विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध कैसे लिखें?

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दोस्तों अगर आपके परीक्षा में ये प्रश्न “विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध लिखें?” आ जाता है तो आप सोच रहे है कि हम इस पर निबन्ध कैसे लिए तो इसके लिए आपको घबराने की जरूरत नहीं है नीचे आपको बताया गया है कि आप विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध कैसे लिख सकते है?

विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध कैसे लिखें?

रुपरेखा-

  1. प्रस्तावना
  2. विज्ञान के अनूठे चमत्कार
  3. विज्ञान के अभिशाप
  4. विज्ञान का सदुप्रयोग अथवा (विज्ञान वरदान के रूप)
  5. उपसंहार

विज्ञान हमारे लिए एक वरदान है
वह मानव के लिए आज भगवान है
अंधों को वह दृष्टि देता है, बहरों को सुनना
भय को दूर भगाता है, सबके सुख को करता दूना।।

1. प्रस्तावना

प्राणी के जीवन में हर वस्तु के दो पहलू होते हैं- अच्छा या बुरा, सुंदर या असुंदर, दिन या रात, सर्दी या गर्मी।

प्रथम परिणाम – चमत्कारी रूप से उपयोगी,
द्वितीय परिणाम – भयंकर रूप से विनाशकारी।।

इस प्रकार जीवन के हर क्षेत्र में विज्ञान ने पदार्पण किया है और मानव जीवन को सुख – सुविधा, स्वास्थ्य और सौंदर्य प्रदान किया है। दूसरी ओर अपने विनाशकारी स्वरूप की झलक भी दिखाई है।

वास्तव में विज्ञान ने जितनी समस्याएँ हल की हैं, उतनी ही नहीं समस्याएं खड़ी भी कर दी हैं।” – श्रीमती इंदिरा गांधी जी

2. विज्ञान के अनूठे चमत्कार

आज के युग में विज्ञान ने मनुष्य के दैनिक जीवन में फ्रिज, टेलीविजन, एयरकंडीशनर, कूलर, रेडियो, सिनेमा, हवाई जहाज, ट्रैन, बसे, स्कूटर, कारें आदि अनगिनत उपहार दिए हैं। विज्ञान के इन उपकरणों के बिना आज सामान्य जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती फिक्सफोन से मोबाइल तक, रेडियो से कंप्यूटर तक की यात्रा विज्ञान ने बड़ी शीघ्रता से पूरी की है। आकाश में उड़ने के लिए अब पंछी बनने की कल्पना करना आउट ऑफ फैशन हो चुका है। आखिर विज्ञान वायुयान किसलिए बनाया है।

आपके शरीर में कौन सा रोग है, यह पता लगाने के लिए विज्ञान ने एक्स-रे से लेकर अल्ट्रासाउंड, एमआरआई (MRI) कैटस्कैन तक की तकनीके प्रस्तुत कर दी है। शल्य चिकित्सा अब आपके सुंदर होने का अरमान भी पूरा करने के लिए प्लास्टिक सर्जरी लेकर प्रस्तुत है। आपके मनोरंजन के लिए वीडियो में गेम, डी०वी०डी० (DVD), पेन ड्राइव संगीत के सुरीले सैकड़ो प्रकार के साज सेवा में सीर छुकाए खड़े हैं। अब तो घण्टों का काम सेकेण्डों में हो जाता है। विज्ञान के कुशल प्रशिक्षित हाथ निरंतर आपकी सेवा में लगे हैं।

3. विज्ञान के अभिशाप

विज्ञान ने मनुष्य के हाथ में असीमित शक्ति दे दी है, किंतु वह यह भूल गया है कि मनुष्य के हृदय की दुर्भावनाएँ इसका दुरुपयोग भी कर सकती हैं और ऐसा हो भी चुका है। नागासाकी और हिरोशिमा पर गिराए, गए एटम बम इसका प्रमाण है। विज्ञान की इस असुरी शक्ति ने लाखों – करोड़ों लोगों को एक ही पल में भस्म कर दिया। विज्ञान ने परमाणु बम के निर्माण के साथ ही इस सुंदर संसार को पल भर में ही नष्ट करने का आयोजन कर लिया है।

