आचार्य रामचंद्र शुक्ल का साहित्यिक परिचय

प्रश्न: आचार्य रामचंद्र शुक्ल का साहित्यिक परिचय अथवा साहित्य – जीवन पर प्रकाश डालिए?

उत्तर:- आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का साहित्यिक परिचय: हिंदी साहित्य में आचार्य शुक्ल जी का प्रवेश कवि और निबंधकार के रूप में हुआ। आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी हृदय से कवि, मस्तिष्क से आलोचक तथा एक प्रभावी अध्यापक थे। उन्होंने अपनी साहित्यिक प्रतिभा से हिंदी समालोचना के क्षेत्र में क्रांति उत्पन्न कर दी। हिंदी के युग प्रवर्त्तक आलोचक के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की। तथा निबंध के क्षेत्र में भी ये अपने युग के श्रेष्ठ प्रतिभाशाली लेखक सिद्ध हुए। इनकी विलक्षण प्रतिभा के कारण ही इनके समकालीन हिंदी गद्य को ‘शुक्ल युग‘ के नाम से संबोधित किया जाता है। निबंध के क्षेत्र में शुक्ला जी के समान कोई दूसरा नहीं है। अतः शुक्ल जी को निबंध सम्राट कहा जाए तो कोई अत्युक्ति न होगी। इन्होंने अपनी अलौकिक प्रतिभा से हिंदी साहित्य जगत को आलोकित कर नवीन मार्ग पर अग्रसरित किया और उसे उच्च शिखर पर लाकर खड़ा कर दिया। इसलिए शुक्ल जी का नाम हिंदी साहित्याकाश में सितारे की भांति दै दी प्यामान है और सदैव रहेगा।

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी जी ने उनके विषय में ठीक ही लिखा है- “शुक्ल जी अपनी अमिट छाप हमारे साहित्य पर छोड़ गए हैं।……… आचार्य शुक्ल उन महिमाशाली लेखको में है जिनकी प्रत्येक पंक्ति आदर के साथ पढ़ी जाती है और भविष्य को प्रभावित करती रही हैं। आचार्य शब्द ऐसे ही कर्त्ता साहित्यकारों के योग्य है। पण्डित रामचंद्र शुक्ल जी सच्चे अर्थो में आचार्य थे।”

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