कार्य
  9. उपसंहार

प्रस्तावना

बीसवीं शताब्दी को जिस अनोखे महापुरुष ने सबसे अधिक प्रभावित किया था, वह महात्मा गांधी आज धरती पर नहीं है, किन्तु सत्य, अहिंसा और स्वराज्य के आजीवन पूजारी का नवजीवन-सन्देश आज भारत की सीमाओं से निकलकर सारे संसार को जीवन प्रदान कर रहा है। न केवल राजनीतिक, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक पराधीनता की बेड़ियों से भी अपने देश को मुक्त कराने के लिए उन्होंने अपना जीवन बलिदान कर दिया।

जन्म, बाल्यावस्था और शिक्षा

अहिंसा के पुजारी और करुणा के अवतार महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, सन् 1869 ई० को गुजरात प्रदेश के पोरबन्दर नामक स्थान में हुआ। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था तथा पिता का नाम करमचन्द गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी की माता धर्मनिष्ठ और साधु- स्वभाव की महिला थीं। माता की आस्तिकता और सत्यपरायणता की गहरी छाप गांधी जी पर व्यापक रूप से पड़ी।।

गांधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा राजकोट में हुई। यहाँ पर उनके पिता दीवान थे। अपने बचपन में उन्होंने ‘सत्यवादी हरिश्चन्द्र’ नाटक देखा था और ‘श्रवणकुमार’ नाम का नाटक पढ़ा था। इन दोनों नाटकों के आदर्श का उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा। तेरह वर्ष की अवस्था में उनका विवाह कस्तूरबा के साथ हो गया। इसी वर्ष उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की और बैरिस्ट्री पास करने के लिए इंग्लैण्ड चले गए। भारत लौटने पर उन्होंने अपनी वकालत आरम्भ की और एक मुदमे के सम्बन्ध में वे अफ्रीका चले गए।

दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी

दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी जी ने भारतीयों की दयनीय दशा देखी। वहाँ भारतीयों के साथ पशुओं – जैसा व्यवहार किया जाता था। गोरों और कालों के भेद ने गांधी जी के हृदय में विद्रोह की ज्वाला उत्पन्न कर दी। वहाँ पर उन्हें भी कई बार अपमानित किया गया। उनका हृदय विद्रोह से भर उठा। उन्होंने वैधानिक ढंग से युद्ध छेड़ दिया। इसके लिए उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा का शस्त्र अपनाया। उनके आन्दोलन का अनुकूल प्रभाव हुआ और दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को सम्मानपूर्ण जीवन मिला। इस प्रकार सफलता प्राप्त करके गांधी जी प्रसिद्धि के शिखर पर पहुँचे।

भारत में गांधी जी

गांधी जो दक्षिण अफ्रीका में जनप्रिय हो चुके थे। भारतीय राजनीति उनका स्वागत करने के लिए तैयार खड़ी थी। उस समय लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और गोपालकृष्ण गोखले मैदान में थे। उन्होंने गांधी जी का स्वागत किया और गांधी जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर सेनानी बन गए। उन्होंने अहमदाबाद के पास साबरमती के तट पर अपने आश्रम की स्थापना की और वहीं से भारत की कोटि-कोटि जनता का मार्गदर्शन करने लगे।

स्वतन्त्रता आन्दोलन और जेल यात्राएँ

गांधी जी ने भारत की स्वतन्त्रता के लिए समयबद्ध आन्दोलन छेड़ दिया। उन्होंने चरखे को स्वतन्त्रता का प्रतीक बनाया और अहिंसा को इस आन्दोलन का अस्त्र । स्वतन्त्रता आन्दोलन के इस कर्मठ सिपाही को अनेक बार जेल – यात्राएँ करनी पड़ीं। सन् 1942 ई० में उन्होंने बम्बई अधिवेशन में नारा दिय ‘अँग्रेजो, भारत छोड़ो’। अब अंग्रेजों ने मन-ही-मन समझ लिया था कि उन्हें भारत से जाना ही होगा। अन्त में गांधी जी की नीति की विजय हुई और सन् 1947 ई० में भारत स्वतन्त्र हुआ।