मशीनों के निर्माण में मनुष्य के शारीरिक परिश्रम की महत्व को घटा दी है। जिसके परिणाम स्वरुप बेरोजगारी में वृद्धि हुई है। बढ़ते हुए उद्योगों ने इतना प्रदूषण फैलाया है कि मनुष्य का जीवन संकट में आ गया है और मनुष्य एक स्वच्छ व प्राकृतिक वातावरण के लिए तरस गया है। सड़कों पर वाहनों का भारी शोर, घरों में ऊंची स्वरों में टीवी, रेडियो के चलने से निरंतर ध्वनि प्रदूषण फैल रहा है।

मनुष्य आधुनिक विज्ञान द्वारा खोज निकाली गई प्रत्येक सुविधा का उपयोग करने की आस लिए बैठा है। फलस्वरुप उसकी आवश्यकताएँ है इतनी अधिक बढ़ गयी है कि उसे निरंतर धन कमाने की चिंता लगी रहती है। मनुष्य स्वंय एक यंत्र के रूप में परिवर्तित होता जा रहा है, वह असमय ही तनाव व चिंता के कारण वृद्ध – सा देखने लगता है। उसके पास न स्वास्थ है और न ही समय। ये सभी समस्याएँ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस वैज्ञानिक प्रगति से जुड़ी है।

4. विज्ञान का सदुप्रयोग अथवा (विज्ञान वरदान के रूप)

यदि मनुष्य विज्ञान का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से करें तो विज्ञान अत्यंत उपयोगी साथी सिद्ध होता है। और मनुष्य के जीवन में एक वरदान के रूप में काम करता है। हमें चाहिए कि वैज्ञानिक साधनों का प्रयोग अवश्य करें, किंतु उसके गुलाम न बने। उदाहरण के लिए कैलकुलेटर हजारों – लाखों की गणना चुटकियों में कर देता है, किंतु हमें स्वयं भी गणित का अच्छा अभ्यास होना चाहिए, ताकि हमें हर समय उसी का सहारा न लेना पड़े।

कार की सुविधा का उपयोग करते समय हमें पैदल चलने की आदत छोड़ देनी की ही कल्पना नहीं करनी चाहिए। विज्ञान ने जिस बहुमूल्य समय की बचत की है उसे हम बेकार की गपशप में व्यर्थ न करें, बल्कि अच्छी पुस्तकों के पठन पाठन तथा आत्मिक – मानसिक उन्नति में लगाए। जिस संसाधनों के उपयोग द्वारा प्रदूषण फैले उसके प्रयोगों पर एक सीमा तक अंकुश लगाना चाहिए।

5. उपसंहार

विज्ञान के वरदान अथवा अभिशाप दोनों पहलुओं को ध्यान में रखकर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर जी’ ने अपनी इस धारणा को इन शब्दों में व्यक्त किया है—

सावधान, मनुष्य, यदि विज्ञान है तलवार,
तो इसे दे फेक, तजकर मोह, स्मृति के पार।
हो चुका है सिद्ध, है तू शिशु अभी अज्ञान,
फूल – कांटों की तुझे कुछ भी नहीं पहचान।
खेल सकता तू नहीं ले हाथ में तलवार,
काट लेगा अंग, तीखी है बड़ी यह धार

निश्चित ही परमाणु विनाश की घटना मनुष्य को सावधान करती है कि विज्ञान दुरुप्रयोग होता है, तो यह अत्यंत विनाशकारी भी सिद्ध होता है। अतः पहले मनुष्य को इसका सदुपयोग करना आना चाहिए, तभी या एक वरदान सिद्ध होगा।

Vigyan Vardan Ya Abhishap Essay in Hindi: हमें उम्मीद है कि “विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध कैसे लिखें?” पर आधारित यह लेख आपको पसंद आया होगा। स्टडी नोट्स बुक विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए व्यापक नोट्स प्रदान करती है।

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