बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध | Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, देश को प्रगति के पथ पर लाओ, जब उन्हें बचाएंगे और बढ़ाएंगे तभी हम विश्वगुरु बन पाएंगे। अगर बेटा एक अभिमान है, तो बेटियाँ भी वरदान है। जीवन, शिक्षा एवं प्यार, बेटियों का भी है अधिकार।

विषय-सूची

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध | Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध, Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi

प्रस्तावना

मैं माताओं से पूछना चाहती हूं कि बेटी नहीं पैदा होगी तो बहू कहाँ से लाओगी। हम जो चाहते हैं समाज भी वही चाहता है हम सभी चाहते हैं कि बहू पढ़ी-लिखी और समझदार मिले, लेकिन हम बेटियों को पढ़ाने के लिए तैयार नहीं होते। आखिर ये दोहरापन कब तक चलेगा? यदि हम बेटी को पढ़ा नहीं सकते तो हम शिक्षित बहू की उम्मीद कैसे कर सकते हैं इस प्रकार एक शिक्षित बहू की उम्मीद करना बेईमानी है। जिस धरती पर मानवता का संदेश दिया गया हो वहां बेटियों की हत्या दु:ख देती है। यह अल्ताफ हुसैन हाली की धरती है। हाली ने कहा था “मॉओ, बहनों, बेटियों दुनिया की जन्नत तुमसे है

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना कहाँ से और किसके द्वारा लांच की गई

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत में लांच किया गया।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का संक्षिप्त नाम

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (Beti Bachao Beti Padhao Yojana) को संक्षिप्त में बी. बी. बी. पी. (BBBP) नाम से जाना जाता है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को अंग्रेजी में सेव गर्ल्स एजुकेट गर्ल्स (Save Girls Educate Girls) कहते हैं।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का अर्थ

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ एक ऐसी योजना है जिसका अर्थ “कन्या शिशु को बचाओ और इन्हें शिक्षित करो”। इस योजना को भारतीय सरकार के द्वारा कन्या शिशु के लिए जागरूकता का निर्माण करने और महिला कल्याण में सुधार करने के लिए शुरू किया गया।

बेटी का क्या महत्व है?

बेटियाँ ही घर की संचालन शक्ति होती है। मां, बहन एवं पत्नी के रूप में उसका सम्पूर्ण जीवन त्याग एवं सेवा की लम्बी गाथा है बेटियाँ ही मनुष्य को नैतिकता का पाठ पढ़ाती हैं। उसके साथ कभी भी दोयम दर्जे का व्यवहार नहीं करना चाहिए

वैदिक काल की स्त्रियों का महत्वपूर्ण योगदान

वैदिक काल में तो कन्याओं की शिक्षा – दीक्षा का उचित प्रबंध किया जाता था। ऋग्वेद में सिक्ता, घोषा, अपाला आदि अनेक विदुषी नारियों का उल्लेख किया गया है जिन्होंने ऋग्वेद के अनेक मंत्रों की रचना की है। गार्गी के नाम से भी हम परिचित हैं जिन्होंने ‘गार्गी – संहिता’ नामक प्रसिद्ध खगोल विज्ञान के ग्रंथ की रचना की कथा याज्ञवल्क्य जैसे विद्वान को शास्त्रार्थ में पराजित कर दिया था। प्रसिद्ध स्मृतिकार महर्षि मुनि ने तो अपनी विश्वविख्यात कृति मनुस्मृति में लिखा है, यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता:” अर्थात् जहाँ नारियों का सम्मान होता है वहाँ देवता का निवास होता है परंतु वर्तमान समय में जिनके इसके एकदम विपरीत स्थिति हो रही है। चूँकि पहले तकनीक नहीं थी इसलिए कन्या शिशु को जन्म लेने के बाद मार दिया जाता था, किंतु अब तकनीक के कारण कन्या भ्रूण को गर्भ में ही मार दिया जाता है।

लिंक चयन प्रतिषेध अधिनियम 1994

पूर्व गर्भधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक पीसीपीएनडीटी (PCPNDT) अधिनियम 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एवं संघीय कानून है। इस अधिनियम में वर्ष 2003 में संशोधन किया गया।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना किसकी उप- योजना हैं?