महान सन्त की मृत्यु

देश की स्वतंत्रता को अभी एक वर्ष भी न बीता था कि 30 जनवरी, सन् 1948 की संध्या को नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने अपने रिवाल्वर की गोलियों से गांधी जी की हत्या कर दी। इस प्रकार भारत का महान सन्त, पीड़ित मानवता का एकमात्र आश्रय और विश्व का महान व्यक्तित्व संसार से विदा हो गया। उस महानुभाव की मृत्यु से सारा संसार अवाक रह गया, मानवता चीख उठी; किन्तु गांधी जी मरकर भी अमर हो गए।

पण्डित जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में — “प्रकाश बुझा नहीं, क्योंकि वह तो हजारों-लाखों व्यक्तियों के हृदय को प्रकाशित कर चुका था।

गांधी जी के महान आदर्श

गांधी जी को ईश्वर में अखण्ड विश्वास था। सत्य को उन्होंने ईश्वर का ही दूस नाम बताया। धर्म को उन्होंने सदाचार का नाम दिया और सारे धर्मों में समभाव पैदा करने के लिए उन्होंने सत्याग्रह क सहारा लिया। गांधी जी ने हिंसा को अहिंसा से और अन्याय को शान्तिमय सत्याग्रह से पराजित करने का अनोखा तरीक निकाला और इस प्रकार उन्होंने अत्याचारी ब्रिटिश शासन को मजबूत नींव हिला दी।

वे अहिंसा के पुजारी थे, किन उनकी अहिंसा में वीरता, निडरता तथा दृढ़ संकल्प विद्यमान थे। सत्य, अहिंसा और धर्म का राजनीति में प्रयोग करने गांधी जी ने एक अद्भुत आदर्श प्रस्तुत किया। उनकी कथनी और करनी में कोई भेद नहीं था। उन्होंने रामराज्य के अपना आदर्श घोषित किया, जिसमें आसुरी शक्ति, तानाशाही और हिंसा का कोई स्थान न हो।

समाजसुधार के कार्य

एक समाजसुधारक के रूप में गांधी जी का योगदान अतुलनीय है। जातिवाद, छुआछूत, परदा-प्रथा, बहु-विवाह, नशाखोरी और साम्प्रदायिक भेदभाव – जैसी बुराइयों के लिए उन्होंने निरन्तर संघर्ष किया। जातिवाद और छुआछूत को मिटाने के लिए उन्होंने सबसे अधिक प्रयास किया और अछूतों को ‘हरिजन’ कहकर सामाजिक सम्मान दिलाया। गांधी जी कहते थे—”यदि हम भारत की आबादी के पाँचवें हिस्से को अस्थायी गुलामी की हालत में रखना चाहते हैं और जान-बूझकर उन्हें राष्ट्रीय संस्कृति के सुफलों से वंचित रखना चाहते हैं, तो स्वराज्य एक अर्थहीन शब्दमात्र रह जाएगा।”

उपसंहार

गांधी जी इस युग के सबसे महान पुरुष थे। उन्होंने शताब्दियों से सोए हुए भारतवर्ष को जाग्रत किया और देश में आत्मसम्मान की लहर दौड़ाई। उनका चरित्र केवल भारतवासियों के लिए ही नहीं, अपितु विदेशियों के लिए भी अनुकरणीय है।

अन्त में पं० सोहनलाल द्विवेदी के शब्दों में हम कह सकते हैं—

शोषित पीड़ित जन के नायक,
नवयुग, नवजग, राष्ट्र विधायक !
महामुक्ति के कर्मठ नायक !
भव अरुणोदय हे!
जय-जय निर्भय हे !

यदि परीक्षा में नीचे दिए सम्भावित शीर्षको में से किसी पर भी निबंध लिखना हो तब भी ऊपर लिखा हुआ निबंध लिख सकते हैं।

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