प्रश्न: रामधारी सिंह दिनकर का व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए?
उत्तर: व्यक्तित्व – रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता है, उनका समय के साथ निरन्तर गतिशील रखना। यह उनेक क्रांतिकारी व्यक्तित्व और ज्वलन्त प्रतिभा का परिचायक है। इन्होंने राष्ट्र की आशाओं और आकांक्षाओं को सदा वाणी दी है। परिणाम: गुप्त जी के बाद ये ही राष्ट्रकवि के सच्चे अधिकारी बने और इन्हें ‘युग – चरण’, ‘राष्ट्रीय – चेतना का वैतालिक’ और ‘जन – जागरण का अग्रदूत’ जैसे विशेषणो से विभूषित किया गया। वास्तव में ‘दिनकर’ जी हिंदी साहित्य के गौरव हैं, जिन्हें पाकर सचमुच हिंदी कविता धन्य हुई।
कृतित्व – रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी बहुमुखी प्रतिभा के कलाकार थे। दिनकर जी ने काव्य एवं गद्य दोनों क्षेत्रो में सशक्त साहित्य का सृजन किया। इनकी प्रमुख काव्य रचनाओं में रेणुका, रसवन्ती, हुंकार, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा, नील कुसुम, चक्रवाल सामधेनी, सीपी और शंख, हारे को हरिनाम आदि शामिल है उर्वशी एवं रश्मिरथी ये प्रसिद्ध प्रबंध काव्य है, जिनमे विचार तत्व की प्रधानता है।
दिनकर जी गद्य रचनाओं में ‘संस्कृति के चार अध्याय‘ अत्यन्त उल्लेखनीय रचना है। यह आलोचनात्मक ग्रंथ है। इसके अतिरिक्त भी इन्होने अनेक गद्य सम्बन्धी पुस्तकें लिखी।
हमें उम्मीद है कि “रामधारी सिंह दिनकर का व्यक्तित्व एवं कृतित्व” पर आधारित यह लेख आपको पसंद आया होगा। स्टडी नोट्स बुक विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए व्यापक नोट्स प्रदान करती है।