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना महिला सुरक्षा, सुरक्षा और अधिकारिता के लिए हस्तक्षेप को मजबूत करने के लिए शुरू की गई मिशन शक्ति की एक उप-योजना है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य

  1. लैंगिक समानता के लक्ष्य को प्राप्त करना
  2. बाल – लिंगानुपात में सुधार लाना
  3. लिंक -पक्षपाती लिंक चयनात्मक उन्मूलन की रोकथाम
  4. बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना
  5. बालिकाओं की शिक्षा और भागीदारी सुनिश्चित करना
  6. बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा करना

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से संबंधित मंत्रालय

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्क्रीन का नया नाम

इकोनाॅमिक सर्वे 2019 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्कीम का नाम बदला गया तथा लैंगिक समानता के लिए काम करने वाली इस योजना को अब BADLAV (बेटी आपा धन लक्ष्मी और विजय-लक्ष्मी) के नाम से जाना जाता है।

राष्ट्रीय कार्यकारी समिति जनवरी 2015 से “सेव गर्ल चाइल्ड और एजुकेट गर्ल चाइल्ड” को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों के आयोजन के लिए जिम्मेदार है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के राष्ट्रीय संयोजक कौन है?

बीबीबीपी (Beti Bachao Beti Padhao) योजना के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजेंद्र फड़के हैं।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से संबंधित अन्य योजनाएं

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों में से एक है। इस योजना के अंतर्गत ‘सुकन्या समृद्धि योजना, CBSE (सीबीएसई उड़ान योजना) माध्यमिक शिक्षा के लिए लड़कियों को प्रोत्साहन की राष्ट्रीय योजना, राष्ट्रीय बालिका दिवस तथा किशोरियों के लिए योजना आदि सम्मिलित है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का लक्ष्य

  • कुछ चुनिंदा जिलों में जन्म के समय लिंगानुपात में प्रतिवर्ष दो अंक सुधार
  • पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर मीट्रिक में लैंगिक अंतर को प्रति वर्ष 1.5 अंक कम करना
  • चुनिंदा जिलों के प्रत्येक स्कूल में लड़कियों के लिए क्रियाशील शौचालय उपलब्ध कराना
  • पहली तिमाही में प्रसवपूर्ण देखभाल पंजीकरण में प्रतिवर्ष 1% की वृद्धि करें
  • कम वजन और एनीमिक लड़कियों (पाँच वर्ष से कम आयु) की संख्या को कम करके पोषक की स्थिति में सुधार

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शुरुआत क्यों हुई

केन्द्र सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए तथा बेटियों के जीवन को बचाने और उन्हें शिक्षित करने के उद्देश्य से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की। देश का प्रत्येक दम्पति केवल लड़का पाने की इच्छा रखता है और इसी इच्छा के कारण देश में लिंगानुपात में भारी गिरावट आयी। मतलब लड़को की अपेक्षा लड़कियों की संख्या कम होती जा रही है। इसी अनुपात को बराबर करने के लिए इस अभियान की शुरुआत की गई।

उपसंहार

बेटी को बचाने एवं उसे पढ़ा – लिखाकर योग्य बनाने के लिए जब तक हम संवेदनशील नहीं होंगे, हम अपना ही नहीं आने वाली कई सदियों तक पीढ़ी – दर – पीढ़ी एक भयानक संकट को निमंत्रण दे रहे हैं। बेटियाँ देश की भविष्य हैं। इतिहास साक्षी है कि जब भी स्त्रियों को अवसर मिले हैं उन्होंने अपनी उपलब्धियों के कीर्तिमान स्थापित किये हैं आज शिक्षा के क्षेत्र में 70 – 75% और चिकित्सा के क्षेत्र में 60% से अधिक महिलाएं हैं। आज शिक्षा के विस्तार के बाद लोगों की मानसिक सोच में काफी बदलाव है। हम आज बेटे एवं बेटियों की परिवेश तथा शैक्षणिक प्रक्रिया को एक समान रखने का प्रयास कर रहे हैं देखा जाये तो आज के समय में प्रतिस्पर्धा एवं सेवा के क्षेत्र में लड़कों से कहीं आगे लड़कियाँ बढ़ती जा रही हैं। महिलाएं सुई से लेकर जहाज के निर्माण में, एक गृहणी से लेकर राष्ट्रपति के पद तक, चिकित्सा से लेकर देश की रक्षा से रक्षा में भी अपना परस्पर सहयोग दे रही हैं। अपने माता – पिता के साथ – साथ देश का नाम भी रोशन कर रही हैं। जैसे – भारतीय मूल की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला हो या सुनीता विलियम, इंदिरा नूयी (Indra Nooyi) हो या साइना नेहवाल सभी ने अपने – अपने क्षेत्रों में भारत का नाम गौरवान्वित किया है लेकिन यह सब तभी हो सका, जब इन्हें बचाया और पढ़ाया गया। एक बेटी के शब्दों से हम बेटियों को पढ़ाने और बचाने की भावना को शायद आसनी से समझ सकेंगे

“हर लड़ाई जीतकर दिखाउँगी मैं अग्नि में जलकर भी जी जाऊँगी। चन्द लोगों की पुकार सुन ली मेरी पुकार न सुनी। मैं बोझ नहीं भविष्य हूँ बेटा नहीं पर बैठी हूँ।।”

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